अभी से दिखा रहे हैं जीत का आत्मविश्वास
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ ने साइकोलॉजिकल गेम खेलना शुरु कर दिया है। दरअसल यह पूरा खेल उनके द्वारा विपक्षी दल भाजपा का मनोबल तोड़ने के लिए खेला जा रहा है। माना जाता है कि किसी भी खेल में खिलाड़ी सामने वाले का मनोबल गिराकर मुकाबले से पहले ही आधा जीत लेता है। शायद यही वजह है कि टीम कमलनाथ ने नए साल के पहले ही दिन से इस पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। वैसे भी माना जाता है कि राजनति में कई वार दांव पेंच काम कर जाते हैं। यही नहीं कहावत भी है कि जंग में सबकुछ जायज होता है, वैसा ही हाल राजनीति में भी है। कमलनाथ को वैसे भी प्रबंधन में निपुण माना जाता है।
इस बार भी कमलनाथ बीते आम चुनाव यानि की 2018 की तरह ही अभी से पार्टी की जीत को लेकर आत्मविश्वास को दिखा रहे हैं। घोषित और अघोषित रुप से कमलनाथ कांग्रेस के प्रदेश में ऐसे नेता हैं, जो पार्टी की जीत पर मुख्यमंत्री के एकमात्र दावेदार हैं, जिस तरह के नए साल में उनके पोस्टर लगाए गए हैं, उससे तो यही संदेश जा रहा है कि वे पार्टी के अगले सीएम अभी से तय हैं। यह बात अलग है कि अब तक पार्टी हाईकमान ने उनके नाम की अधिकृत घोषणा नही की है, लेकिन उनके सीएम बनने वाले पोस्टरों ने विपक्ष के साथ ही पार्टी के उन नेताओं को भी साफ संदेश दे दिया है कि कांग्रेस की जीत के बाद वे ही अगले सीएम बनेंगे। बीते आम चुनाव के मतदान के बाद भी इसी तरह के पोस्टर लगवाए गए थे, हालांकि उस समय पोस्टर मतदाताओं का आभार जताने वाले थे, लेकिन इस बार सीएम बनने के दावे वाले हैं, लेकिन 2023 में तो चुनावी साल की शुरूआत में कांग्रेस का इन तेवरों में आना सवाल यह है कि ये केवल कांग्रेस का कॉन्फिडेंस है या कुछ और। कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव का कहना है कि असल में कांग्रेस पार्टी ने पूरे प्रदेश में नए वर्ष की शुरूआत ही इस संकल्प के साथ की है कि नए साल में एमपी में नई सरकार कांग्रेस सरकार। कमलनाथ सरकार लाने हर एक कांग्रेसी प्रतिबद्ध है। सभी जिला कांग्रेस कमेटियों द्वारा तिरंगा यात्रा भी निकाली जाएगी और यात्रा के बाद हर कांग्रेसी ये संकल्प लेगा कि नए साल में नई सरकार कमलनाथ सरकार।
पार्टी का अत्म विश्वास
मप्र में कांग्रेस की वापसी को लेकर पार्टी भी पूरी तरह से आत्मविश्वास मे है। शायद यही वजह है कि प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के बाद दिल्ली में भी राहुल गांधी मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी का बयान दे चुके हैं। जानकारों के मुताबिक यह बयान कांग्रेस के कैंपेन का ही हिस्सा है। इसी कैंपेन के एक्सटेंशन के रुप में नया साल नई सरकार के पोस्टर को भी माना जा रहा है। 2018 में कांग्रेस वक्त है बदलाव के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी। इस बार भी प्रचार की रणनीति का प्रमुख बिंदु बदलाव ही है। लिहाजा नारा नए साल में नई सरकार का दिया गया है। इस बार चुनावी साल के पहले ही दिन से प्रदेश में कांग्रेस नया साल नई सरकार, छंटेगा अंधकार आ रही है कमलनाथ सरकार जैसे नारों के साथ चुनावी माहौल तैयार करने में जुट गई है। इस बार काग्रेंस का दावा है कि वह प्रदेश में 150 सीटें जीतेगी, तो वहीं भाजपा का नारा है कि अबकि बार दो सौ पार। गौरतलब है कि बीते आम विस चुनाव में कांग्रेस को 114,बीजेपी 109 , बसपा 2 और सपा एक सीट पर जीती थी। चार सीटों पर निर्दलीय जीते थे।
भाजपा का तंज
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के इस कैंपेन पर सवाल उठाते हुए तंज कसा है। उनका कहना है कि जो कमलनाथ अपनी बनी बनाई सरकार नहीं चला पाए। वो नई सरकार क्या बना पाएंगे। मिश्रा ने कहा कि ये कांग्रेस का ख्वाब है और ख्वाब ही रहने वाला है। उन्होंने कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह का हवाला देते हुए कहा कि वे कह चुके हैं कि कांग्रेस की केवल 54 सीटें आएंगी। मंत्री मिश्रा ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत मत है इतनी भी नहीं आएंगी।
एक पंथ दो काज
कांग्रेस के कैंपेन पर नजर डाली जाए तो एक पंथ दो काज के अंदाज में पार्टी ने चुनावी साल का आगाज किया है। इस इत्तेफाक भी नहीं माना जा सकता है कि पार्टी के मीडिया विभाग से जुड़े सदस्य एक साथ नए साल में नई सरकार और कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताते हुए बधाई संदेशों के साथ पोस्टरों पर नुमाया हुए हैं। खेल के मैदान में खड़े खिलाड़ी अपने बॉडी लैग्वेंज के जरिए मुकाबले में खड़ी टीम को जिस तरह से मनोवैज्ञानिक दांव से हताश करते हैं। कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताकर कांग्रेस उसी दांव का इस्तेमाल राजनीति में कर रही है, इस बार ये एक पंथ दो काज के लिए है। एक तरफ तो चुनावी साल की शुरूआत में ही इस आत्मविश्वास के जरिए विपक्षी पार्टी का मनोबल कमजोर करना है। दूसरा जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भावी सीएम के बतौर प्रोजेक्ट किए जाएंगे तो कांग्रेस कार्यकर्ता का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। इसके अलावा इस तरह के प्रचार से आमजन में पार्टी को लेकर एक माहौल भी बनाने के प्रयास के रुप में देखा जा रहा है। नाथ राजनीति के चतुर खिलाड़ी के रुप में अपने आपको बीते चुनाव से एक साल पहले ही साबित कर चुके हैं। दरअसल चुनावी साल से कुछ माह पहले से ही कमलनाथ इस अंदाज में नजर आना शुरू हो गए थे कि सरकार बदलना तय है। उस दौरान जब भी कमलनाथ ने ब्यूरोक्रेसी पर हमला बोला तो उनके बयान में एक पंक्ति तो होती ही थी कि आज के बाद कल भी आता है। कमलनाथ अलग ढंग की राजनीति करते हैं और उनकी सियासत में ये मनोवैज्ञानिक दांव भी शामिल है।