आईएएस अवार्ड के लिए तरस रहे गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी

आईएएस अवार्ड
  • 8,162 अधिकारियों वाले संवर्ग से मात्र 2 ही आईएएस कैडर में

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
    प्रदेश में 8,162 अफसर गैर राज्य प्रशासनिक सेवा संवर्ग के होने के बाद भी बीते छह साल से आईएएस अवार्ड के लिए तरस रहे हैं। जबकि प्रदेश में गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से भरे जाने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदों की संख्या 20 है। इनमें से 18 पद पिछले छह साल से खाली पड़े हुए हैं।  वर्तमान में इस संवर्ग के दो अधिकारी ही आईएएस कैडर में हैं। इसके बाद भी इस संवर्ग के अधिकारियों से आईएएस अवार्ड के लिए आवेदन नहीं मंगाए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार गैर राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की उपेक्षा की वजह है डिप्टी कलेक्टरों की पावरफुल लॉबी और उनका राज्य सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर काबिज होना। इस कारण पिछले छह साल (वर्ष 2015 के बाद) से गैर राज्य प्रशासनिक सेवा का कोई भी अधिकारी आईएएस के पदों पर पदोन्नत नहीं हो पाया। इस कारण प्रदेश में गैर राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारियों का वर्ग न्याय के लिए परेशान है।
    कोटा होने के बाद भी अवॉर्ड नहीं
    मप्र में राज्य प्रशासनिक सेवा का 439 अधिकारियों का कैडर है। इसमें से 33 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाते हैं। इनमें से 15 प्रतिशत पद गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए आरक्षित होते हैं। इस हिसाब से हर साल गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को दो से तीन पद मिलते हैं। इसमें उन अधिकारियों के ही नाम भेजे जाते हैं, जिनका सर्विस रिकार्ड बेहतर है और अधिकतम उम्र 56 साल है। इन अधिकारियों को संघ लोक सेवा आयोग में साक्षात्कार से गुजरना पड़ता है। सूत्र बताते हैं कि गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आईएएस अवार्ड का मौका नहीं मिलने का सबसे बड़ा कारण राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। दरअसल, इस सेवा के अधिकारियों के तीन बैच बड़ी संख्या  के आए हैं। आईएएस अवार्ड के प्रस्ताव में गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के नाम जाते हैं, तो बैच के दो से तीन अधिकारी पिछड़ जाएंगे। इसलिए हर बार प्रस्ताव से गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के नाम हट जाते हैं।
    संभाली बड़ी जिम्मेदारी पर नहीं बने आईएएस
    गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के कई अधिकारी ऐसे रहे हैं जिन्होंने विभागों में बड़ी जिम्मेदारी संभाली है लेकिन उनको आईएएस अवार्ड नहीं हो पाया है। इनमें सरकारी पालीटेक्निक के प्राचार्य रहे बीआर विश्वकर्मा करीब 10 साल सामान्य प्रशासन विभाग के उपसचिव रहे, पर आईएएस अवार्ड नहीं हो पाया। वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी विशाल नाटकर्णी सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालते रहे। पिछले साल कोशिश की, पर आईएएस अवार्ड में सफलता नहीं पा सके। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी पीआर तिवारी कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे, पर आईएएस अवार्ड पाने में सफल नहीं हुए। पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा कहते हैं कि सरकार को नियमों में जो प्रविधान हैं, उनका पालन करना चाहिए। गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के काबिल अधिकारियों को भी आईएएस सर्विस में आने का मौका मिलना चाहिए। क्योंकि सभी के लिए पद आरक्षित हैं। इसका फायदा सरकार को भी मिलेगा। उन्हें काबिल अधिकारी मिलेंगे। दूसरे कैडर को नुकसान न हो, इन तर्कों के साथ किसी को मौका न देना मेरी दृष्टि में उचित  नहीं है।
    18 पद पिछले छह साल से खाली
    हर साल गैर राज्य प्रशासनिक अधिकारियों के लिए दो से तीन पद रिक्त होते हैं, लेकिन उन पदों के लिए न तो गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से आवेदन मंगवाए जा रहे हैं और न ही उनके लिए विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक की जाती है। जिससे इन अधिकारियों में आक्रोश है। प्रदेश में गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से भरे जाने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदों की संख्या 20 है। इनमें से 18 पद पिछले छह साल से खाली हैं। वर्तमान में इस संवर्ग के दो अधिकारी ही आईएएस कैडर में हैं। इनमें से भी एक इसी साल सेवानिवृत्त हो रहे हैं और छह साल से नए अधिकारियों को मौका ही नहीं मिला है।
    शिकायत की भी सुनवाई नहीं
    नियमानुसार हर साल आईएएस अवार्ड के लिए सभी विभागों से पात्रता रखने वाले अधिकारियों के नाम मांगता है। शुरुआती प्रस्ताव में इस कैडर के  अधिकारियों के नाम होते भी हैं, पर संघ लोक सेवा आयोग को भेजे जाने वाले प्रस्ताव में नाम नहीं जाते हैं। जिससे ऐसी स्थिति बनी हुई है। गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी इसे लेकर अपनी नाराजगी भी जता चुके हैं और सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री- अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक से मिल चुके हैं। आईएएस अवार्ड के लिए कई अधिकारियों की पात्रता तो इसलिए समाप्त हो गई, क्योंकि उनकी उम्र ज्यादा हो चुकी है।

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