संगीत के प्रति मेरा जुनून ही मुझे देगा मंजिलें…

  • प्लेबैक सिंगर रक्षा श्रीवास्तव से खास बातचीत…
  • रवि खरे
रक्षा श्रीवास्तव

न पूछो कि मेरी मंजिल कहां है,
अभी तो सफर का इरादा किया है। न हारूंगी हौसला उम्र भर,
किसी से नहीं खुद से वादा किया है।

ये जुनुनी अंदाज मध्यप्रदेश की एक ऐसी युवती का है जिसने ,अपनी शहद में लिपटी आवाज और गायिकी के अनूठे अंदाज से मायानगरी मुंबई में इस ख्वाब से दस्तक दी है कि उसे बस उसकी आवाज से पहचाना जाए.. और आवाज भी ऐसी हो जिसे सुनकर लोग यह कह उठें कि… इस आवाज में सुकून है।
हम बात कर रहे हैं मूलत: भोपाल की रहवासी और एक पुरकशी आवाज की मल्लिका रक्षा श्रीवास्तव की। रक्षा हाल ही में बॉलीवुड के मशहूर गजल गायक हरिहरण के साथ एक गजल एलबम …मंजिल ए म्यूजिकल जर्नी…. में सुरों में सुर मिलाकर लाइमलाइट में आईं हैं और अब हर कोई यह कह रहा है कि यह आवाज कुछ हटकर है..

मेरा जुनून मुझे मंजिलें देगा: शब्दों की बेहतरीन अदायगी और सुरों की मिठास से सबको अपना दीवाना बना लेने वाली रक्षा को विश्वास है कि संगीत के प्रति उनका यही जुनून उन्हें एक न एक दिन उनकी मंजिल तक पहुंचायेगा… रक्षा कहती हैं , कि लीजेंड गजल सिंगर हरिहरण के साथ एलबम मंजिलें से उन्हें जो शुरुआत मिली है… संगीत के इस सफर का ऐसा आगाज नसीबों से मिलता है और मेरा यही नसीब और जुनून मुझे कुछ हटकर करने की प्रेरणा देता है।

6 साल से गायन की शुरुआत: रक्षा का बचपन भोपाल की गलियों में बीता है.. परिवार की बात करें तो संगीत से दूर दूर तक किसी का नाता नहीं रहा….. पुलिस और प्रशासनिक परिवेश में पली बढ़ी रक्षा को न जाने कहां से संगीत का ऐसा चस्का लगा कि बस वे संगीत की दुनिया में खोकर रह गयीं… संगीत में परिवार का तो कोई सपोर्ट नहीं था लेकिन नालंदा स्कूल, जहां वे जीवन में शिक्षा का ककहरा सीख रही थीं वहीं ,से संगीत में उनके प्रशंसक मिलने लगे… स्कूल में कोई भी कॉम्पटीशन या प्रोग्राम होता तो रक्षा की सुरीली आवाज सबको उसकी ओर खींच लेती और वहां से शुरू हुए प्रशंसात्मक माहौल ने रक्षा के कदमों को संगीत की दुनिया की ओर बढ़ा दिया।

संगीत के लिए झूठ का सहारा: हर पेरेंट्स की तरह रक्षा के पेरेंट्स भी चाहते थे कि उसका कॅरियर इंजीनियर डाक्टर या फिर प्रशासनिक क्षेत्र में हो… लेकिन रक्षा का जुनून इसकी इजाजत नहीं दे रहा था… संगीत के क्षेत्र में जाने के लिए रक्षा को झूठ का सहारा भी लेना पड़ा। वैसे तो पढ़ने में होशियार रक्षा के लिए ग्रेजुएशन के लिए सारी लाईनें खुली थीं लेकिन रक्षा ने परिजनों से झूठ बोला और कहा कि उसे मैथ साइंस या बॉयो में एडमीशन नहीं मिल रहा है सिर्फ बीए में मिल रहा है…परिवार वालों ने भी बीए की इजाजत दी और रक्षा ने नूतन कॉलेज में बीए म्यिूजिक में एडमीशन लेकर वहां भी संगीत की राह पकड़ ली। सौभाग्य से सज्जन लाल भट्ट जैसे गुरू मिल गए और रक्षा का संगीत का सफर यहां भी चल निकला।

पहली और आखिरी पसंद लता-आशा जी: यूं तो रक्षा को बचपन से सभी तरह का गायन पसंद था लेकिन पसंदीदा गायिकाओं की बात करें तो बस दो ही नाम जेहन में रहते थे एक थीं आशा भोंसले और दूसरी स्वर साम्राज्ञी लता दीदी। बचपन से लेकर अब तक चाहे पारिवारिक कार्यक्रम हो, स्टेज शो हो या फिर प्रोफेशनी सिंगिंग.. बस लता और आशा जी के गीत ही रक्षा के सुरों में सजते थे। आज भी रक्षा के यही दोनों नाम आदर्श हैं और दोनों गुरू भी।

काम आ रहा है भोपाली परिवेश: रक्षा कहती हैंं कि गायन के क्षेत्र में सिर्फ सुरीली आवाज ही काफी नहीं है… सुरों के साथ साथ शब्दों की अदायगी और अल्फाजों की स्पष्टता भी बेहद जरूरी है.. मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि भोपाल में रहकर मुझे जो उर्दू सीखने का अवसर मिला वह आज मायानगरी मुंबई में मेरे बहुत काम आ रहा है। और शायद इसी का नतीजा है कि गजल जैसी गंभीर और कठिन विधा में भी मुझे हरिहरण जी और रूमी जाफरी जैसे गुणवान कलाकारों का साथ मिल रहा है। जिनके सानिध्य में पहले गजल एलबम मंजिलें  म्यूजिकल जर्नी को टी सीरीज ने रिलीज किया है।

हमसफर का सपोर्ट मुंबई ले आया: इंदौर के एक बिजनेसमैन अम्बुज श्रीवास्तव से विवाह के बाद रक्षा को संगीत के क्षेत्र में वह सपोर्ट मिला जो उन्हें अपने माता पिता से नहीं मिल सका था। संगीत में बेहद रुचि और कुछ कर गुजरने के जुनून को पहचानते हुए रक्षा के पति ने उन्हें मुंबई जाने की अनुमति दे दी और संगीत के क्षेत्र में अलग पहचान बनाने के लिए वे उन्हें हर तरह से सपोर्ट दे रहे हैं। रक्षा के लिए अपने हमसफर का यह सपोर्ट उनके जुनून को सफलता की शक्ल देने का जरिया बन गया है। रक्षा फिलहाल मुंबई में प्रसिद्ध गुरु  कौशल महावीर से संगीत सीख रही हैं और गजल एलबम मंजिलें के अलावा वे गुजराती फिल्म के लिए भी कुछ गाने रिकार्ड करवा चुकी हैं साथ ही आने वाले कुछ महीनों में उनका गाया एक गाना हिंदी फिल्म के माध्यम से भी दस्तक देने वाला है।

मुंबई आपको भूखा नहीं सोने देती: रक्षा कहती हैं कि अगर गीत संगीत या फिर कला के किसी भी क्षेत्र में आपको कॅरियर बनाना है तो आपको मुंबई को ही अपना कर्मस्थल बनाना होगा । मुंबई किसी को भूखा नहीं सोने देती… लेकिन यह भी सच है कि मुंबई आकर ही आपको संगीत की गहराई और सच्चाई का पता भी चल जाता है और अब तक के सारे मुगालते दूर हो जाते हैं… सच पूछिए तो मुंबई ही हम जैसे लोगों के सपनों का शहर है।

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