- गौरव चौहान

बहुप्रतिक्षित नई तबादला नीति का खाका तैयार कर लिया गया है। माना जा रहा है कि नई नीति को इस माह कैबिनेट अपनी मंजूरी प्रदान कर देगी। इसके साथ ही अगले दो माह तक कर्मचारियों के तबादले का मौसम रहेगा। इन दो माह में कर्मचारी अपना तबादला करा सकेगें। नई नीति लंबे समय से अटकी थी, इसे लेकर कर्मचारी बेहद परेशान चल रहे हैं। यह बात अलग है कि इस बीच कई विभागों में थोकबंद तबादले होते रहे हैं। नगरीय प्रशासन से लेकर वित्त विभाग और आबकारी से लेकर पुलिस विभाग की बड़ी -बड़ी तबादला सूचियां बगैर नई तबादला नीति के ही जारी हो चुकी हैं।
सूत्रों की माने तो एक बार फिर से नई तबादला नीति का खाका खींच लिया गया है। इसके तहत प्राथमिकता के आधार पर तबादले की अर्जी स्वीकार की जाएगी। नई नीति में किए गए प्रावधान के तहत पहले कर्मचारी और उसके परिवार की जरूरत देखी जाएगी। उसके बाद पूर्व में तबादले की जानकारी ली जाएगी। इसमें उस आवेदन को प्राथमिकता दी जाएगी जिस कर्मचारी द्वारा लंबे समय से तबादला नहीं कराया गया था। इसी तरह से यह भी देखा जाएगा कि जहां से तबादला होना है और जहां तबादला होकर जाना है, उन दोनों कार्यालयों की जरूरतें और वहां मौजूद कर्मचारियों की आवश्यकता का भी ध्यान रखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि 2021 के बाद राज्य स्तर पर अधिकारियों की तबादला नीति में कोई संशोधन नहीं हुआ है, जिसके कारण कई अधिकारी और कर्मचारी परेशान हैं । अब, राज्य सरकार ने इसे संशोधित करके 2025 के लिए नई नीति लाने का निर्णय लिया है। यह नीति केवल राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों पर लागू होगी, जबकि जिलों के स्तर पर कोई बदलाव नहीं होगा। इस नीति में सीमित तबादलों की व्यवस्था की गई है और विभाग को अतिरिक्त तबादलों के लिए मुख्यमंत्री समन्वय में प्रस्ताव भेजने होंगे।
2021 में जब से राज्य सरकार ने तबादला नीति लागू की थी, तब से ही कई अधिकारी और कर्मचारी तबादला नीति के अभाव में परेशान हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की व्यस्तता और दौरे के चलते कई फाइलें लंबित रही हैं। इसके अलावा, मुख्य सचिव अनुराग जैन भी कई फाइलों को वापस लौटा चुके हैं। बीती कई कैबिनेट बैठक में मंत्रियों ने इस मुद्दे को उठाते हुए मुख्यमंत्री के सामने कह चुके हैं कि प्रशासनिक दृष्टि से प्रदेश में अब तबादले जरूरी हो गए हैं। इसके बाद यह निर्णय लिया गया था कि राज्य स्तर पर अधिकारियों के लिए संशोधित तबादला नीति बनाई जाए। संभावना जताई जा रही है कि इस माह कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाएगी।
प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर होंगे तबादले
नई नीति के आने के बाद मंत्रियों का काम बढ़ना तय है। इसकी वजह है आवेदनों पर प्रभारी मंत्रियों की अनुशंसा पर ही कार्रवाई होगी। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट मंत्री चाहे तो कुछ संवर्ग के तबादलों से जुड़े काम विभाग के राज्यमंत्रियों को भी दिया जा सकता है, जबकि जिलों में उन्हें यह अधिकार रहेगा।
इन्हें मिल चुका अवसर
राज्य सरकार ने जनवरी में कुछ समय के लिए कर्मचारियों को तबादला कराने के अवसर दिए थे, लेकिन ये अवसर सभी के लिए नहीं था। केवल उच्च प्राथमिकता वाले कर्मचारियों के लिए ही थे, जो कम समय के लिए थे कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी लगातार सामान्य कर्मचारियों के लिए भी अवसरों की मांग कर रहे हैं।
स्कूली अवकाश का समय
आमतौर पर मई-जून के महीने में स्कूलों में अवकाश होता है। इस बीच तबादला लेने वाले कर्मचारी के पास शिफ्ट करने का समय रहेगा। शासन की मंशा है कि तबादला लेने वाले कर्मचारियों को परिवार को एक से दूसरे स्थान पर ले जाने का समय मिलना चाहिए। ताकि वे बीच में परेशानियों से बच सकें।
2021 से नहीं हुआ कोई बदलाव
2021 के बाद राज्य स्तर पर अधिकारियों की तबादला नीति में कोई संशोधन नहीं हुआ , जिसके कारण कई अधिकारी और कर्मचारी परेशान हैें। अब, राज्य सरकार ने इसे संशोधित करके 2025 के लिए नई नीति लाने जा रही है। यह नीति केवल राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों पर लागू होगी, जबकि जिलों के स्तर पर कोई बदलाव नहीं होगा। इस नीति में सीमित तबादलों की व्यवस्था की गई है और विभाग को अतिरिक्त तबादलों के लिए मुख्यमंत्री समन्वय में प्रस्ताव भेजने होंगे।
इस तरह के भी होंगे प्रावधान
– गंभीर बीमारी या शारीरिक/मानसिक दिव्यांगता के आधार पर।
– न्यायालयीन आदेश के तहत, यदि सरकार के पास कोई अन्य कानूनी विकल्प न हो।
– गंभीर शिकायतें, अनियमितताएं, या लापरवाही के मामलों में।
– लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू, या पुलिस द्वारा आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाने पर।
– निलंबन, त्यागपत्र, सेवानिवृत्ति, पदोन्नति, या मृतक कर्मचारी की रिक्ति पर तबादला किया जा सकेगा।
– यदि किसी प्रोजेक्ट के लिए पदस्थ अधिकारी का कार्य पूरा हो चुका है तो उसका भी तबादला किया जा सकेगा।