- साढ़े तीन माह बाद भी सदस्य भाजपा की और विधायक कांग्रेस की….
- विनोद उपाध्याय
5 मई को भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाली बीना विधायक निर्मला सप्रे करीब साढ़े तीन माह बाद भी विधायक पद से इस्तीफा नहीं दे पाई हैं। वहीं निर्मला सप्रे विधानसभा को भी नहीं बता पाईं हैं कि वे विधायक पद से इस्तीफा क्यों नहीं दे रहीं। जानकारों का कहना है कि शायद उन्हें भी इमरती देवी वाला डर सता रहा है। इमरती देवी को एससी होने के कारण डबरा से कांग्रेस के टिकट पर जीत मिली थी। मगर फिर उन्हें दलबदल के बाद हार मिली। यहां तक की विधानसभा चुनाव 2023 में भी इमरती देवी को हार का मुंह देखना पड़ा था। जानकारों का कहना है कि निर्मला सप्रे को इमरती देवी की कहानी याद आ रही होगी। ऐसा जरूरी नही की वह कांग्रेस को छोड़कर भाजपा की टिकट पर लड़े और यहां भी जीत हासिल कर लें।
गौरतलब है कि विधानसभा ने बीना से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे के खिलाफ दलबदल के तहत नोटिस जारी किया है। विधानसभा कार्यालय ने उन्हें जवाब देने के लिए 10 दिन का समय दिया है। लेकिन तकरीबन एक माह का समय होने को है, लेकिन निर्मला सप्रे ने अभी तक विधानसभा सचिवालय का इस्तीफा न देने की स्थिति का कारण नहीं बता पाई हैं। उधर, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि निर्मला सप्रे अब कांग्रेस में ही रहना चाहती हैं और वह पार्टी के आला नेताओं से मिलकर भाजपा में शामिल होने की हालातों के बारे में अपना पक्ष रखना चाहती हैं। दूसरी तरफ भाजपा चुप्पी इसलिए साधे है कि उसके पास पर्याप्त संख्या बल है, उसे किसी तरह की विधायक तोड़ने की जरूरत नहीं है। चुनाव के दौरान कांग्रेस का मनोबल तोडऩे के लिए उनके द्वारा चली गई चाल कामयाब हो चुकी है।
जवाब मिलने के बाद ही कार्रवाई
विधानसभा सचिवालय ने 24 जुलाई को विधायक निर्मला सप्रे को पत्र जारी किया था। इसमें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की याचिका का हवाला देते हुए उनसे विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं देने के संबंध में जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। उनसे पत्र की प्राप्ति के 10 दिन की अवधि में अध्यक्ष के समक्ष जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया था। पत्र जारी हुए 27 दिन हो गए, लेकिन उन्होंने अब तक इसका जवाब नहीं दिया है। उन्होंने जवाब देने के लिए विधानसभा सचिवालय से समय मांगा है। विधानसभा सचिवालय सभा के अधिकारियों का कहना है कि विधायक निर्मला का जवाब प्राप्त होने के बाद ही इस संबंध में आगे की कार्रवाई की जा सकेगी। विधायक निर्मला सप्रे का कहना है कि उन्होंने पत्र का जवाब देने के लिए विधानसभा से एक महीने का समय मांगा है। इस अवधि में वे पत्र का जवाब दे देंगी। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने पिछले दिनों मप्र विधान सदस्य (दल परिर्वतन के आधार पर निरर्हता) नियम, 1986 के अंतर्गत विधानसभा अध्यक्ष को याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया है कि विधायक निर्मला सप्रे ने कांग्रेस की सदस्यता त्याग कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है, इसलिए निर्मला को विधानसभा की सदस्य निरर्ह घोषित कर उनकी सदस्यता समाप्त की जाए। इसी याचिका के आधार पर विधानसभा सचिवालय ने निर्मला सप्रे को पत्र जारी किया है। गौरतलब है कि बीना विधायक निर्मला सप्रे गत 5 मई को कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो गई थीं। इसके बाद से ही कांग्रेस उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने की मांग कर रही है। हालांकि उन्होंने अब तक विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है।
…तो मैं इस्तीफा दे दूंगी
गौरतलब है कि बीना विधायक निर्मला सप्रे पहले ही कह चुकी हैं कि बीना को जिला बनाने सहित अन्य विकास के वादे 50 प्रतिशत भी पूरे होते हैं, तो मैं विधायक पद से इस्तीफा दे दूंगी। मुझे विश्वास है कि बीना विकास को लेकर मेरी सभी मांगे जल्दी ही पूरी हो जाएंगी। निर्मला सप्रे का कहना है कि पार्टी जब बोलेगी तब मैं इस्तीफा दे दूंगी, लेकिन निर्मला सप्रे से सवाल किया गया कि इस्तीफा देने से क्या पार्टी ने ही रोका है, तब सप्रे ने कहा कि मेरी आधी मांगे भी मान ली जाती है तो मैं रिजाइन दे दूंगी। गौरतलब है कि बीना को जिला बनाने, रिंग रोड और सिंचाई परियोजना सहित 12 मांगे विधायक सप्रे ने रखी थी। बीना को जिला बनाने की यू तो कई बार मंचों से घोषणा की जा चुकी है, लेकिन इस बार विधायक सप्रे चाहती है कि बीना को जिला बनाने का नोटिफिकेशन ही जारी हो और अन्य कार्यवाहियां शुरू हो जाये।
अभी तक नहीं दिया विधायक पद से इस्तीफा
बता दें कि बीना विधायक निर्मला सप्रे को भाजपा में शामिल हुए साढ़े तीन महीने से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन उन्होंने अभी तक कांग्रेस के विधायक के तौर पर इस्तीफा नहीं दिया है। निर्मला सप्रे विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीती थीं। भाजपा में शामिल होने के बाद वे अब भी कांग्रेस विधायक हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश के सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे बीते मई महीने में भाजपा में शामिल हो गईं थीं। उन्होंने कांग्रेस छोडऩे का फैसला लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान से दो दिन पहले लिया। इस दौरान निर्मला सप्रे ने अपने फैसले के बारे में बताते हुए कहा था कि कांग्रेस में रहते हुए कोई इस क्षेत्र में विकास नहीं ला सकता, क्योंकि वहां न तो कोई सरकार है और न ही कोई एजेंडा। जब पूरा देश और राज्य विकास का अनुभव कर रहा है, तो हमारे बीना को क्यों छोड़ा जाना चाहिए?