- बीना विधायक की सदस्यता पर असमंजस बरकरार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
भाजपा में शामिल होने के करीब 6 माह बाद भी सागर जिले की बीना सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता को लेकर असमंजस बरकरार है। आज तक की स्थिति में निर्मला सप्रे न इनके साथ है, न उनके साथ यानी वे न कांग्रेस में हैं और न ही भाजपा की हो पाई हैं। संभवत: पूर्व कांग्रेस विधायक दिनेश अहिरवार और सचिन बिरला के नक्शे कदम पर चलते हुए वे अपना कार्यकाल पूरा करना चाहती हैं। शायद यही वजह है कि उन्होंने अभी तक विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है।
दरअसल, गत दिनों भाजपा संगठन की बैठक में शामिल होने पहुंची बीना विधायक निर्मला सप्रे ने बड़ा बयान दिया था कि मैंने भाजपा की सदस्यता नहीं ली है। वह लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हुई थीं। लेकिन हाल ही में विधानसभा को उन्होंने हलफनामा दिया था कि कांग्रेस न छोडक़र उसी पार्टी से विधायक रहने का हलफनामा दिया है। ऐसे में अब इस पर राजनीति होनी तय मानी जा रही है कि आखिर निर्मला सप्रे किस पार्टी से हैं। बीना विधायक निर्मला सप्रे को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पा रही है। सप्रे को अभी भी बीना के जिला बनने की उम्मीद है। हालांकि पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह खुरई को जिला बनाना चाहते है, ऐसे में फिलहाल सप्रे की यह मांग अधर में लटक गई है। सूत्रों की माने तो सप्रे फिलहाल अपना यह कार्यकाल इसी तरह निकाल सकती है। सप्रे से जुड़े सूत्रों का दावा है कि वे पूर्व विधायक दिनेश अहिरवार और बड़वाह से कांग्रेस विधायक रहे सचिन बिरला की तरह अपना कार्यकाल पूरा करना चाहती है। इधर कांग्रेस निर्मला सप्रे की स्थिति को साफ कराने की लिए दीपावली पर्व के बाद एक्शन में आएगी और एक बार फिर से विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेसी मिलकर निर्मला सप्रे की स्थिति को साफ कराने का आग्रह कर सकते है।
कार्यकाल पूरा करने का प्लान
गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने 5 मई को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुई। बताया गया कि सप्रे ने कांग्रेस छोडक़र भाजपा की सदस्यता ले ली है। उन्होंने खुद अपने इस कदम को बीना के विकास के हित में बताया था। हालांकि, निर्मला सप्रे ने अभी तक विधानसभा की सदस्यता और कांग्रेस से विधिवत इस्तीफा नहीं दिया है। कांग्रेस ने जब उनकी सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से शिकायत की तो सप्रे ने कहा कि वे अभी भाजपा में शामिल नहीं हुई हैं। इसके बावजूद लगातार भाजपा के कार्यक्रमों और बैठकों में शामिल हो रही हैं। सूत्र बताते हैं कि निर्मला जतारा के पूर्व विधायक दिनेश अहिरवार और बड़वाह से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते सचिन बिरला की तरह अपना कार्यकाल पूरा करने के प्रयास में हैं। ऐसे मामलों में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा निर्णय लेने में बरती गई ढिलाई से विधायकों को फायदा मिल जाता है और वे मौजूदा कार्यकाल पूरा कर लेते हैं।
अनिर्णय की स्थिति में निर्मला सप्रे
तब निर्मला ने स्वयं कहा कि था कि उनके द्वारा यह कदम बीना के विकास के हित में लिया है। लेकिन तब से अब तक बीना को जिला बनाने की न तो घोषणा हो सकी है और न ही निर्मला सप्रे ने विधानसभा की सदस्यता और कांग्रेस से अधिकृत तौर पर इस्तीफा दिया है। पिछले दिनों जब कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर से निर्मला सप्रे की शिकायत की और उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे अभी भाजपा में शामिल नहीं हुई है। पिछले दिनों भाजपा मुख्यालय में पार्टी की एक बड़ी बैठक में निर्मला सप्रे दिखाई दी। हालांकि वे जल्द ही वहां से लौट गई, लेकिन उनके इस्तीफे पर कोई फैसला सामने नहीं आया। बैठक के बाद विधायक से जब सवाल पूछा गया कि वे किस पार्टी में है, तो उन्होंने साफ जवाब नहीं दिया, अलबत्ता कहा कि आप सब समझ ही रहे है। जल्दी ही अच्छी खबर आने वाली है। हालांकि अब तक सप्रे के लिए अच्छी खबर बाहर नहीं आ पा रही है।
बीना को जिला बनाने का दांव अटक गया
सागर की बीना तहसील को जिला बनाने की मांग लंबे समय से हो रही है। 2023 के विधानसभा चुनाव में सागर जिले की एकमात्र बीना विधानसभा सीट पर ही कांग्रेस को जीत मिली थी। निर्मला सप्रे ने चुनाव के दौरान बीना को जिला बनाने और यहां रिंग रोड बनवाने का वादा किया था, लेकिन सरकार भाजपा की बन गई। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बीना को जिला बनवाने और क्षेत्र की मांगों को पूरा कराने के लिए निर्मला लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हो गईं। जैसे ही बीना को जिला बनाने की सुगबुगाहट शुरू हुई, पड़ोसी विधानसभा खुरई के लोगों ने भी खुरई जिला बनाओ आंदोलन तेज कर दिया। खुरई बंद भी रखा गया। स्थानीय भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह खुरई को जिला बनवाने की कोशिश में हैं। विवाद से बचने के लिए सरकार ने प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग बनाकर संभाग, जिले, तहसीलों की सीमाएं नए सिरे से तय करने का आदेश जारी कर दिया। रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव को इस आयोग में बतौर सदस्य शामिल किया गया। ऐसे में जिला बनाने का दांव चूकीं निर्मला अब अपना कार्यकाल पूरा करने की जुगत में हैं।