तीन दर्जन कॉलेजों में नहीं लिया किसी छात्र ने प्रवेश

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  • प्रदेश में अब इंजीनियरिंग कॉलेजों के हाल बेहाल, हिंदी में पढ़ाई के लिए भी नहीं मिल रहे छात्र  …

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में जगह -जगह  संचालित हो रहे  निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को अब छात्र नहीं मिल पा रहे हैं, लिहाजा साल दर साल सीटों में कटौती की जा रही है, इसके बाद भी इस साल अब तक तीन दर्जन से अधिक कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें अब तक किसी भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया है। यह हाल तब हैं जबकि इंजीनियरिंग की प्रथम चरण की काउंसलिंग पूरी हो चुकी है। पहले चरण में करीब 17 हजार विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। यह बात अलग है कि यह आंकड़ा बीते साल की तुलना में दोगुनी है, लेकिन यह भी सच है कि बीते साल कोरोना की वजह से स्थिति अलग थी। प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि के बाद भी प्रदेश के 142 कॉलेजों में तीन दर्जन कॉलेजों को अब भी छात्रों का इंतजार बना हुआ है। इनमें भोपाल के भी 16 कालेज शामिल हैं। इन कॉलेज संचालकों की नजर अब दूसरे राउंड के प्रवेश पर है। इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए दूसरे राउंड के रजिस्ट्रेशन का आखिरी दिन आज सोमवार को है। दूसरे राउंड में करीब 17 हजार 154 छात्र छात्राओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें 3 हजार 676 जेईई  मेंस एवं 13 हजार 478 क्वालीफाई राउंड के शामिल हैं। इसमें से अब तक महज 7 हजार 167 विद्यार्थियों ने च्वाइस फिलिंग की है। च्वाइस फिलिंग की आखिरी तारीख 29 सितंबर है। तीस सितंबर को मेरिट सूची जारी की जाएगी। इसके बाद विभाग पांच अक्टूबर को अलॉटमेंट जारी करेगा। विद्यार्थी 11 अक्टूबर तक प्रवेश ले पाएंगे।
दस हजार सीटें खाली
तकनीकी शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार पहले राउंड में प्रदेश के 37 इंजीनियरिंग कालेजों की दस हजार सीटों पर एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है। खास बात तो यह है कि कई कॉलेजों में छात्रों की च्वाइस के आधार पर उन्हें कम्प्यूटर साइंस की सीटे तक आंवटित कर दी गई, लेकिन बाद में जब छात्रों को उनके कॉलेजों की साख का पता चला तो उसे कैंसिल कर दिया गया।
हिंदी में पढ़ाई के लिए पहले राउंड में सिर्फ 2 कॉलेजों में 11 प्रवेश
राज्य सरकार ने प्रदेश के आधा दर्जन इंजीनियरिंग कॉलेजों की अलग-अलग ब्रांच में हिंदी में पढ़ाने का आदेश दिया था। लेकिन, इनमें प्रवेश के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा आॅनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान सिर्फ तीन इंस्टीट्यूट की ब्रांच में ही हिंदी (इंडियन और रीजनल लैंग्वेज) में पढ़ाई कराने का आप्शन आ रहा है। यह तीनों ही कॉलेज इंदौर के हैं। इनमें से दो में 11 ही छात्रों ने प्रवेश लिया है , जबकि एक इंस्टीट्यूट में कोई प्रवेश नहीं हुआ है। इधर, भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी (यूआईटी) व आरजीपीवी के ही एसआईटी शिवपुरी की 5 ब्रांच (सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रानिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन, कंप्यूटर साइंस) में भी हिंदी में पढ़ाई कराई जानी थी , लेकिन प्रवेश के लिए आॅनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया में इन इंस्टीट्यूट का आप्शन ही नहीं दिया गया है।  आरजीपीवी यूआईटी समेत अन्य शासकीय इंस्टीट्यूट इस बात की जानकारी सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं कि उनके यहां हिंदी में पढ़ाई जाएगी।
इन कॉलेजों को नहीं मिला कोई छात्र
भोपाल: आल सेंट कालेज, बगुलामुखी कालेज, भोपाल इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट कालेज, भोपाल इंजीनियरिंग एंड साइंस कालेज, आईसकॉम कालेज, कोपल कालेज, लक्ष्मीपति कालेज, मिलेनियम कालेज, मित्तल कालेज, राधारमन कालेज, राजीव गांधी कालेज, श्रीराम कालेज, सुरभी कालेज, स्वामी विवेकानंद कालेज और व्हीएनएस कालेज ।
राज्य: आदित्य कालेज सतना, अस्ट्राल कालेज इंदौर, बेथेस्दा कालेज ग्वालियर, गिरधर शिक्षा एवं समाज सुधार कालेज मंडीदीप, ग्लोबल कालेज बडवानी, गुरूरामदास खालसा कालेज जबलपुर, ग्वालियर इंस्टीटयूट आफ इंफामेज्शन टेक्नालाजी ग्वालियर, इंस्टीट्यूट आफ पीपुल्स साइंस एंड टेक्नालाजी चित्रकूट, मथुरा देवी कालेज इंदौर, नागाजी कालेज ग्वालियर, रीवा इंजीनियरिंग कालेज रीवा, संघवी कालेज इंदौर, सरस्वती इंस्टीट्यूट जबलपुर, सतपुड़ा इंजीनियरिंग कालेज बालाघाट, एसजीबीएम कालेज जबलपुर, शिवकुमार सिंह कालेज इंदौर, श्रीजी इंस्टीटयूट जबलपुर, श्री रामा कृष्णना कालेज सतना, श्री रावतपुर सरकार कालेज दतिया, श्री परशुराम कालेज खंडवा, विक्रांत इंस्टीट्यूट इंदौर और स्नेग्सजू कालेज देवास ।

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