न बिक्री बढ़ी…न उत्पादन बढ़ा

उत्पादन
  • औपचारिकता बना वन मेला

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में वन औषधियों और उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया वन मेला महज औपचारिकता बनकर रह गया है। दरअसल, वन मेले में मंत्री और अधिकारियों द्वारा वन औषधियों और उत्पादों को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो की जाती है, लेकिन उन पर क्रियान्वयन नहीं होता है। इसका असर यह देखने को मिल रहा है कि न तो वन औषधियों का उत्पादन बढ़ रहा है और न ही बिक्री।
    गौरतलब है कि तीन साल पहले तत्कालीन वन मंत्री विजय शाह ने भरोसा दिया था कि प्रदेश में विंध्य हर्बल का उत्पादन 100 करोड़ रुपए तक ले जाएंगे और जिलों में वन मेले आयोजित होंगे। लेकिन, न उत्पादन बढ़ा और न किसी जिले में वन मेला लगा। अब नए वन मंत्री ने जिलों में वन मेले लगाने की घोषणा की है। 23 साल के वन मेला इतिहास में इस बार आयोजन भोपाल हाट जैसे सीमित क्षेत्र में हुआ। मेले में 50 हजार लोगों की भागीदारी होने और हर्बल उत्पादों की बिक्री करीब 60 लाख रुपए तक होने की जानकारी दी गई है, जो पहले तीन करोड़ रुपए तक होती थी।
    बातें बड़ी-बड़ी…काम कुछ नहीं
    दरअसल, वन मेलों के दौरान बातें तो बड़ी-बड़ी की गई, लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया। प्रदेश में वन मेले की शुरुआत वर्ष 2001 में भोपाल के बिट्टन मार्केट से हुई थी। इसके बाद इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दी गई। विधानसभा चुनाव से 2023 में वन मेला नहीं लगा। इस बार का मेला अंतरराष्ट्रीय से प्रदेश स्तर पर आ गया। वहीं जिलों में भी वन मेले शुरू नहीं हो पाए। 2021 में राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा था कि हर्बल उत्पादों और उसके लाभों के संबंध में प्रचार-प्रसार हो। 2021 में के्र ता- विक्रेता  सम्मेलन के द्वारा 13 करोड़ के व्यापार में मध्यस्थों की भूमिका समाप्त की। आयुर्वेदिक चिकित्सक और वन अफसर वनों में जाएं। स्किल सेल एनीमिया के इलाज की औषधि ढूंढें। वहीं तत्कालीन वन मंत्री विजय शाह ने कहा था कि विंध्य हर्बल के उत्पादन को 100 करोड़ रुपए तक बढ़ाने का प्रयास है। 2022 के आयोजन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल का सुझाव था अगले वर्ष दोगुने लक्ष्य की प्राप्ति के प्रयास हों। उस साल 2 करोड़ से अधिक की बिक्री हुई थी। वन मंत्री रहते डॉ. विजय शाह ने बताया था कि वन मेले में 2 लाख 50 हजार नागरिक आए। लगभग 3 करोड़ रुपए के वनोपज उत्पादों का विक्रय हुआ। 28 करोड़ के एमओयू साइन, जो विगत वर्ष से दो-गुने हैं। इंदौर में फरवरी-मार्च 2023 में वन मेला लगवाया जाएगा। कम समय और कम खर्च में सफल रहा वन मेला इस वन मेले के आयोजन में लगभग 70-80 लाख रुपए खर्च हुए। इसके पहले ढाई से तीन करोड़ तक खर्च हुए। बड़े मैदान में मेला लगाने के लिए पांच माह पहले से तैयारी करना पड़ती है, इस बार 15 दिन लगे। गत वन मेले में 40 स्टॉल लगे थे, इस बार 120 थे। लघु वनोपज संघ के एमडी विभाष ठाकुर का कहना है कि वन मंत्री की घोषणा पर अलीराजपुर से जिला स्तर पर प्रारंभ करने प्रस्ताव मांगा है। वन मेले में ब्रांडेड उत्पादों से ज्यादा देशी और जंगलों का हर्बल बिका।

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