- इसी हफ्ते से संगठन करेगा संवाद कार्यक्रम का आगाज
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के निर्णय पर सूबे में चल रही सियासत बंद होने का नाम नहीं ले रही है। यही वजह है कि शिवराज के बाद अब कांग्रेस संगठन इसका श्रेय लेने के लिए कल यानि की 15 फरवरी को कमलनाथ के सम्मान के बहाने पिछड़ा वर्ग को अपने पक्ष में लामबंद करने की तैयारी में लगी हुई है। इसके अलावा अब प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव के लिए डेढ़ साल का समय ही रह गया है। इसकी वजह से अब कांग्रेस भी अभी से संगठन को मजबूत करने के प्रयासों में लग गई है। इसके तहत अब ब्लॉक स्तर तक संवाद का कार्यक्रम भी शुरू किया जा रहा है। इसकी शुरुआत भी कांग्रेस इसी हफ्ते से विंध्य अंचल से करने जा रही है।
ओबीसी आरक्षण के मामले का श्रेय भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दे रही है और इसका प्रचार भी सभी मंचों से कर रही है। इस बीच कांग्रेस भी इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को श्रेय दे रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इसके लिए निर्णायक पहल पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा की गई थी। खास बात यह है कि इस मामले में पिछड़ा वर्ग के कुछ संगठन दोनों ही नेताओं को देने में पीछे नही रह रहे हैं। यही वजह है कि जिन संगठनों ने इस मामले में पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सम्मान किया था, उनमें से कुछ संगठन अब कमलनाथ का भी सम्मान करने जा रहे हैं। यह सम्मान समारोह मंगलवार को भोपाल के मानस भवन में आयोजित किया जा रहा है। इसमें पिछड़ा वर्ग चेतना मंच, पिछड़ा वर्ग विकास मोर्चा, ओबीसी महासभा, ओबीसी, अजा-अजजा संयुक्त मंच, साहू महासभा और लोधी किसान महापंचायत के पदाधिकारी प्रमुख रुप से शामिल हैं। इन संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले वचन पत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की घोषणा की थी। सत्ता में आने पर सरकारी भर्तियों और प्रवेश परीक्षाओं में आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया गया। हाई कोर्ट में भी इस मामले को लेकर पक्ष रखा और सत्ता परिवर्तन के बाद भी आवाज उठाई। इसका ही परिणाम है कि सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का कदम उठाना पड़ा।
कांग्रेस का संवाद कार्यक्रम 19 से
उधर,मिशन 2023 को लेकर अब पार्टी संगठन संवाद व संपर्क कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश कांग्रेस द्वारा अब ब्लॉक, जिला स्तर पर फोकस किया जा रहा है। इसके तहत निचले स्तर पर संगठन पदाधिकारियों से संवाद का सिलसिला कायम किया जाएगा। इसकी शुरुआत 19 फरवरी को कमलनाथ द्वारा रीवा जिले के मनगवां से की जाएगी। इसके बाद अलग-अलग तिथियों में अन्य जिलों में जाकर वे बैठकें कर संवाद का काम करेंगे। इस संबंध में कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इसके माध्यम से क्षेत्र की जमीनी हकीकत और पार्टी के कामकाज में आने वाली परेशानियों का पता कर उनका निराकरण भी किया जाएगा। संगठन इस काम में अन्य नेताओं को भी लगाने जा रही है। उनका कहना है कि अगले चुनाव से पहले पार्टी संगठन स्तर पर कोई कमी नहीं रहने देना चाहती है। इसलिए पार्टी ने प्रकोष्ठों का गठन कर समाज के अन्य लोगों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। निचले स्तर पर पदाधिकारियों की पूछ परख बनी रहे इसलिए अब क्षेत्रीय स्तर पर बैठकों का सिलसिला शुरू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के विंध्य अंचल से शुरू करने की वजह है बीते चुनाव में पार्टी का इस अंचल में रहा खराब प्रर्दशन। गौरतलब है कि विंध्य अंचल कांग्रेस के प्रभाव वाला इलाका होने के बाद भी बीते विस चुनाव में सबसे ज्यादा झटका इसी क्षेत्र से लगा था।
विस व लोस सीटों में भी आरक्षण की मांग
जहांगीराबाद में बीते रोज दलित पिछड़ा समाज संगठन का जिला सम्मेलन में संगठन के राष्ट्रीय संयोजक एवं मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष दमोदर सिंह यादव ने दलित एवं आदिवासी भाइयों की तरह पिछड़ा वर्ग को भी विधानसभा एवं लोकसभा में सीटें आरक्षित किए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि इसके लिए जरुरत पड़ी तो वे दिल्ली तक आंदोलन करने से पीछे नहीं रहेंगे। खास बात यह है कि यह मांग राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जेपी धनोपिया की मौजूदगी में की गई। समारोह में धनोपिया ने कहा कि प्रदेश में पिछड़ों की आबादी 50 फीसद से अधिक है। इसके बाद भी पिछड़ा वर्ग के सामाजिक संगठन अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। भाजपा सरकार ने कोई सुनवाई नहीं की। प्रदेश में 2018 में जब कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण देने का काम किया।