सरकार को घेरेगी मप्र कांग्रेस

 कांग्रेस

– नए साल के पहले ही दिन से हो जाएगी सक्रिय

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी /बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक साल से भी कम समय विधानसभा चुनाव के लिए रह गया है, ऐसे में संगठन में होने वाले बदलाव का इंतजार किए बगैर कमलनाथ की टीम मैदानी मोर्चा खोलने की तैयारी कर चुकी है। प्रदेश में कांग्रेस ने अब नए साल में पूरी तरह से सक्रियता के साथ सरकार को घेरने और भाजपा की रीति व नीति के विरोध में आंदोलन करने की रणनीति तैयार कर ली है। रणनीति के तहत अब तक शालीनता दिखाने वाली कांग्रेस अब बेहद आक्रामक रुप में नजर आएगी। दरअसल मप्र ऐसा राज्य है जिसमें पार्टी को सरकार में वापसी की पूरी संभावना नजर आ रही है। यही वजह है कि प्रदेश संगठन ने अभी से पूरी तरह से चुनावी मोड में आने की तैयारी कर ली है।
गौरतलब है कि प्रदेश में पार्टी के ब्लॉक व जिला अध्यक्षों और प्रदेश पदाधिकारियों की घोषणा करीब तीन महीने से अटकी हुई है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष भी असमंजस में हैं कि वे पद पर रहेंगे या उन्हें हटा दिया जाएगा। इसकी वजह से कई जिलाध्यक्ष संगठन के कामकाज में पूरी तरह से रुचि नहीं ले रहे हैं। कई जिले प्रभारी अध्यक्षों के भरोसे चल रहे हैं। पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों की ओर से नवंबर में कहा जा रहा था कि भारत जोड़ो यात्रा के मप्र से गुजरने के बाद कांग्रेस के संगठन में बड़ा बदलाव किया जाएगा। अब जनवरी के पहले सप्ताह से संगठन में बदलाव शुरू होने की बात कही जा रही है। इस मामले में हो रही देरी की वजह से ही अब बगैर बदलाव का इंतजार किए मैदानी स्तर पर संघर्ष कर सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कांग्रेस द्वारा रणनीति तैयार की गई है। इसकी अपनी वजह भी है। इस बार कई सालों के इंतजार के बाद कांग्रेस को नगरीय निकाय चुनाव में अच्छी खासी सफलता मिली है। कांग्रेस के महापौर पद के प्रत्याशी भाजपा व संघ के गढ़ कहे जाने वाले कई बड़े शहरों में जीत का परचम लहरा चुकी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पार्टी में इसकी वजह से बने उत्साही माहौल को चुनाव तक बनाए रखना चाहते हैं।  प्रदेश में विधानसभा चुनाव आठ माह बाद होने हैं। इन चुनावों को देखते हुए ही उनके द्वारा नए साल के पहले ही दिन से पार्टी को सक्रिय करने का काम शुरू कर दिया जाएगा। पहले ही दिन यानि की एक जनवरी को संकल्प दिवस मनाने का तय किया गया है। राजधानी के अलावा सभी जिला मुख्यालयों पर इसके लिए आयोजन होंगे। एक जनवरी से चुनाव तक हर रोज भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ धरना-प्रदर्शन होगा और रैलियां निकाली जाएंगी। इस बीच बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि संगठन में बदलाव को लेकर असमंजस की स्थिति के बीच क्या कांग्रेस सरकार को घेरने में सफल पाएगी ?  दरअसल, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मप्र में कांग्रेस के संगठन चुनाव की प्रक्रिया बीते अगस्त तक पूरी करने का शेड्यूल निर्धारित किया था।  प्रदेश में पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव की वजह से कांग्रेस संगठन के चुनाव पिछड़ गए। मप्र कांग्रेस संगठन चुनाव के पीआरओ आरसी खूंटिया ने चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अक्टूबर में नामों की सूची अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को सौंप दी थी। इस बीच भारत जोड़ो यात्रा शुरू होने के साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई, जिससे ब्लॉक व जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा अटक गई, जो अब तक नहीं हो पाई है।  मप्र में विधानसभा चुनाव में सिर्फ दस महीने बचे हैं। ऐसे में मप्र कांग्रेस कमेटी ने नए साल की शुरूआत से सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतरने का फैसला किया है। जिला मुख्यालयों पर होने वाले कांग्रेस के सरकार विरोधी आंदोलन कितने सफल हो पाएंगे, यह आने वाला वक्त बताएगा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि यह हैरत की बात है कि हाई लेवल मीटिंग में समय-समय पर संगठन में बदलाव की बात तो होती है, लेकिन इस बारे में फैसला नहीं हो पा रहा है। विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और अब तक पार्टी ब्लॉक, जिला अध्यक्षों के नामों की घोषणा नहीं कर पाई है, जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ हर बैठक में कहते हैं कि हमारा मुकाबला भाजपा के मजबूत संगठन से है, इसके बाद भी संगठन में नए नामों की घोषणा नहीं हो पा रही है। यदि संगठन में बदलाव नहीं करना है, तो वर्तमान ब्लॉक व जिला अध्यक्षों को बता दिया जाए कि उन्हें ही संगठन का काम देखना है, ताकि असमंजस दूर हो और वे पूरे मन से काम कर सकें।
इन मामलों में घेरेगी सरकार को
कांग्रेस ने जिन मामलों को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है उनमें भ्रष्टाचार, लेकर कानून व्यवस्था तक के मामले शामिल हैं। खासतौर पर कांग्रेस युवाओं और महिलाओं को जोड़ने के लिए बेरोजगारी और महिला अत्याचार जैसे मामलों पर पूरा फोकस करने जा रही है। इसके अलावा जिला और ब्लॉक स्तर पर स्थानीय प्रभावशाली मामलों को भी उठाने की रणनीति बनाई गई है। इनमें राज्य के अलावा कुछ राष्ट्रीय स्तर के मामलों को भी शामिल करने का तय किया गया है। खास बात यह है कि इन सभी आंदोलनों व पार्टी के अन्य कार्यक्रमों पर जिला प्रभारी पूरी तरह से नजर रखकर उसकी रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को भेजेंगे।

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