भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश जल्द ही उन राज्यों में शामिल हो सकता है जिसके सर्वाधिक जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज होंगे। इसकी वजह है प्रदेश के कई जिलों का हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा इनके लिए चयन किया जाना। दरअसल केन्द्र सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्वि करने के लिए जल्द ही एक सैकड़ा नए मेडीकल कॉलेज खोलने जा रहा है, जिसके लिए केन्द्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा मंजूरी दे दी गई है। खास बात यह है कि नए मेडिकल कॉलेजों के साथ ही पुराने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एक- एक नर्सिंग कॉलेज भी खोला जाएगा। इसके लिए 2,570 करोड़ रुपए को बजट रखा गया है। वहीं, 100 नए मेडिकल कॉलेजों के खेलने के लिए भी केन्द्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा स्वीकृति दे दी गई है।
यह नए मेडीकल कॉलेज अगेल पांच सालों में खोले जाने हैं। इन नए मेडिकल कॉलेजों में एक नर्सिंग कालेज भी खोला जाएगा। हर नर्सिंग कॉलेज के लिए 10 करोड़ रुपए दिए जाएंगे और पहले वर्ष एक नर्सिंग कॉलेज में कम से कम 50 सीट होंगी। इसमें आने वाले खर्च में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 60 एवं 40 की होगी। माना जा रहा है कि न ए मेडिकल कॉलेजों में से करीब एक दर्जन मप्र के खाते में आ सकते हैं। जिसकी वजह से उनकी संख्या बढ़कर प्रदेश में दोगुनी हो जाएगी।
मध्यप्रदेश में अभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 13 है। इसके अलावा मप्र सरकार भी अपने स्तर पर लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्वि के लिए प्रयास कर रही है। प्रदेश सरकार का लक्ष्य अगले चार सालों में प्रदेश के सभी जिलों में एक -एक मेडिकल कॉलेज खोलने का लक्ष्य है। इसमें सरकारी के अलावा निजी मेडिकल कॉलेज भी शामिल हैं।
32,500 करोड़ रुपए होंगे खर्च
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रस्ताव के अनुसार, नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए बड़े स्तर पर काम किया जा रहा है। पहले तीन फेज में 157 मेडिकल कॉलेज तैयार होने हैं। चौथे फेज में 100 नए मेडिकल कॉलेज की मंजूरी मिली है। इस पर 32 हजार, 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। ये मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज 2026-27 तक बनाने का लक्ष्य है। जुलाई 2022 के आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल 2,241 नर्सिंग कॉलेज हैं। इसमें से 176 सरकारी और 2065 निजी नर्सिंग कॉलेज हैं।
पांच स्थानों पर पीपीपी मॉडल पर खुलेंगे
प्रदेश में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, बालाघाट और कटनी में निजी पब्लिक पार्टनरशिप मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी है। सरकार इसके लिए सर्वे करा रही है। छह माह में निजी कंपनी सर्वे कर रिपोर्ट सौंपेगी। सर्वे में देखा जाएगा कि कॉलेज संचालित करना कितने नफा-नुकसान है। जनता को कितना फायदा होगा। इनमें वर्तमान संचालित मेडिकल कॉलेजों में से अलग इलाज और नए पाठ्यक्रम क्या खोले जा सकेंगे। इन शहरों में मेडिकल कॉलेज के हिसाब से वर्तमान में मरीजों का दबाव कितना है और आने वाले 5 से 10 वर्षों में और कितना ज्यादा बढ़ सकता है। सरकार कॉलेज की स्थापना के लिए निजी निवेशकों को 99 वर्ष की लीज पर जमीन देगी।
यह है प्रदेश में मौजूदा स्थिति
प्रदेश में पुराने मेडिकल कॉलेज इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर में है, जबकि दूसरे चरण में विदिशा, शहडोल, छिंदवाड़ा, दतिया, खंडवा, रतलाम और शिवपुरी मे ंनए मेडीकल कॉलेज खोले गए हैं, इनके लिए 189 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया था। इसमें भी 60 फीसद राशि केंद्र सरकार द्वारा दी गई थी। इसी तरह से तीसरे चरण में मंडला, श्योपुर, राजगढ़, नीमच, मंदसौर और सिंगरौली में प्रस्तावति हैं, जिनकी लागत राशि 325 करोड़ है, जिसमें से 60 फीसद राशि केंद्र सरकार देगी।
13/11/2022
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