डीपीसी के इंतजार में ओवरएज हो गए गैर राप्रसे के अधिकारी

गैर राप्रसे

6 साल से आईएएस नहीं बने गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पिछले 6 साल से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि नियम होने के बावजूद सरकार की तरफ से उनके आवेदन नहीं मंगाए जाना बताया जा रहा है। यह स्थिति तब है जब मप्र में एक समय गैर राप्रसे से आईएएस बने अफसरों की तूती बोलती थी, लेकिन अब सरकार की मंशा गैर राप्रसे  से आईएएस के पद पर सिलेक्शन ग्रेड देने की नहीं दिख रही है। यही वजह है कि 2016 से डीपीसी नहीं हुई। इसके चलते 2015 में इंटरव्यू देने वाले कई अफसर ओवरएज हो गए हैं और कुछ रिटायर हो गए। यहां तक कि जीएडी कार्मिक ने 19 रिक्त पदों पर राप्रसे आईएएस प्रमोट करने डीओपीटी को भेजे प्रस्ताव में भी गैर राप्रसे के अफसरों का जिक्र नहीं किया है। इसके इतर छत्तीसगढ़ सहित कई अन्य राज्यों में गैर राप्रसे के अफसरों को प्रमोट किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार मप्र में गैर राप्रसे के अफसरों को 21 पदों पर आईएएस में प्रमोशन मिलना चाहिए, मगर वर्तमान में एक ही अफसर संजय गुप्ता कार्यरत हैं। आखिरी बार 2015 में हुई डीपीसी में गैर राप्रसे के 4 अफसरों का सिलेक्शन आईएएस के लिए हुआ था। इनमें संजय गुप्ता, डॉ. श्रीकांत पांडे तथा डॉ. मंजु शर्मा और शमीमउद्दीन के नाम हैं।  उसके बाद से सरकार ने गैर राप्रसे के अधिकारियों के आईएएस प्रमोशन के आवेदन मंगाना ही बंद कर दिया है, जबकि गैर राप्रसे से आईएएस में सिलेक्शन ग्रेड देने के मामले में छत्तीसगढ़, यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिसा, बिहार, झारखंड, केरला तथा हिमाचल आदि राज्य पीछे नहीं हैं।  इनमें इस संवर्ग को लगातार प्रमोशन दिया जा रहा है।
2016 से नहीं हुई डीपीसी
मप्र में गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पिछले 6 साल से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। इसका कारण नियम होने के बावजूद सरकार की तरफ से उनके आवेदन नहीं मंगाए जाना बताया जा रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग के सूत्रों ने कहा कि नियम है, लेकिन सरकार तय करेगी कि किस कैडर से कितने पद भरने हैं। बता दें कि दरअसल राज्य प्रशासनिक सेवा का 439 अधिकारियों का कैडर है। इसमें से 33 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाने का नियम है।  इनमें से 15 प्रतिशत पद गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से भरने का भी नियम बनाया गया है। लेकिन 2015 के बाद से गैर राज्य प्रशासनिक सेवा का कोई अधिकारी आईएएस के पदों पर पदोन्नति नहीं हो सका है। सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से संबंधित विभागों से योग्य अधिकारियों के आवेदन ही नहीं मंगाए नहीं जा रहे हैं। इस उपेक्षा के कारण अधिकारी नाराज हैं, लेकिन कोई खुल कर सामने आकर बोलने को तैयार नहीं है। दरअसल कोई सरकार के खिलाफ कुछ बोलना नहीं चाहता। सभी का सिर्फ यहीं कहना है कि जैसे 2015 और उसके पहले के अधिकारियों को मौके दिए गए हैं। उनके कैडर को मिलने चाहिए।
15 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाने चाहिए
अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से 15 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाने चाहिए। लेकिन यह भी लिखा गया है कि यह सरकार पर निर्भर करेगा। उनका कहना है कि इससे राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के पदोन्नति के पद कम हो जाते हैं। सरकार बहुत ही अच्छा प्रदर्शन करने वाले अधिकारी को प्रमोशन देने के लिए इस नियम का उपयोग करती है। गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आईएएस के पदों पर पदोन्नत करने के लिए आयु सीमा 56 साल निर्धारित है। ऐसे में लंबे समय से आवेदन नहीं मंगाने से कई योग्य अधिकारी आयु सीमा पूरी करने से अयोग्य हो गए हैं। पूर्व चीफ सेक्रेटरी केएस शर्मा ने कहा कि सरकार ने जब आईएएस अवॉर्ड का नियम बनाया है तो दूसरी सेवा के प्रतिभावान अधिकारियों को भी मौके देने चाहिए। इससे सरकार को ही अच्छे अधिकारियों की सेवा मिलेगी। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का नुकसान न होने की तर्कों के साथ मौका नहीं देना उचित नहीं है। इससे गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ न्याय नहीं होना है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 15 प्रतिशत पद गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से भरने का नियम है, लेकिन नियम में यह भी है कि यह सरकार तय करेगी कि कि राज्य प्रशासन सेवा और गैर राज्य प्रशासनिक सेवा से कितने पद भरने हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के पदोन्नति के पद गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के देने से उनके पद कम हो जाएंगे।
एक समय इस वर्ग का था जलवा
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में एक समय गैर राप्रसे के अधिकारियों का जलवा था। एक समय गैर राप्रसे से आईएएस प्रमोट हुए अफसरों की प्रदेश में धाक थी।  एसके मिश्रा सीएम के पीएस, सचिव खनिज, पीएस जनसंपर्क रहे हैं। राकेश श्रीवास्तव जनसंपर्क आयुक्त, आबकारी आयुक्त, इंदौर कलेक्टर और कमिश्नर के पदों पर पदस्थ रह चुके हैं। अरुण भट्ट सीएस के ओएसडी, आबकारी आयुक्त, आयुक्त सहकारिता जैसे पदों पर रहे, वहीं वसीम अख्तर सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास, कलेक्टर विदिशा, कमिश्नर ग्वालियर आदि पदों पर रहे।  वीके बाथम भी पीएस रहे। वर्ष 2000 में गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर को आईएएस में सिलेक्शन ग्रेड मिला था। इसमें पहले आईएएस जनसंपर्क के आलोक अवस्थी थे। शारदा वर्मा, और पिछले साल वाणिज्यिक कर के सहायक आयुक्त गोपाल वर्मा को आईएएस का सिलेक्शन ग्रेड मिला। प्रमोशन देने 56 वर्ष तक की आयु के अफसरों को डीपीसी में लिया जाता है। 2015 में गैर राप्रसे से आईएएस सिलेक्शन के लिए जिन अफसरों ने इंटरव्यू दिया, उनमें से संध्या व्यास, अक्षय श्रीवास्तव, अमिताभ अवस्थी, संजय वार्ष्णेय, विशाल नाडकर्णी अखिलेश उपाध्याय, व्हीके आरख, मयंक वर्मा तथा राजीव निगम आदि ओवरऐज हो चुके हैं, वहीं सीएस संकुले, नितिन नादगांवकर, सुरेश गुप्ता, मंगला मिश्रा आदि रिटायर हो गए। उधर, कई अफसर अभी भी आईएएस बनने की बाट जोह रहे हैं। इस संदर्भ में पीएस जीएडी कार्मिक दीप्ति गौड़ मुखर्जी का कहना है कि गैर एसएएस से आईएएस के पदों पर प्रमोशन अथवा सिलेक्शन ग्रेड देना अनिवार्य नियम नहीं है। सरकार की मंशा पर ही इन अफसरों को आईएएस में सिलेक्शन ग्रेड दिया जाएगा।

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