मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग नौ दिन चले अढ़ाई कोस

  • न संभागों के दौरे हो पाए…न  सीमा पुनर्गठन की अनुशंसा
  • गौरव चौहान
मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग

मप्र में संभाग, जिला, तहसील और विकासखंड की सीमाओं में परिवर्तन का काम करने के लिए प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का गठन किया था, लेकिन एक साल बाद आयोग की स्थिति नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली बनकर रह गई है। यानी आयोग एक साल में कुछ संभागों के दौरे ही कर पाया, जिससे सीमा पुनर्गठन की अनुशंसा अधर में लटकी हुई है। गौरतलब है कि आयोग ने संभागीय मुख्यालयों के दौरों की शुरुआत भोपाल, सागर और ग्वालियर संभाग से की थी। लक्ष्य था कि नवंबर 2024 में सभी संभागों में प्रशासनिक स्तर पर एक दौर की बैठक कर ली जाएगी। इसके बाद जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक होगी, जिसमें सीमा परिवर्तन की आवश्यकता को लेकर चर्चा होगी। लेकिन आयोग अभी तक सभी संभागों का दौरा तक नहीं कर पाया है।
गौरतलब है कि मप्र में संभाग, जिलों, तहसीलों और जनपदों की सीमाओं के पुनर्गठन की प्रक्रिया पिछली बार 1982 में की गई थी। 43 साल बाद भौगोलिक से लेकर प्रशासनिक ढांचे तक कई कारणों से इसकी जरूरत महसूस की गई। संभाग, जिलों, तहसीलों, जनपदों की सीमा फिर से परिभाषित करने की प्रक्रिया मप्र भू-राजस्व संहिता 1959 में उल्लिखित है। इस संबंध में सितंबर 2018 में एक अधिसूचना भी जारी की गई थी। बता दें, सीएम डॉ. मोहन यादव ने 1 जनवरी, 2024 को प्रदेश में आवश्यकता के अनुसार संभाग और जिलों की सीमाओं का पुर्ननिर्धारण करने की बात कही थी। 27 फरवरी, 2024 को कैबिनेट ने मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के गठन को मंजूरी दी। 12 मार्च को मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के गठन के संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया गया। 9 सितंबर, 2024 को रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव और 18 अक्टूबर को रिटायर्ड आईएएस मुकेश शुक्ला आयोग के सदस्य नियुक्त किए गए। मनोज श्रीवास्तव ने दिसंबर में सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। 12 फरवरी, 2025 को रिटायर्ड आईएएस एसएन मिश्रा आयोग के सदस्य बनाए गए।
एक साल बाद भी नहीं मिला अध्यक्ष
मजेदार बात यह है कि आयोग के गठन के एक साल बाद भी इसके अध्यक्ष पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकी है। राज्य शासन ने प्रदेश में बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का गठन किया है। सरकार का मानना है कि वर्तमान प्रशासनिक ढांचा जनसंख्या वृद्धि, भौगोलिक विस्तार और स्थानीय जरूरतों के अनुरूप अब प्रभावी नहीं रह गया है, जिस कारण सीमाओं का पुनर्गठन आवश्यक हो गया है। आयोग को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह जिलों, तहसीलों और अन्य प्रशासनिक इकाइयों की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण कर यह सुझाव दे कि कहां नए जिले या तहसील बनाए जाने की जरूरत है, या किन सीमाओं में बदलाव कर प्रशासनिक प्रबंधन को  अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। आयोग संभाग, जिलों, तहसीलों की सीमाओं के नए सिर से निर्धारण की अनुशंसा करेगा, इस पर अंतिम निर्णय सरकार लेगी। गौरतलब है कि प्रदेश में सागर जिले के बीना व खुरई तहसील, उज्जैन जिले के नागदा, मंदसौर जिले के गरोठ, रतलाम जिले के जावरा, शिवपुरी जिले के पिछोर, देवास जिले के बागली, सोनकच्छ व खातेगांव, गुना जिले के चाचौड़ा, विदिशा जिले के गंजबासौदा, सिवनी जिले के लखनादौन को जिला बनाने की मांग समय-समय पर जोर पकड़ती रहती है। पिछले साल जुलाई, अगस्त व सितंबर में जब खुरई और बीना को जिला बनाने की मांग को लेकर सियासत तेज हुई, तो सीएम डॉ. मोहन यादव ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए 9 सितंबर को रिटायर्ड आईएएस को अचानक प्रशासनिक आयोग का सदस्य नियुक्त करते हुए कहा था कि अब इस संबंध में आयोग आगे की कार्रवाई करेगा।
आयोग का कार्यकाल एक साल और बढ़ा
आयोग के गठन के दौरान ही कहा गया था कि सीमाओं के फिर से निर्धारण के लिए एक साल का समय कम होगा। ऐसे में राज्य सरकार ने मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है। आयोग का गठन एक साल के लिए किया गया था। इस संबंध में 12 मार्च, 2024 को अधिसूचना जारी हुई थी। आयोग की स्थापना का उद्देश्य राज्य की प्रशासनिक इकाइयों-जैसे संभाग, जिला, तहसील समेत अन्य प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं के पुनर्गठन के संबंध में सरकार को अनुशंसा करना था, लेकिन आयोग अब तक ऐसी कोई रिपोर्ट राज्य शासन को नहीं सौंप पाया है। इसीलिए आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया है। मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के गठन की अधिसूचना जारी होने के छह महीने बाद सितंबर, 2024 में आयोग के सदस्य के पद पर पहली नियुक्ति रिटायर्ड आईएएस अधिकारी मनोज श्रीवास्तव की हुई थी। इसके बाद अक्टूबर में रिटायर्ड आईएएस मुकेश शुक्ला को आयोग का दूसरा सदस्य नियुक्त किया गया। श्रीवास्तव ने सदस्य पद का पदभार ग्रहण करने के कुछ दिन बाद कुछ संभागों का दौरा कर आम नागरिकों और जनप्रतिनिधियों से संभाग, जिला, तहसील आदि की सीमाओं के पुनर्गठन को लेकर चर्चा कर उनसे सुझाव लिए थे। श्रीवास्तव अभी सभी संभागों का दौरा नहीं कर पाए थे कि उन्होंने अचानक सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। उनके स्थान पर फरवरी में  रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एसएन मिश्रा को आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया।

Related Articles