मप्र के आईपीएस अफसरों के… बंगलों पर सबसे महंगी चाकरी

आईपीएस अफसरों
  • एक आईपीएस के बंगले पर 25 से 35 तक ट्रेंड आरक्षक कर रहे चाकरी

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। यह आश्चर्यजनक परंतु सत्य है कि देश ही नहीं दुनियाभर में सबसे महंगी चाकरी मप्र के आईपीएस अफसरों के बंगलों पर हो रही है। यानी कंधे पर स्टार और 70 हजार रुपए वेतन वाले अफसरों के बंगलों पर झाड़ू लगा रहे हैं, खाना बना रहे हैं और जूता पॉलिश कर रहे हैं। हालांकि यही काम दो से ढाई हजार रुपए महीने में घरेलू नौकर या बाई से आसानी से करवाया जा सकता है।
लेकिन एएसआई रैंक के कर्मचारी ये सिपाही साहब के बंगले पर कपड़ा बर्तन धोने से लेकर झाड़ू पोंछा तक कर रहे हैं। ऐसे 4076 सिपाही हैं जिन्हें बंगला ड्यूटी पर लगा रखा है। इन्हें पीएचक्यू में मर्ज किया जाना है। लेकिन फाइल 2 महीने से अटकी पड़ी है। आईपीएस लॉबी ऐसा होने ही नहीं दे रही ,क्योंकि फिर आरक्षक उनके हाथ से निकल जाएंगे। उन्हें बंगला ड्यूटी से हटाकर पीएचक्यू भेजना पड़ेगा।
ट्रेड आरक्षकों के जीडी संविलयन पर रोक
दरअसल पुलिस में ट्रेडमैन और अनुचर की भर्ती होती है, जो कि सफाई, कपड़े धोना, जूता पालिश, खाना बनाना, कारपेंटर आदि का काम करते हैं। इनको 1993 तक भर्ती होने के पांच साल बाद तक ट्रेनिंग देकर जीडी में कन्वर्ट कर दिया जाता था, यानि जिला पुलिस बल में आ जाते थे। इससे वेतन बढ़ने पर इनकी जिम्मेदारी में भी वृद्धि होती थी। अचानक 2013 में तत्कालीन डीजीपी नंदन दुबे ने जीओपी 57/ 93 के माध्यम से बिना शासन के अनुमोदन के ट्रेड आरक्षकों के जीडी संविलयन पर रोक लगा दी । बस तब से ही प्रदेशभर में 4 हजार से ज्यादा ट्रेड आरक्षक और अनुचर का वेतन और पद तो बढ़ता जा रहा है, लेकिन काम वहीं जूता पालिश, कपड़े धोना, झाडू लगाने का ही कर रहे हैं ।
पुलिस फोर्स की कमी होगी दूर
इस संविलियन की प्रक्रिया से पुलिस विभाग को कोई नुकसान नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा मैदानी स्तर में फायदा होगा। लेकिन आईपीएस लॉबी ऐसा नहीं चाहती है। ट्रेंड आरक्षकों का कहना है कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में ट्रेड आरक्षक संविलियन की प्रक्रिया चालू है। मप्र में 9 साल से ये प्रक्रिया बंद है। आरक्षक को जीडी आरक्षक के तहत ही वेतन मिलता है। इस संविलियन से शासन पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं आएगा। साथ ही  मैदानी पुलिस बल की कमी भी दूर होगी। नई भर्ती के तहत पुलिस आरक्षक 2 साल के बाद पुलिस विभाग को मिलते हैं लेकिन ट्रेड आरक्षक के संविलियन के तत्काल बाद पुलिस फोर्स में 4076 का इजाफा हो जाएगा। इसके अलावा प्रधान आरक्षक और एसआई स्तर के खाली पदों को भी भरा जा सकता है। दूसरी तरफ होमगार्ड कर्मचारियों को 3 साल के बाद 15 प्रतिशत के हिसाब से आरक्षक जीडी बनाया जाता है।
