‘मायके’ में ही मैली हो रही नर्मदा…

नर्मदा

– मां नर्मदा के आंचल को मैला करने का सबसे बड़ा दाग जबलपुर के माथे पर….

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। भारत की प्रमुख सात नदियों में शामिल  अनुपम नर्मदा का उद्गम स्थल मप्र के शहडोल जिले का अमरकंटक है। यानी मप्र मां नर्मदा का मायका है। लेकिन नर्मदा मायके में ही सबसे अधिक मैली हो रही हैं। मां नर्मदा के आंचल को मैला करने का सबसे बड़ा दाग जबलपुर के माथे पर है। इस दाग को धोने के लिए बड़े-बड़े दावे किए गए हैं और कुछ कदम भी उठाए जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी जीवनदायिनी नर्मदा का वैभव सिमटता जा रहा है। नदी अवैध खनन और गंदगी से कराह रही है। कहीं-कहीं तो पानी आचमन योग्य भी नहीं है। दरअसल नर्मदा में सहायक नदियों के माध्यम से 200 से ज्यादा डेयरियों की गंदगी पहुंच रही है। वहीं  20 करोड़ लीटर गंदा पानी नदी-नालों से होकर नर्मदा में मिलता है। वहीं 35 से ज्यादा स्थानों पर नर्मदा में अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है। इससे नर्मदा को स्वच्छ बनाने के प्रयास सफल नहीं हो रहे हैं। जबलपुर के ग्वारीघाट में जहां रोज हजारों लोग दर्शन और स्नान-ध्यान करने पहुंचते हैं। वहीं मां नर्मदा का आंचल सबसे अधिक गंदा हो रहा था। प्रदेश में नर्मदा जल में 164 एमएलडी प्रदूषण मिलता है। इसमें 136 एमएलडी प्रदूषित जल जबलपुर में मिलता है। पवित्र नर्मदा में मिल रहे गंदे नालों को रोकने के लिए जबलपुर नगर निगम ने कवायद शुरू कर दी है। इसी कड़ी में ग्वारीघाट, सिद्धघाट की तरफ से नर्मदा नदी में मिल रहे गंदे नाले को रोकने के लिए नगर निगम यहां 100 केएलडी क्षमता वाला मल-जल शोधन संयंत्र लगवा रहा है। नगर निगम प्रशासन का दावा है कि इससे नर्मदा में सीधे गंदगी नहीं मिलेगी।
सहायक नदियों को स्वच्छ बनाने की जरूरत
एक तरफ नर्मदा को प्रदूषण से बचाने के नाम पर नगरीय सीमा में कई सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं, तो वहीं विशेषज्ञ कहते हैं कि सहायक नदियों गौर, परियट और हिरन के मलिन रहते नर्मदा को स्वच्छ नहीं बनाया जा सकता। नगरीय सीमा में जमतरा से झांसी घाट तक 60 किमी प्रवाह क्षेत्र में तीन सहायक नदी, 5 बड़े और 40 से ज्यादा छोटे नालों का दूषित पानी नर्मदा में मिल रहा है। ग्वारीघाट में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रियल टाइम मॉनीटरिंग में जल की गुणवत्ता ए ग्रेड मिला, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार ये सिस्टम केवल इसी क्षेत्र की रिपोर्ट बता सकता है। इसे पूरे जिले में नर्मदा जल की गुणवत्ता का पैमाना नहीं माना जा सकता। शाह नाला से होकर नर्मदा में गंदा पानी मिलता था। स्वामी गिरीशानंद सरस्वती व अन्य संतों की पहल पर प्राकृतिक तरीके से जल शोधन संयंत्र स्थापित कराया गया।
सहायक नदियों का पानी डी ग्रेड का
प्रदेश में कई स्थानों पर नर्मदा का पानी ए ग्रेड का है, लेकिन उसकी सहायक नदियों गौर, परियट और हिरन का पानी डी ग्रेड का है। परियट नदी में डेयरियों का गोबर व मल मिलने और मृत मवेशियों को डालने से पानी दूषित होने के साथ काला हो चुका है। जियोलॉजिकल सर्वे में खुलासा हुआ है कि डब्ल्यूएचओ के मानकों से नंदी के वर्तमान पानी की तुलना की जाए तो संतुलन पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार परियट और गौर नदी का पानी सड़ रहा है। हिरन नदी पूरी तरह से नाले में तब्दील हो रही है। वैज्ञानिक डॉ. पीआर देव का कहना है कि सहायक नदियों से बहकर आ रही गंदगी नर्मदा जल को ज्यादा दूषित कर रही है। ऐसे में गौर, परियट व हिरन नदी के जल को स्वच्छ बनाने काम करना होगा।  प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक आलोक कुमार जैन का कहना है कि नालों का गंदा पानी नर्मदा में गिरने से रोकने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। इससे स्थिति में और सुधार होगा।

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