नए नवेले माननीय भी वजीर बनने की लाइन में

नए नवेले माननीय
  • एक दर्जन विधायकों के नामों की है चर्चा  

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा आलाकमान द्वारा जिस तरह से तीन सूबों के मुख्यमंत्रियों के नाम तय किए गए हैं, उससे नए नवेले माननीय भी बजीर बनने की लाइन में लगने की कवायद में लग गए हैं। इसमें भी खासतौर पर जिस तरह से राजस्थान में पहली बार के विधायक को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया गया है, उससे भी  सर्वाधिक पहली बार के विधायकों के मन में मंत्री बनने के लड्डू फूटने लगे हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने भोपाल आए यह विधायक अभी भोपाल में ही डेरा डाले हुए हैं। उन्हें लग रहा है कि पता नहीं कब उनकी किस्मत का भी ताला खुल जाए। इसके लिए उनके द्वारा प्रदेश कार्यालय में संगठन के बड़े नेताओं से मिलकर अपना बॉयोडाटा और विधानसभा में जीत के अंतर के साथ ही सामने वाले उम्मीदवार से वजनदार होने की जानकारी दी जा रही है। कुछ विधायकों का तो तर्क यह भी है कि उन्हें ऐसी सीट पर चुनाव में उतारा गया था , जो न केवल कठिन मानी जाती है, बल्कि भाजपा को भी जीत की उम्मीद नहीं थी। यही नहीं कई नए विधायक इन दिनों भोपाल से लेकर दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि दिल्ली में पार्टी आलाकमान के पास अपना पक्ष रखने से शायद कोई बात बन जाए। कुछ का तो कहना साफ है कि पहली बार के विधायक जरुर हैं, मगर उनमें काम करने की क्षमता है और वे जातिगत और क्षेत्रीय  समीकरण में भी फिट बैठते हैं। इसका फायदा भी पार्टी को मिलना तय है।
यह चेहरे बने पहली बार विधायक
भोपाल की दक्षिण पश्चिम सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री पीसी शर्मा को हराकर भगवानदास सबनानी विधायक बने हैं। वे लंबे समय से संगठन में कई पदों पर काम कर चुके हैं। वे सिंधी समाज से भी आते हैं। उन्हें प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का करीबी माना जाता है। इसी तरह से इंदौर की राऊ सीट से मधु वर्मा ने भी कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को शिकस्त दी है। इंदौर तीन से गोलू शुक्ला, जबलपुर उत्तर मध्य से अभिलाष पांडे ने कांग्रेस के विनय सक्सेना को पराजित किया है। पांडे भी वीडी शर्मा के विश्वस्त लोगों में माने जाते हैं। लांजी से राजकुमार कर्राए ने कांग्रेस नेता हिना कांवरे को पराजित किया है। शाजापुर से अरुण भीमावत इन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा को पराजित किया है। लहार से अम्बरीश शर्मा जिन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह को शिकस्त दी है। उन्हें अब तक अपराजेय माना जाता रहा है। चाचौड़ा से प्रियंका मीणा इन्होंने कांग्रेस के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को पराजित किया है।
मुलताई से चंद्रशेखर देशमुख ने पूर्व मंत्री कांग्रेस नेता सुखदेव पांसे को हराया है। उदयपुरा से नरेंद्र शिवाजी पटेल ने  कांग्रेस के विधायक देवेंद्र पटेल को पराजित किया है। कालापीपल से घनश्याम चंद्रवंशी ने कांग्रेस के विधायक एवं पूर्व प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष कुणाल चौधरी को हराया है। मनासा से अनिरुद्ध माधव मारू ने पूर्व मंत्री नरेंद्र नाहटा को पराजित किया है। मध्यप्रदेश में गठित होने वाले नए मंत्रिमंडल में अगर इनमें से किसी को जगह मिल जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। इसकी वजह है भाजपा की पहचान अब इस तरह के नए प्रयोग के लिए होने लगी है।

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