मप्र का एक्सपोर्ट तोड़ेगा… सारे रिकॉर्ड

  • बन गया एक लाख करोड़ का प्लान!
  • विनोद उपाध्याय
मप्र का एक्सपोर्ट

मप्र का सर्विस सेक्टर अगले कुछ सालों में रिकॉर्ड कायम कर सकता है। इसके लिए सरकार की ओर से कमर कस ली गई है। साथ ही एक लाख करोड़ का प्लान भी बना लिया गया है।
वास्तव में सरकार ने साल 2029 तक एक्सपोर्ट का टारगेट 1 लाख करोड़ रुपए का टारगेट रख दिया है। मप्र से सर्विस सेक्टर के एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है। इससे ओवरऑल एक्सपोर्ट आंकड़ा बेहतर करने में मदद मिलने का अनुमान है।  जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार द्वारा जो एक्सपोर्ट पॉलिसी बनाई जा रही है उसमें कुछ खास प्रावधान किए गए हैं। निर्यात इंसेटिव का दावा करने पर प्रमाणीकरण की प्रक्रिया में काफी समय लगता है, इसमें कमी लाना सरकार का फोकस है। विभिन्न दफ्तरों में मांगे जाने वाले एक ही तरह के दस्तावेजों की मांग खत्म करना, बड़े निर्यात उद्योगों का शेयर बढ़ाना, प्रदेश में रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी करना, छोटे व मझौले उद्योगों पर खास तौर से फोकस कर उनका अंतरराष्ट्रीयकरण करना और आधुनिक निर्माण तकनीकों का उपयोग, वैश्विक बाजार की जानकारी
देना, उद्योगों को जरूरत व मांग के बारे में बताना है।
बड़े उद्योगों को दी जाएगी सहायता
ड्राफ्ट में प्रस्तावित किया गया है कि एक्सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर एक करोड़ रुपए तक के निवेश पर 25 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। यह एक बार मिलेगी। वहीं 25 फीसदी से अधिक माल निर्यात करने वाले बड़े उद्योगों को सहायता दी जाएगी। पहली बार निर्यात कर रहे उद्योगों को रजिस्ट्रेशन व मेंबरशिप सर्टिफिकेशन पर खर्च होने वाली राशि का दस लाख रुपए तक लौटाया जाएगा। साथ ही 25 लाख रुपए तक की एक्सपोर्ट इंश्योरेंस प्रीमियम की प्रतिपूर्ति भी की जाएगी। नीति को अमलीजामा पहनाने के लिए मप्र एक्सपोर्ट प्रमोशन प्रमोशन काउंसिल बनाई जाएगी। यह निर्माण, सर्विस और बिजनेस सेक्टर के विकास के लिए काम करेगी। उद्यमिता, एक्सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और इससे जुड़ा ईको सिस्टम तैयार करेगी। पांच साल का एक्सपोर्ट एक्शन प्लान भी बनाएगी। अनुमानित बजट का आंकलन करेगी और केंद्र सरकार को निर्यात नीति को लेकर सुझाव भी देगी। निर्यातकों की समस्याओं का निराकरण करेगी। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सभी संबंधितों से समन्वय बनाएगी । काउंसिल की गर्वनिंग बॉडी के चेयरमैन मुख्यमंत्री और एग्जीक्यूटिव कमेटी के अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे।
सरकार का टारगेट
राज्य सरकार डेडीकेटेड एक्सपोर्ट पार्क को बढ़ावा देगी। इसके लिए शर्त रहेगी कि पार्क में स्थित 70 फीसदी से अधिक इंडस्ट्रीज निर्यात करने वाली होना चाहिए। यह न्यूनतम 25 एकड़ क्षेत्र में हों। ऐसे पार्क की रजिस्ट्रेशन शुल्क व स्टांप फीस की 100 फीसदी राशि वापस की जाएगी। सेवा निर्यात के प्रोत्साहन के लिए चिह्नित क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), पर्यटन, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, परिवहन, लेखा और निर्माण एवं संबंधित इंजीनियरिंग सेवाएं शामिल हैं। वर्ष 2029 तक एक लाख करोड़ मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात का लक्ष्य तय किया गया है। इसे हासिल करने में सेवा निर्यात अहम भूमिका निभा सकता है। वैश्विक संघर्षों से इस क्षेत्र पर उतना प्रभाव नहीं पड़ता जितना कि माल पर पड़ता है। दरअसल मौजूदा वैश्विक हालात में देश का वस्तु निर्यात नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहा है।
मेड इन मप्र पर रहेगा फोकस
मप्र से अगले पांच साल यानि 2029 तक दुनिया भर में एक लाख करोड़ रुपए का सामान एक्सपोर्ट करने का टारगेट है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 65,255 करोड़ के प्रोडेक्ट्स 200 देशों में भेजे गए थे। अब निर्यात में खास तौर से मेड इन मप्र उत्पादों पर फोकस किया जाएगा। इसे बढ़ावा देने के लिए उद्योगों को सब्सिडी के साथ ही खर्च की प्रतिपूर्ति भी की जाएगी। राज्य की एक्सपोर्ट पॉलिसी 2025 के मसौदे में यह प्रस्तावित किया गया है। राजधानी में अगले महीने होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर समिट को ध्यान में रखते हुए यह नीति तैयार की गई है। बताया जा रहा है इसे जल्द ही केबिनेट की मंजूरी के लिए रखा जाएगा। एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन इस नीति को अमलीजामा पहनाने के लिए नोडल एजेंसी रहेगा।

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