बिजली अफसरों की लापरवाही फिर पड़ेगी उपभोक्ताओं को भारी

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दर वृद्धि की याचिका पर जनसुनवाई शुरु…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बिजली कंपनियों के अफसरों द्वारा बरती जाने वाली गंभीर लापरवाही का खामियाजा ईमानदार बिजली उपभोक्ताओं को कई सालों से उठाना पड़ रहा है। दरअसल इसकी वजह है विभाग की मातहत तीनों ही बिजली कंपनियों द्वारा लाइन लॉस को कम नहीं कर पाना। हद तो यह है कि लाइन लॉस को कम करने के नाम पर हर साल यह कंपनियां भारी भरकम राशि खर्च जरुर कर देती हैं। इसके बाद भी उनका घाटा कम होने का नाम ही नहीं लेता है, फलस्वरुप उपभोक्ताओं से वसूले जाने वाले बिल की दर में वृद्धि जरुर कर दी जाती है। हद तो यह है कि इस मामले में राजनैतिक इच्छाशक्ति की भी कमी बनी हुई है। हद तो यह है कि ईमानदार उपभोक्ता अगर बिजली बिल भरने में किसी कारणवश देर कर दें तो उसकी बिजली बंद कर दी जाती है, लेकिन खुलेआम बिजली चोरी करने वालों की न बिजली काटी जाती है और न ही उनके खिलाफ कोई कदम उठाया जाता है। अकेले भोपाल में ही कई ऐसी बस्तियां हैं जहां पर खुलेआम पूरी तरह से बिजली चोरी की जाती है। अगर बिजली कंपनियों की माने तो इससे कंपनियों को हर साल करीब वितरण हानि यानि की टीएंडडी लॉस से सालाना 3,500 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस इस राशि से एक माह की खपत बराबर यानि की 7,113 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी जा सकती है। इस घाटे की भरपाई बिजली कंपनियां हर साल दाम बढ़ाकर करती हैं। इस बार भी कंपनियों ने 3.20 फीसदी बिजली दर बढ़ाने की अनुमति विद्युत नियामक आयोग से मांगी है। इस पर आज से सुनवाई हो रही है।
बिजली कंपनियों ने दिलाया भरोसा
मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी और तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के टैरिफ पिटीशन के मुताबिक, 2021-22 में ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन लॉस 24.10 फीसदी रहा है।  इनमें पूर्व और मध्य वितरण कंपनी के लिए 24.67 फीसदी और पश्चिम वितरण कंपनी के लिए 11.61 फीसदी था। मप्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा टीएंडडी लॉस का मानक 19 फीसदी तक है। हालांकि आयोग की सख्ती की वजह से बिजली कंपनियों को कुछ कदम उठाने पड़े हैं, जिससे इसमें कमी आ रही। वर्ष 2018- 19 में टीएंडडी लॉस 37.67 फीसदी था। जिसमें अब दस फीसदी की कमी आ चुकी है। हालांकि बिजली कंपनियों ने आयोग को भरोसा दिलाया है कि अगले साल 2024 तक यह 19 फीसदी तक कर लिया जाएगा। इसके अलावा इस घोटे की वजह इंटर स्टेट ट्रांसमिशन (2.63 फीसदी ) इंटर स्टेट ट्रांसमिशन लॉस (3.42 फीसदी ) भी है।
इन अंचलों से हो रहा है सर्वाधिक नुकसान
पूर्व और मध्य विद्युत वितरण कंपनियों से जुड़े कई जिलों में जमकर बिजली चोरी की जाती है। इनमें खासतौर पर चंबल, ग्वालियर बुंदेलखंड क्षेत्र शामिल है। इसकी वजह से हालात यह है कि हर साल टीएंडडी लॉस बढ़ता जा रहा है, जबकि डॉक्यूमेंट्स में कम दिखाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सिंगल कनेक्शन दिए गए हैं, वहां मीटर नहीं लगे, जो लगे भी है, तो खराब है। ऐसे में खपत का सही आंकलन ही नहीं हो पता है। 

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