भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार इस समय समर्थन मूल्य पर किसानों का अनाज खरीद रही है। लेकिन मप्र खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम का खजाना खाली है। ऐसे में गेहूं, चना, मसूर और सरसों की खरीदी करने के लिए निगम ने 34 हजार करोड़ रुपए का लोन लेने की योजना बनाई है। इसके संबंध में निगम ने राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भी भेजा है जिससे बैंकों से लोन दिलाने में सरकार जमानत ले सके। बता दें कि निगम पर पहले से ही 52 हजार करोड़ रुपए का लोन है। इसके बदले में निगम को हर महीने करीब 9 करोड़ रुपए का ब्याज चुकाना पड़ रहा है। निगम प्रतिवर्ष कर्ज के बोझ में दब रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण हर साल खरीदी के लिए बैंकों से लिया जाने वाला लोन है। लेकिन वह इसे बैंकों को वापस नहीं कर पाता है। मुख्य वजह यह है कि गोदामों से समय पर गेहूं उठ नहीं पाता है जिससे निगम को केंद्र और राज्य से राशि नहीं मिल पाती। केंद्र सरकार से भी प्रतिपूर्ति की राशि तभी रिलीज की जाती है जब पूरी तरह से गेहूं गोदामों से उठा लिया जाता है। पिछले 15 वर्षों के इतिहास में इस तरह से कभी नहीं हुआ की पूरी तरह से गोदामों से गेहूं उठा लिया गया हो। इससे निगम पर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है।
ब्याज की रकम भी बैंक को नहीं मिल पाती
बैंकों के ब्याज की राशि भी केंद्र और राज्य सरकार निगम को नहीं देती है। इससे ब्याज मूल कर्ज में जुड़ता जाता है। प्रदेश में वर्तमान में 150 लाख मीट्रिक टन अनाज का भंडारण है। यह 3 वर्षों से गोदामों में है । गोदामों का किराया, जहां 5 माह का देना चाहिए वह 12 माह का देना पड़ रहा है। इससे निगम की माली हालत खराब हो रही है निगम इस संबंध में सरकार को कई बार पत्र लिख चुका है लेकिन राशि की प्रतिपूर्ति और अनाज का उठाव नहीं हो रहा है।
13/04/2022
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