घोटालेबाजों को बचाने में जुटे नगर निगम के अफसर

  • वित्त विभाग को  बार-बार जानकारी मांगने के बाद भी नहीं दी जा रही
नगर निगम

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।
इंदौर नगर निगम में हुए करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के मामले में नगरीय प्रशासन विभाग के अफसर पर्दा डालने की तैयारी में है। यही वजह है कि वित्त विभाग द्वारा इस मामले की जानकारी और दस्तावेज लगातार मांगने के बाद भी नहीं दिए जा रहे हैं। यह बात अलग है कि मामले का पर्दाफाश होने के बाद शुरुआत में तो कुछ कर्मचारियों पर आनन फानन कार्रवाई की गई , लेकिन फिर मामले को दबाने के प्रयास शुरु कर दिए गए। इससे विभाग और नगर निगम प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़ा होने लगे हैं। हालत यह है नगरीय प्रशासन विभाग ने अब तक वित्त विभाग को अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने के लिए साक्ष्य एवं आवश्यक दस्तावेज तक उपलब्ध नहीं कराए हैं। हालांकि यह मामला संज्ञान में आने के बाद आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा नगर निगम इंदौर को जानकारी दिए जाने के लिए पत्र लिखा गया है , लेकिन वह भी बेअसर साबित हो रहा है।
वित्त विभाग ने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को पत्र लिखकर इंदौर नगर निगम में हुए करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े मामले से संबंधित सभी दस्तावेजों की मांग की थी , जिसे संचालनालय ने गंभीरता से लेते हुए नगर निगम को जानकारी देने के निर्देश दिए थे, जिस पर जिम्मेदार अफसरों ने पत्र लिखकर कह दिया कि जानकारी दे दी गई है। जबकि नगर निगम द्वारा 27 अप्रैल 2024 के पत्र के माध्यम से जो जानकारी दी गई है, उसमें संबंधित जानकारी की जगह एक्ट की कापी भेकर इति श्री कर ली गई है। जो कि कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त नहीं है। जब कि वित्त विभाग ने जो जानकारी मांगी थी, वह दी जानी चाहिए थी।
क्या है इंदौर ड्रेनेज घोटाला
इंदौर शहर में ड्रेनेज लाइन बिछाने के नाम पर 5 फर्मों नीव कंस्ट्रक्शन, ग्रीन कंस्ट्रक्शन, क्षितिज एंटरप्राइजेज, जाह्नवी इंटरप्राइजेज और किंग कंस्ट्रक्शन के बिलों की कूटरचना करने के बाद ऑडिट करवाते हुए लेखा शाखा में हुए घोटाले के खिलाफ इंदौर नगर निगम ने कार्यवाही की। इस घोटाले में 5 ठेकेदार और निगम कर्मचारियों के अलावा ऑडिट अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही शामिल है।
इस तरह से किया खेल
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने तत्काल में पांच पेज का पत्र अति आवश्यक लिखते हुए 20 भुगतान देयकों के उपलब्ध दस्तावेजों में कई गलतियां तो पकड़ लीं। निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने तथा निगम की छवि को धूमिल करने के कृत्य के अनुक्रम में निगम में पदस्थ आवासीय संपरीक्षा दल के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही किये जाने का अनुरोध किया।  उक्त पत्र में आरोप तो भरपूर लगाए गए, लेकिन साक्ष्य एवं अन्य दस्तावेज संपरीक्षा प्रकोष्ठ को उपलब्ध नहीं करवायें। दिलचस्प बात यह है कि आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने के लिए स्थानीय निधि संपरीक्षा प्रकोष्ठ को अति आवश्यक पत्र तो लिख दिया। लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी निलंबित शासकीय सेवकों के विरूद्ध मप्र सिविल सेवा नियम 1966 के तहत कार्यवाही हेतु विभागीय जांच ही शुरू नहीं की। जिसके लिए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने अति आवश्यक पत्र के साथ संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये। ऐसी स्थिति में उक्त मामले से संबंधित साक्ष्य एवं अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध करवाए जाने के लिए चार माह पूर्व स्थानीय निधि संपरीक्षा ने लिखा है जिससे आरोप पत्र में उनका उल्लेख करते हुए विभागीय जांच संस्थित करने की कार्यवाही की जा सके। चूंकि मामला गंभीर होने की वजह से एक माह के इंतजार के बाद 6 जून को स्थानीय निधि संपरीक्षा प्रकोष्ठ ने नगर पालिका निगम इंदौर में बिलों की कूटरचना कर भुगतान प्राप्त करने संबंधी प्रकरण में आवासीय अंकेक्षण दल द्वारा अपने कर्तव्य का सम्यक निर्वहन न करने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने के लिए अभिलेख दिए जाने के लिए आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को पत्र लिखा गया था। इसके बाद भी अभिलेख नहीं दिए जा रहे हैं।

Related Articles