- आयकर के हाथ लगीं डायरियों से सामने आए नाम
- गौरव चौहान
मप्र परिवहन विभाग किस तरह से भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ था, इसका खुलासा परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों से मिली नगदी और सोने चांदी से लगाया जा सकता है। उसके ठिकानों से जो लाल व नीली रंग के कवर वाली डायरियां लोकायुक्त पुलिस के हाथ लगीं हैं, उनमें बेहद अहम जानकारियां सामने आ रही हैं। सूत्रों का कहना है कि इन डायरियों में तीन मंत्रियों सहित 14 आईएएस और आईपीएस अफसरों के नाम शामिल हैं। इनमें एक पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। इन नामों की जानकारी मिलने के बाद से ब्यूरोक्रेट से लेकर नेताओं तक में हडक़ंप की स्थिति दिख रही है। इनोवा कार व सौरभ शर्मा के निवास पर मिली डायरियों में परिवहन विभाग के तीन निरीक्षक, दो आरटीओ तथा आधा दर्जन से अधिक आरक्षक के भी नाम हैं। इसके अलावा राजनेताओं व कई आला अफसरों के नाम हैं, जिन्हें हर माह लंबी राशि जाती थी। माना जा रहा है कि डायरियों के राज पूरी तरह से बाहर आने से बड़ा भूचाल आ सकता है। इन डारियों में कई अफसरों के नाम और लेन-देन के ब्यौरा है। इससे यह तो तय है कि परिवहन विभाग में टोल नाकों के जरिए उगाही का पूरा सिस्टम बना हुआ था, जो पूरी तरह से सौरभ शर्मा के हाथ में था। इस बीच सौरभ के देश से बाहर दुबई में होने की खबर है। इसके अलावा उसके ठिकानों से भारी संख्या में निवेश के दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। सौरभ के रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसकी मर्जी के बगैर परिवहन विभाग में पत्ता तक नहीं हिलता था। सूत्रों का कहना है कि जिन अफसरों के नाम उसकी डायरियों में दर्ज हैं। उनमें से एक अफसर तो अभी ग्वालियर में पदस्थ हं,ै जबकि एक आईएएस अफसर अगले साल सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इन दोनों अफसरों का विभाग में वह बेहद करीबी था। इन्हीं ंअफसरों के कार्यकाल में उसने सर्वाधिक टोल नाके हासिल किए हैं। डायरियां मिलने और उनमें नाम और लेने देन की जानकारी सामने आने के बाद मंत्रालय में तो नामों को लेकर अफसरों से लेकर कर्मचरियों तक में उत्सुकता बनी हुई है, तो वहीं जिन अफसरों के नाम संभावित हैं, उनकी धडक़ने बड़ी हुई हैं।
राजेश-सौरभ का आपस में कनेक्शन !
आयकर विभाग ने खनन व रियल एस्टेट कारोबारी राजेश शर्मा और उससे जुड़े लोगों पर 18 दिसंबर को छापेमारी की थी। इसी दिन लोकायुक्त ने ई-7, अरेरा कॉलोनी में परिवहन के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के घर व अन्य स्थानों पर रेड की थी। लिहाजा दोनों के बीच में कनेक्शन होने की बात कही जा रही है। यह व्यावसायिक के साथ ही पारिवारिक हो सकता है।
जड़ में नए शहर का एक क्लब
इन दोनों ही मामलों की जड़ में नए शहर का एक क्लब बताया जा रहा है। क्लब से जुड़ा एक अहम व्यक्ति राजधानी में प्रॉपर्टी का बड़ा जानकार है। सूत्रों के मुताबिक उसके मार्फत काली कमाई से भोपाल और आसपास संपत्तियों की खरीद- फरोख्त की जा रही थी। उसके कारोबारी रिश्ते ग्वालियर में आईटी के छापे की जद में आए व्यावसायियों से भी जोड़े जा रहे हैं। कुल मिलाकर वो ही काले धन के इन्वेस्टमेंट का मास्टर माइंड बताया जा रहा है। आयकर विभाग की जांच में त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के मालिक राजेश शर्मा और उसके लिए ब्रोकर का काम करने वाले अन्य लोग भी जांच के घेरे में हैं। इन लोगों के घरों और कार्यालयों पर की जांच में कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। राजेश शर्मा के खिलाफ चल रही जांच अब बेनामी संपत्तियों की ओर बढ़ रही है।
फर्जी रसीद कट्टे भी मिले
मेंडोरी के जंगल में एक कार में मिला 52 किलो सोना परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार से जुड़ा बताया जा रहा है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि जब्त वाहन पर आरटीओ लिखा था। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक कार चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड है और वो सौरभ शर्मा का करीबी है। सौरभ के रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नौकरी के दौरान अफसर भी टोल पर पोस्टिंग के लिए उसके चक्कर लगाते थे। बताया जाता है कि छापे के दौरान परिवहन विभाग को कुछ नकली रसीदें भी मिली है, जो इस बात का संकेत है कि जुर्माने की राशि सौरभ शर्मा से जुड़े परिवहन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी अपने पास रखते थे।
मिलीभगत की आशंका
कार से मिले 52 किलो सोने को लेकर एक और कहानी सामने आ रही है। पूछा जा रहा है कि मेंडोरी के जंगल में कार खड़ी थी तो इसकी जानकारी स्थानीय रातीबड़ पुलिस को जब दी गई तो पुलिस ने उसे जब्त कर कार्रवाई क्यों नहीं की। पुलिस को कैसे मालूम चल गया कि इनोवा कार में सोना व रूपए है। इसके बाद इसकी सूचना लोकायुक्त को न देकर आयकर विभाग को दी गई। इसके लिए थ्योरी दी जा रही है कि अगर लोकायुक्त पुलिस सोना पकड़ती तो पूरा जब्त कर लेती। आपराधिक मामला भी दर्ज होता। आयकर विभाग की कार्रवाई से पूरा सोना सरकार के पास जाने से बचने की संभावना बन जाएगी।
अनुकंपा नियुक्ति में भी रसूख
परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा का रसूख अनुकंपा नियुक्ति में दिखा था, तब परिवहन विभाग में आयुक्त के चर्चित पीए ने सौरभ शर्मा को अपना भतीजा कहकर विभाग में अनुकंपा नियुक्ति करा दी। इसके बाद उसने भारी मात्रा में अवैध रुप से कमाई करना शुरु कर दिया। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि उसका कम से कम तीन अरब रुपए का आर्थिक साम्राज्य है। सौरभ ने परिवहन विभाग के फ्लाइंग में भी अपने तीन लडक़े लगा रखे हैं। दरअसल सौरभ शर्मा के पिता डॉ. आरके शर्मा स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सक के पद पर पदस्थ थे। जिनका निधन वर्ष 2015 में हो गया। नियमानुसार सौरभ को स्वास्थ्य विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिलना थी, लेकिन परिवहन विभाग में पदस्थ चर्चित पीए के जलवे के कारण सारे नियम कायदों को तोडक़र स्वास्थ्य विभाग के बजाए उसे परिवहन विभाग में रख लिया गया। दरअसल, नौकरी से पहले ही सौरभ शर्मा के तार चर्चित पीए से जुड़ चुके थे। उसने पीए और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का सहारा लेकर अपनी नियुक्ति स्वास्थ्य विभाग की जगह परिवहन विभाग में करा ली। अपनी नौकरी के मात्र छह साल में ही जमकर मलाई कूटी। जबकि उसके वेतनमान की बात करें तो नियमानुसार इतने समय में 40 लाख की संपत्ति अर्जित की जा सकती है। लेकिन वह अरबपति बन गया।