नहीं हटेगा कोई शिव गण सिर्फ चार चेहरे लेंगे शपथ

भाजपा

हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी साल होने की वजह से अब भाजपा का फोकस अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं को खुश रखने पर हो गया है। इसी कड़ी में अब प्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार भी करना तय कर लिया गया है। चुनाव की बेला में अब संगठन अपने किसी भी मौजूदा मंत्री को नाराज नहीं करना चाहता है, लिहाजा सिर्फ मंत्रिमंडल विस्तार करने का निर्णय लिया गया है, जबकि पूर्व में करीब इतने ही मंत्रियों को हटाने की तैयारी की जा रही थी। इसकी वजह से अब विस्तार के समय महज चार नए चेहरों को ही शपथ दिलाई जाएगी। गौरतलब है कि प्रदेश मंत्रिमंडल में अभी महज चार पद ही रिक्त हैं। इसकी वजह है प्रदेश में विधायकों की संख्या के हिसाब से कुल 35 ही मंत्री बनाए जा सकते हैं। वर्तमान में 31 मंत्री हैं। जिनके नाम मंत्री बनाए जाने वालों की सूची में शामिल हैं, उनमें विजय राघौगढ़ से विधायक संजय पाठक, रीवा से राजेन्द्र शुक्ला का नाम प्रमुख है। इसकी वजह है यह दोनों ही पूर्व मंत्री रह चुके हैं और  जहां से आते हैं, उन दोनों ही अंचलों का प्रतिनिधित्व अभी प्रदेश मंत्रिमंडल में कम है। शुक्ला विंध्य और पाठक महाकौशल अंचल से आते हैं। दोनों ही नेता पूर्व में शिव मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा जोबट से उप चुनाव जीतकर आई सुलोचना रावत का भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है। उन्हें दल बदल कराते समय मंत्रिमंडल में शामिल करने का भरोसा दिया गया था। वहीं बुंदेलखंड से हरिशंकर खटीक को मौका मिल सकता है। खटीक पूर्व में राज्यमंत्री रह चुके हैं और अभी पार्टी के महामंत्री हैं। दरअसल यह वे नाम हैं जिन्हें पहले मौका दिया जाना तय माना जा रहा था, लेकिन श्रीमंत और उनके समर्थक विधायकों द्वारा दलबदल कर भाजपा में शामिल होने के बाद बदली हुई परिस्थितियों की वजह से इन्हें अब तक मंत्री बनने का मौका इस बार सरकार में नहीं मिल सका है। अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में महज आठ माह का ही समय रह गया है, ऐसे में संगठन इस मामले में और देरी नहीं करना चाहता है। लिहाजा इसके लिए सत्ता व संगठन में लगातार मंथन का दौर जारी है।
प्राधिकरणों में कभी भी हो सकती हैं नियुक्तियां
उपेक्षित नेताओं को साधने और जातीय और सामाजिक संतुलन साधने के लिए भाजपा जल्द ही शेष बचे निगम-मंडल और विकास प्राधिकरणों में  राजनीतिक नियुक्तियां करने की तैयारियां कर रही है।  प्राधिकरणों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की घोषणा कभी भी की जा सकती है। बीते रोज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसको लेकर राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितांनद शर्मा के साथ नामों को लेकर मंथन किया है। यह मंथन बैठक अचानक बुलाई गई थी। इसकी वजह से भाजपा के दावेदारों में बेचैनी बढ गई है। मुख्यमंत्री रात करीब आठ बजे अचानक प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे। यहां संगठन नेता पहले से मौजूद थे। सूत्रों की माने तो बैठक में सबसे पहले विधानसभा क्षेत्रों में निकल रही विकास यात्राओं को लेकर चर्चा की गई। इसमें इन यात्राओं के जरिए संगठन कैसे लोगों को ज्यादा से ज्यादा पार्टी से जोड़े इसकी कार्ययोजना बनाने पर बात की गई सीएम ने विकास यात्राओं के बारे में विस्तार से संगठन को जानकारी दी।  इसके साथ ही खाली पड़े निगम मंडलों में जल्द नियुक्तियों पर चर्चा की गई। गौरतलब है कि इंदौर विकास प्राधिकरण को छोडक़र प्रदेश के सभी बड़े जिलों के विकास प्राधिकरण खाली चल रहे हैं। संगठन की सलाह पर मुख्यमंत्री इन विकास प्राधिकरणों में जल्द नियुक्तियां करेंगे। बताया जाता है कि इनमें देवास, ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल, जबलपुर समेत विंध्य और बुंदेलखंड विकास प्राधिकरणों में नियुक्ति पर की गई है। भोपाल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के लिए सुनील पांडे और कृष्ण मोहन सोनी के नामों की चर्चा है। इसी तरह से ग्वालियर मेला प्राधिकरण का अध्यक्ष भी जल्द घोषित करने पर विचार किया गया। ग्वालियर विकास प्राधिकरण में पूर्व जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी, सुरेन्द्र शर्मा, रमेश अग्रवाल और समीक्षा गुप्ता के नामों पर चर्चा की बात कही जा रही है। इनमें सुरेन्द्र शर्मा और रमेश अग्रवाल  ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक माने जाते हैं। समीक्षा गुप्ता पूर्व में मेयर रह चुकी हैं, तो कमल माखीजानी कुछ समय पहले तक जिलाध्यक्ष थे। इसके अलावा वेदप्रकाश शर्मा और सुभाष शर्मा के नाम भी चर्चा में बताए जा रहे हैं। इनमें किसी एक नेता के नाम पर सहमति बनानी है। वहीं देवास में ओम जोशी और सुभाष शर्मा के नाम हैं। इसके अलावा राजू खंडेलवाल का नाम भी संगठन की तरफ से आगे किया जा रहा है। उज्जैन में अनिल जैन कालूहेड़ा, सत्यनारायण अग्रवाल और राजेंद्र भारती जबकि जबलपुर में दीपांकर बनर्जी, अंचल सोनकर और आशीष दुबे के नाम चर्चा में है। वहीं बुंदेलखंड और विंध्य विकास प्राधिकरण में भी तीन-तीन नामों का संगठन ने पैनल बनाया है। प्रदेश की शिव सरकार खजाने की माली हालत खराब होने का बहाना बनाकर सरकार बनने के बाद से ही राजनैतिक नियुक्तियां टालती रही है।
घोषणा पर अमल नहीं
प्रदेश में कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदारी का अनुभव कराने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगभग सवा साल पहले सरकारी दीनदयाल अंत्योदय समितियों के गठन की घोषणा की थी। तब कहा गया था कि इनका गठन नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत के पहले कर दिया जाएगा। लेकिन इस घोषणा पर भी अब तक कोई अमल नहीं हुआ है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गठित होने वाली इन समितियों के सदस्यों का दायित्व होगा कि वह हितग्राहियों की पहचान कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने व योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ी रोकने के लिए मॉनिटरिंग करना। यह समितियां ग्राम पंचायत, ब्लॉक, जिला, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और प्रदेश स्तर तक गठित होनी हैं। इनमें ग्राम पंचायत स्तरीय समितियों में 5-5, नगर पंचायत में 7-7, ब्लॉक एवं नगर पालिका स्तर की समितियों में 11-11 सदस्य, नगर निगमों में 21, जिला स्तरीय समितियों में 25 और राज्य स्तरीय अंत्योदय समिति में 51 सदस्य नियुक्ति किए जाना हैं।

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