मप्र में बनाई जाएगी निर्मल नर्मदा कार्ययोजना

निर्मल नर्मदा कार्ययोजना

नर्मदा को अविरल और स्वच्छ बनाने का लक्ष्य

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की लाइफ लाइन नर्मदा नदी को स्वच्छ बनाने और उसके आसपास के क्षेत्रों को विकसित करने के लिए मप्र सरकार एक खास योजना बनाने जा रही है। इसके तहत मप्र में नमामि गंगे की तर्ज पर अब निर्मल नर्मदा कार्ययोजना पर काम किया जाएगा। इसके पीछे सरकार का फोकस इस बात पर है कि मप्र की जीवनदायिनी नर्मदा नदी को अविरल और स्वच्छ बनाया जाए। इसके लिए मप्र सरकार  नमामि गंगे की तर्ज पर प्रदेश में बनेगी निर्मल नर्मदा कार्ययोजना बनाएगी। जानकारी के अनुसार निर्मल नर्मदा कार्ययोजना के तहत नगरीय विकास एवं आवास, नर्मदा घाटी विकास और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मिलकर नर्मदा की जल धारा को स्वच्छ एवं निर्मल बनाए रखने के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाएंगे। इसके आधार पर योजना में खर्च होने वाली राशि की मांग केंद्र के जल शक्ति मंत्रालय से की जाएगी। कार्ययोजना में नर्मदा किनारे के ग्रामीण क्षेत्रों में सीवेज ट्रीटमेंट लगाए जाएंगे। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा है कि प्रदेश के जिन निकायों के शहरों में अभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण में विलंब हो रहा है, उनकी प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा की जाए और कार्य शीघ्र पूरा किया जाए।
विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारी
मप्र सरकार द्वारा जो निर्मल नर्मदा कार्ययोजना बनाई जाएगी उसमें नगरीय विकास एवं आवास, नर्मदा घाटी विकास और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को अलग-अलग जिम्मेदारी दी जाएगी। नगरीय विकास एवं आवास विभाग नदी में नालों का गंदा पानी मिलने से रोकेगा, पंचायत विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में पौधारोपण वं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाएगा। एनवीडीए वन विभाग के साथ नर्मदा के कैचमेंट क्षेत्र में पौधारोपण कराएगा। बता दें कि बस्तियों का गंदा पानी सीधे नदी में मिलने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 16 नगरीय निकायों पर 79.44 करोड़ की पेनाल्टी लगा चुका है।  गौरतलब है कि अमरकंटक से आरंभ होकर खम्बात की खाड़ी में मिलने वाली 1312  किलोमीटर लंबी  नर्मदा नदी की  मध्य प्रदेश में लंबाई 1077 किलोमीटर है। नर्मदा किनारे 21 जिले, 68 तहसीलें, 1138 ग्राम और 1126 घाट हैं। नर्मदा. किनारे 430 प्राचीन शिव मंदिर और दो शक्तिपीठ विद्यमान हैं। साथ ही कई स्थान और घाटों के प्रति जनसामान्य में पर्याप्त आस्था और मान्यता है।
जीआईएस और ड्रोन से होगा सर्वे
नर्मदा नदी के दोनों ओर के क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए जीआईएस और ड्रोन से सर्वे कराया जाएगा। नर्मदा परिक्रमा को प्रमुख धार्मिक पर्यटन गतिविधि के रूप में विकसित किया जाएगा। नदी में मशीनों से खनन गतिविधियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। परिक्रमा पथ पर आने वाले स्थानों को चिन्हित कर पंचायतों के जरिए विकास कराया जाएगा। परिक्रमा करने वालों के लिए होम स्टे विकसित किए जाएंगे। नर्मदा नदी के दोनों ओर रहने  वाले जनजातीय बहुल क्षेत्र में साल और सागौन का पौधा रोपण कर जड़ी बूटियों की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। नदी के दोनों तरफ पांच किलोमीटर तक प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।

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