मध्यप्रदेश छोड़ तेलंगाना के मोर्चे पर मुरलीधर राव

मुरलीधर राव
  • जुलाई से ही मप्र के राजनीतिक परिदृश्य से गायब हैं प्रदेश प्रभारी

भोपाल/चिन्मय दीक्षित/बिच्छू डॉट कॉम। अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहने वाले मप्र भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव पिछले चार महीने से गायब हैं। कभी अपने बयानों तो, कभी नेताओं, पदाधिकारियों को हडक़ाकर  चर्चा में रहने वाले राव अचानक मप्र की चुनावी राजनीति से दूर हो गए हैं। ऐसे में राजनीतिक हलकों में चर्चा होने लगी है कि आखिरकार राव कहां हैं। जानकारी के अनुसार वर्तमान में राव अपने गृह प्रदेश तेलंगाना के चुनावी मोर्चे पर सक्रिय हैं। गौरतलब है कि मुरलीधर राव, मप्र में भाजपा के प्रभारी हैं। तेलंगाना के रहने वाले हैं। विधानसभा चुनाव के पहले से वे मप्र में पूरी तरह एक्टिव थे। इस दौरान पे सरकार के कामकाज के साथ-साथ संगठन के कार्यशैली की भी समीक्षा करते रहते थे। लेकिन जैसे ही विधानसभा चुनाव आया और केंद्रीय नेतृत्व ने अपने चहेते रणनीतिकारों को तैनात किया, वे प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य से अचानक गायब हो गए।
धीरे-धीरे सीमित हो गई भूमिका
गौरतलब है कि राव को जब प्रदेश प्रभारी बनाया गया तो उनकी सक्रियता से सत्ता और संगठन में हडक़ंप मच गया था। लेकिन विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच भाजपा में प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव के दौरे घट गए हैं। भाजपा में जैसे ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सीधी निगरानी हुई और दिग्गजों की टीम प्रदेश में उतारी, तो राव की भूमिका सीमित होती गई। अब स्थिति ये है कि मुरलीधर चुनाव से बाहर हो गए हैं। आचार संहिता लगने के बाद मुरली की कोई भूमिका चुनाव में नहीं है। पूरा चुनाव अब उनकी भूमिका के बिना ही होगा। दरअसल, भाजपा में जब से शाह की मप्र चुनाव को लेकर निगरानी शुरू हुई तब से राव के दौरे घट गए। शाह 12 जुलाई को भोपाल आए थे। इसके बाद ही शाह ने प्रदेश के चुनाव की कमान अपने हाथ में ले ली। इसी बीच शाह ने प्रदेश चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव व सह-प्रभारी अश्विनी वैष्णव को बनाया था। यह टीम बैठी तो मुरली की भूमिका घट गई। इसके बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बना दिया गया। दिग्गजों की सक्रियता बढ़ती गई। इसके बाद से मुरली चुनावी परिदृश्य से लगभग गायब हो गए।
बिना जिम्मेदारी तेलंगाना में सक्रिय
गौरतलब है कि मुरलीधर राव के गृहराज्य तेलंगाना में भी चुनाव हैं, लेकिन उन्हें उसमें कोई सीधी भूमिका नहीं दी गई है। अनौपचारिक रूप से जरूर चुनाव में उन्होंने अब सक्रियता बढ़ाई है। इसके चलते वहां की कुछ चुनावी सभाओं में जरूर उन्होंने शिरकत की है। वहीं सूत्रों का कहना है कि मप्र में केंद्रीय संगठन के रणनीतिकारों की सक्रियता को देखते हुए राव ने अपने आप को सीमित कर लिया है। यही कारण है कि शाह की कंट्रोलिंग के बाद राव चुनिंदा मौकों पर ही आए। बीते ढाई माह में बमुश्किल तीन-चार दौरे हुए। हाल ही में वे भाजपा के चार रूम के उद्घाटन पर आए थे। इसके बाद अनौपचारिक बैठक में शिरकत करने आए।  वहीं मुरलीधर राव का कहना है कि ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश के दौरे कम हो गए। अभी इंदौर-भोपाल गया था। नवरात्रि में फिर आऊंगा। चुनाव नहीं संगठन का प्रभारी हूं तो उस हिसाब से काम करता  हूं। राव ने कहा, तेलंगाना मेरा गृह राज्य है, तो यहां कोई जिम्मेदारी नहीं, फिर भी काम तो करता ही हूं।

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