पुलिस मुख्यालय ने अड़ंगा लगाया
ट्रेंड आरक्षको की मांग पर 24 मार्च  को गृह मंत्री के कार्यालय से एक पत्र जारी कर राजेश राजोरा एसीएस गृह विभाग को भेजा गया है। गृह विभाग ने 28 मार्च को  एक पत्र संविलियन के संबंध में पुलिस मुख्यालय को भेजा। इस पत्र का 2 महीने के बाद भी मुख्यालय ने से जवाब नहीं दिया। मुख्यालय में बैठे डीजीपी सुधीर सक्सेना ने पत्र को मंजूरी नहीं दी। यदि वो पत्र पास कर देते हैं तो संविलियन की प्रक्रिया आगे बढ़ जाएगी।
हाईकोर्ट के आदेश से हो रहा संविलियन
पुलिस मुख्यालय की रोक के बावजूद कुछ आरक्षकों ने सीधे हाईकोर्ट में याचिका लगाई, जिस जिस पर ट्रेड से जीडी में कन्वर्ट होने के आदेश हो गए। यानी जो ट्रेडआरक्षक अनुशासन और वरिष्ठ स्तर से अनुमति नहीं मिलने से हाईकोर्ट नहीं जा पाए, वहीं ट्रेड में हैं । ऐसे आरक्षकों की सुनवाई नहीं हो रही है, जिससे फिर से गृहमंत्री से परिवार सहित मिलकर गुहार लगाने वाले हैं। गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा से ट्रेडमेन आरक्षक मिले थे, जिस पर 24 मार्च 2022 को गृह विभाग के पत्र क्रमांक 210 सचिवालय के माध्यम से संविलियन के लिए निर्देशित किया गया था। इस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह की ओर से 28 मार्च 2022 को पुलिस मुख्यालय को पत्र भेजकर इस मुद्देपर अनुमोदन मांगा गया,लेकिन इसका जवाब नहीं पहुंचा है।
4 हजार से ज्यादा आरक्षक बंगला ड्यूटी पर
मप्र के ये चार हजार से ज्यादा ट्रेड आरक्षक प्रदेश के गृहमंत्री, डीजीपी, एडीजी, आईजी, डीआईजी, एसपी, एएसपी, सीएसपी से लेकर आरआई तक के बंगले पर झाड़ू पोंछा, बर्तन, कपड़े, माली, गाय सेवक, गेट कर्मी, कुक, स्वीपर, ड्राइवर,साफ-सफाई करने समेत दूसरे दीगर काम कर रहे हैं। इन आरक्षक को 5 साल की सेवा के बाद आरक्षक जीडी के पद पर संविलियन से किया जाना था। संबंधित प्रक्रिया जीओपी 57/53 को साल 2013 में तत्काल डीजीपी नंदन दुबे ने बंद कर दिया था, जबकि ट्रेड आरक्षक प्रमोशन पाकर असिस्टेंट सब इंस्पेकर बन गए हैं। लेकिन संविलियन नहीं होने के कारण आज भी वे झाड़ू पोछे का काम आईपीएस अफसरों के बंगले पर कर रहे है। तत्कालीन डीजीपी विवेक जौहरी ने ट्रेड आरक्षक के संविलियन के संबंध में एक कमेटी का गठन किया था, लेकिन यह सब खानापूर्ति ही साबित हुई ।
बंगले पर मनमर्जी का अटैचमेंट
मप्र में ट्रेड आरक्षकों की संख्या 4076 है। इनमें 150 एएसआई, 300 हेड कांस्टेबल और 3350 कांस्टेबल हैं। एडीजी, आईजी, डीआईजी को 8 ट्रेड आरक्षक रखने की पात्रता है। एसपी 4 ट्रेड आरक्षक रख सकता है। एएसपी को 1 ट्रेड आरक्षक रखने की पात्रता है। वर्तमान में एक आईपीएस अफसर के बंगले पर 25 से 35 तक ट्रेड आरक्षक चाकरी कर रहे हैं। आरआई को पात्रता नहीं, फिर भी ट्रेड आरक्षक को सरकारी घर पर तैनात किया गया है।

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