बूथ मैनेजमेंट में भी मप्र भाजपा बनेगी रोल मॉडल

वीडी शर्मा

गौरव चौहान/ बिच्छू डॉट कॉम। संगठन के मामले में मप्र भाजपा का ऐसा राज्य पहले से ही जिसका उदाहरण अन्य राज्यों को पार्टी का केन्द्रीय संगठन देता है, लेकिन अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने चुनाव से पहले मप्र को बूथ मैनेजमेंट में भी देश का रोल मॉडल बनाना तय कर लिया है। यही वजह है कि इन दिनों पूरा प्रदेश भाजपा से संगठन बूथ मैनेजमेंट पर ही फोकस किए हुए है। दरअसल अभी तक इस मामले में गुजरात को ही रोल मॉडल माना जाता  है। इसकी वजह है, वहां पर बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 53 प्रतिशत मतों के साथ गुजरात विधानसभा की 182 में से 156 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की है।  गुजरात मॉडल ने भारतीय राजनीति में नया ट्रेंड स्थापित किया।
दरअसल गुजरात में भाजपा संगठन द्वारा बूथ मैनेजमेंट के मामले में कई नवाचार किए गए हैं। गुजरात में बूथ मैनेजमेंट कई स्तरों पर लगातार काम किया गया। सबसे पहले उन मतदान केंद्रों को चिन्हित किया गया , जहां पार्टी पिछले दो विधानसभा चुनाव से लगातार हार का सामना कर रही थी। ऐसे मतदान केंद्रों के लिए अलग से योजना बनाई गई। इनके अलावा जिन मतदान केंद्रों के बारे में पार्टी को लगा कि यहां हार हो सकती है उन पर भी अलग से काम किया गया। इसके लिए पंचायत, नगरीय निकाय चुनाव विधानसभा, चुनाव और लोकसभा चुनाव के  मतदान  ट्रेंड का विश्लेषण किया गया। सामाजिक संरचना के आधार पर भी मतदान केंद्रों स्कूटनी की गई और उस हिसाब से योजना बनाई गई। जिन मतदान केंद्रों पर भाजपा जीत रही है उन मतदान केंद्रों पर यह कोशिश की गई कि अधिक से अधिक मतदान करवाया जाए। भाजपा में पन्ना प्रमुख और अर्ध पन्ना प्रमुख की अवधारणा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लाए थे। अमित शाह ने ही गुजरात भाजपा को मतदान केंद्र के मैनेजमेंट के लिए पन्ना कमेटी बनाने का सुझाव दिया था। 30 मतदाताओं पर पांच सदस्यीय पन्ना कमेटी बनाई गई। इस तरह पन्ना कमेटी के एक सदस्य को केवल 6 मतदाताओं पर काम करना था। भाजपा ने मतदाता सूची का तीन बार सर्वेक्षण किया और पता लगाया कि कौन से मतदाता बाहर हैं और कौन से मतदाता दिवंगत हो चुके हैं। घर- घर जाकर मतदाताओं को भाजपा के नीति रीति समझाई गई और उनके मन की थाह ली गई। इस तरह से माइक्रोमैनेजमेंट किया गया कि भाजपा के मतदान प्रतिशत में इजाफा हो। भाजपा ने दलितों और आदिवासी मतदान केंद्रों पर भी अलग से फोकस किया।

नरेंद्र मोदी ने गुजरात में इस बार सबसे अधिक फोकस आदिवासी मतदाताओं पर किया। इसकी वजह से ही मोदी की सबसे अधिक सभाएं आदिवासी बहुल क्षेत्र में कराई गईं। इसके पहले केंद्र और राज्य सरकारों ने आदिवासी क्षेत्र में जन कल्याणकारी योजनाओं को भारी संख्या में लागू किया, परिणामस्वरुप आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा को तब 80 फीसदी तक सफलता मिली, जबकि वह इलाके कांग्रेस के परंपरागत रुप से मजबूत गढ़ बने हुए थे। यही नहीं इसकी वजह से भाजपा को उन सीटों पर जीत मिल गई , जहां पर भाजपा को आजादी के बाद से कभी भी जीत न हीं मिल सकी थी। गुजरात में ऐसी 19 विधानसभा सीटें थीं, जहां पार्टी पिछले 8 चुनाव से नहीं जीती थी । उन पर फोकस किया गया। नतीजा यह रहा कि इस बार इन 19 में से 16 सीटों पर भाजपा ने सफलता प्राप्त की। जिन 3 सीटों पर भाजपा हारी है, वे अल्पसंख्यक वर्चस्व वाली हैं।

इस तरह के उठाए जा रहे हैं कदम
बूथों की मजबूती के लिए हर बूथ पर 11-11 कार्यकर्ताओं की समिति बनाई जा रही है। अधिकांश समितियां बन चुकी हैं तो कुछ का दोबारा गठन किया जा रहा है। बूथ समिति में अध्यक्ष, महामंत्री और बीएलए बूथ लेवल एजेंट प्रमुख हैं। इन्हें त्रिदेव नाम दिया गया है। इसी तरह से पांच-छह बूथों को मिलाकर एक शक्ति केंद्र बनाया गया है। शक्ति केंद्र की टोली में पांच जिम्मेदार तय किए गए हैं। इन्हें पंच परमेश्वर नाम दिया गया है। इसमें शक्ति केंद्र प्रभारी, संयोजक, सह संयोजक, हितग्राही प्रभारी, आइटी प्रभारी शामिल हैं। चुनाव तक यह टोली अपने अधीन आने वाले बूथों पर त्रिदेव और बूथ समिति से काम कराएगी। एक शक्ति केंद्र पर एक बूथ विस्तारक की नियुक्ति की गई है। बूथ विस्तारक उन कार्यकर्ताओं को बनाया जा रहा है, जो भाजपा की विचारधारा को समझते हों और जिनमें संगठन क्षमता हो। मंडल अध्यक्षों से ऐसे कार्यकर्ताओं के नाम बुलाए गए थे।

भाजपा का बूथ जोड़ो अभियान
हाल ही में प्रदेश भाजपा द्वारा बूथ जोड़ो अभियान का दूसरा चरण चलाया जा चुका है। यह अभियान 10 दिनों तक चला , जिसमें मुख्यमंत्री, कैबिनेट के मंत्री, राज्य सरकार के मंत्री, सभी सांसद और विधायक भी बूथ पर भेजे गए थे। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने चलो बूथ की ओर नारा दिया था। प्रदेश के सभी 64 हजार बूथों में 51 प्रतिशत मत का लक्ष्य पाने के लिए भाजपा ने बूथ विस्तारक योजना-2 चलाया है। इसका उद्देश्य हर बूथ को डिजिटल और सशक्त बनाना, नए मतदाताओं को जोडऩा और सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं को निचले स्तर तक पहुंचाना है। बूथ विस्तार अभियान 14 से 24 मार्च तक चलाया गया । खास बात यह है कि इस अभियान के दौरान पन्ना समिति में 33 प्रतिशत बहनों को शामिल करने का भी प्रयास किया। इसी तरह से बूथ पर प्रत्येक समाज वर्ग का प्रतिनिधित्व तय करने का भी प्रयास किया गया।  

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