- तेरह जिलों में अब ठेकों के लिए करनी पड़ेगी टेंडर प्रक्रिया
- हरीश फतेहचंदानी
प्रदेश में हो रही शराब ठेकों की नीलामी में इस बार तीन जिले रोड़ा बन गए हैं, इसकी वजह है तीनों जिलों में अब तक किसी भी दुकान का ठेका नहीं हो पाना। इसी तरह से कई अन्य जिलों में भी तय नियम के अनुसार दुकानों की नीलामी का आंकड़ा 70 फीसदी तक नहीं पहुंच पाया है, जिसकी वजह अब ऐसे जिलों में भी टेंडर प्रक्रिया का पालन करना होगा। उधर, एक दर्जन जिलों में भी शराब दुकानों को लॉटरी से लेने में किसी ने भी रुचि नहीं ली है।
यह वे जिले हैं, जिनमें ठेकेदार दुकानों के नवीनीकरण कराने में भी आगे नहीं आए थे। इसी तरह से भोपाल, धार, अनूपपुर जिलों में भी दुकानों के लिए एक भी आवेदन नहीं आया। उधर, झाबुआ, अलीराजपुर, बैतूल, सतना, उमरिया में आवेदन तो आए, लेकिन यहां 70 फीसदी का आंकड़ा पार नहीं हो सका। इन जिलों में भी अब ई-टेंडर से दुकानों का आवंटन करना होगा। इधर, रायसेन जिला बॉर्डर पर आ कर अटक गया। यहां पर मामूली अंतर से पिछड़ने के कारण अब यहां पर भी ठेकेदारों को ई-टेंडर में शामिल होना होगा। दरअसल, जिन जिलों में 50 फीसदी दुकानें लाइसेंस रिन्यू करने व 20 फीसदी लॉटरी से उठती हैं तो आंकड़ा 70 फीसदी पर पहुंच जाता। यहां टेंडर कराने के हालात नहीं बनते, लेकिन इससे कम प्रतिशत रहता है तो फिर पूरी दुकानें ई-टेंडर से नीलाम की जाती हैं। ऐसे जिलों में अब टेंडर प्रक्रिया कराई जाएगी। यह प्रक्रिया 14 मार्च से शुरू होगी। भोपाल में शराब ठेकेदारों के सिंडिकेट की एकजुटता के चलते रिन्यूअल और लॉटरी में एक भी शराब कारोबारी ने रुचि नहीं ली। दरअसल ठेकेदार एक अप्रैल से शराब अहाते बंद करने के फैसले से नाराज हैं। अमूमन दुकान नीलामी के दौरान शराब कारोबारियों के बीच सिंडिकेट बनता था, लेकिन इस बार आबकारी विभाग पर दबाव बनाने के लिए इसे पहले ही बना लिया गया है। लॉटरी के माध्यम से दुकानें देने के लिए तारीख एक दिन बढ़ाकर 10 मार्च भी कर दी गई थी , लेकिन इसके बाद भी कोई ठेकेदार सामने नहीं आया।
एक ही दिन में पी ली एक अरब की शराब
प्रदेश में होली पर लोगों ने जमकर जाम छलकाए। रंगों के पर्व की मस्ती को दोगुना करने के लिए लोग पहले ही दिन एक अरब कीमत की शराब गटक गए। आबकारी विभाग का अनुमान है कि पांच दिवसीय पर्व के दौरान मध्य प्रदेश में 350 करोड़ रुपए की शराब बिक सकती है। दरअसल पांच दिवसीय होली पर्व की शुरुआत बुधवार से हो चुकी है। इस बीच सरकार द्वारा कई जिलों में होली और रंगपंचमी पर ड्राइ डे घोषित किया गया है। इसके बाद भी के लोगों पर होली का खुमार ऐसा चढ़ा कि लोग 100 करोड़ की शराब डकार गए।
एक अधिकारी के मुताबिक प्रदेश में एक दिन का आबकारी लाइसेंस फीस 34 करोड़ रुपए है। 34 करोड़ रुपए निकालने के लिए संपूर्ण प्रदेश में एक दिन 52-53 करोड़ रुपए की शराब बिक्री होती है। लेकिन होली के दिन प्रदेश में 100 करोड़ रुपए से अधिक की शराब बिक्री हुई। उसका कहना है कि राजधानी के नजदीकी जिले सीहोर में 224 करोड़ रुपए आबकारी विभाग की सालाना लाइसेंस फीस है। इस हिसाब से एक दिन की सीहोर जिले की आबकारी फीस 60 लाख रुपए होती है। 60 लाख रुपए को निकालने के लिए प्रतिदिन 90 लाख रुपए की शराब बिक्री की जाती है। लेकिन होली के पहले ही दिन करीब एक करोड रुपए से अधिक की शराब बिक्री हुई है।
टेंडर सभी के लिए ओपन
आबकारी अधिकारियों की माने तो टेंडर में कोई भी भाग ले सकता है। ऐसे में हो सकता है कि सिंडिकेट की एकता टूट जाए। वैसे इसकी संभावना कम है, क्योंकि टेंडर में नए या बाहरी कारोबारी बहुत कम संख्या में भाग लेते हैं। इस कारण सिंडीकेट चाह रहा है कि सरकार दुकानों के दाम कम करे। उधर, प्रदेश के अशोक नगर, श्योपुर, राजगढ़, डिंडोरी और नीमच ऐसे जिले हैं, जहां पर सभी सौ फीसदी दुकानें रिन्यू हो गई हैं। उधर, जिन जिलों में सबसे कम दुकानें रिन्यू हुई हैं उनमें छिंदवाड़ा, सतना, शहडोल, उमरिया, देवास, जबलपुर , बैतूल, धार, छतरपुर अलीराजपुर जिले का नाम भी शामिल है।