पीडब्ल्यूडी: पदस्थापना में कोई नियम नहीं

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भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में लोक निर्माण विभाग के जिस तरह जमीनी काम में मनमर्जी दिखाई देती है वैसे कार्यालयीन मामलों में भी इसके उदाहरण देखने को मिल जाते हैं। आमतौर पर विभाग में मुख्य अभियंता पद पर दो साल से ज्यादा की पोस्टिंग नहीं होती है लेकिन नौ ऐसे चीफ इंजीनियर हैं जो ढाई साल से लेकर चार साल से एक ही कुर्सी पर जमे हैं। अभी भी उनके उन पदों से हटने की संभावना नहीं दिख रही है।
मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में इन दिनों मनमर्जी से काम चल रहा है और नियम हैं मगर उन्हें नजरअंदाज कर कामकाज हो रहे हैं। कार्यालयीन कामकाज में भी अफसरों के प्रभारों को बदलने की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। जबकि पहले आमतौर पर इंजीनियरों के प्रभार बदले जाने को लेकर कवायद चलती रहती थी, जिससे अनियमितताओं के प्रतिशत में कमी भी आती थी। आपको बता रहे हैं चीफ इंजीनियरों की पोस्टिंग में किस तरह नियम अनदेखे किए जा रहे हैं।
चीफ इंजीनियर कई सालों से जमे एक कुर्सी पर
लोक निर्माण विभाग में वैसे तो पदोन्नति नहीं हो रही है ,लेकिन प्रभार देकर अधिकारियों को काम सौंप गए हैं। मगर चीफ इंजीनियरों के मामले में प्रभार में भी समयावधि का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। एससी वर्मा, एसएल सूर्यवंशी और आरएल वर्मा चीफ इंजीनियर हैं ,जो कमलनाथ सरकार के समय से जिस पोस्ट पर थे आज भी वहीं पदस्थ हैं। एससी वर्मा जबलपुर तो आरएल वर्मा सागर परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता बने हैं तो सर्यवंशी पीआईयू में अतिरिक्त परियोजना अधिकारी की भूमिका में 21 फरवरी 2019 से पदस्थ हैं। कमलनाथ सरकार गिरने के अंतिम क्षणों में एसआर बघेल और केपीएस राणा को जो पोस्टिंग दी गई थी , तब से वे भी  वहीं पर पदस्थ हैं। बघेल अतिरिक्त परियोजना अधिकारी इंदौर तो राणा राष्ट्रीय राजमार्ग में चीफ इंजीनियर हैं। शिवराज सरकार आने के बाद 18 सितंबर 2020 को आरके अहिरवार को अतिरिक्त परियोजना अधिकारी जबलपुर बनाया गया था तो 20 दिसंबर 2020 को वीके आरख, संजय मस्के और संजय खांडे को जो पोस्टिंग दी गई थी, वे आज भी वहीं पर पदस्थ हैं। आरख को अतिरिक्त परियोजना अधिकारी ग्वालियर हैं तो मस्के राजधानी परिक्षेत्र और खांडे सेतु परिक्षेत्र में पदस्थ हैं।

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