चुनावी मैदान से गायब रहे कांग्रेस के आधे से अधिक स्टार प्रचारक

  • कुछ अपने राज्य में फंसे तो कुछ अपनी सीट पर घिरे
  • गौरव चौहान
कांग्रेस

मप्र के चुनावी मैदान में बीते रोज तक स्टार प्रचारकों का जमावड़ा लगा रहा। भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में स्टार प्रचारकों ने पूरे प्रदेश में मोर्चा संभाल रखा था, तो वहीं कांग्रेस की तरफ से आधे से अधिक स्टार प्रचारकों ने प्रदेश में तक  भी नहीं दिखाया है। इसकी वजह यह है कि कुछ नेता अपने राज्य में फंसे रहे , तो कुछ अपनी ही सीट पर घिरे रहे।  इसका असर चुनाव प्रचार पर साफ देखा गया है। जहां एक तरफ भाजपा के स्टार प्रचार विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचकर कांग्रेस पर जमकर प्रहार कर रहे हैं, वहीं कई कांग्रेस प्रत्याशियों को प्रचार समाप्त होने तक  अपने स्टार प्रचारक का इंतजार ही बना रहा।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने साउथ से लेकर मध्य भारत के सभी दिग्गज नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया, लेकिन 22 नेता सभा और रोड शो से पूरी तरह से गायब रहे। यानी कि चुनाव में प्रचार-प्रसार और रोड शो में शामिल नहीं हुए हैं। कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पहले ही सभा करने से इंकार कर दिया था, फिर भी कांग्रेस को 40 स्टार प्रचारकों की सूची में उन्हें शामिल कर दिया। गांधी परिवार के करीबी केसी वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक ने भी दूरी बनाए रखी। कांग्रेस के प्रत्याशियों के ऐलान के बाद दोनों ही नेताओं ने मप्र से किनारा कर लिया है। अंदरखाने की खबर है कि दोनों नेताओं की नाराजगी की वजह मप्र में नाथ और दिग्विजय सिंह का सीधा दखल हैं। ऐसे में दोनों ही नेताओं ने चुनाव प्रचार से खुद को अलग ही रखा।  
ये क्षेत्र में ही रहे सीमित
कुछ स्टार प्रचारक ऐसे भी हैं, जो विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इस कारण वे अपने क्षेत्र में ही सीमित बने रहे। । गोविंद सिंह लहार से चुनाव लड़ रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष के सामने खुद ही की सीट पर बड़ी चुनौती है। इसलिए आसपास की सीटों पर प्रत्याशियों का समर्थन कर रहे हैं। कांतिलाल भूरिया के बेटे झाबुआ से चुनाव लड़ रहे है। विक्रांत भूरिया के लिए पिता प्रचार कर रहे हैं। जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं और कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष भी उन्हें बनाया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने भोजपुर में एक ही कार्यक्रम किया। इसके अलावा राहुल गांधी के भोपाल में रोड शो में शामिल हुए। विवेक तन्खा जबलपुर की सभी सीटों पर सक्रिय रह कर चुनाव प्रचार में हिस्सा लेते रहे। वहीं कमलेश्वर पटेल, ओमकार सिंह मरकाम, अजय सिंह, जीतू पटवारी, आरिफ मसूद है, जो खुद चुनावी मैदान में हैं। खास बात है कि खुद को रेस में जीतने के लिए चुनाव मैदान में टिके हुए हैं।
ये नहीं आए प्रचार करने
कांग्रेस ने जिन 40 नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया है, इनमें छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, राजस्थान से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह भी है। भूपेश और गहलोत ने साल 2018 के चुनाव में प्रचार किया था, लेकिन साल 2023 के चुनाव में अपने ही गढ़ में उलझे हुए हैं। फिर भला मप्र में चुनाव प्रचार कैसे करने कैसे आते। सूत्र बताते हैं कि एआईसीसी ने उन नेताओं के नाम स्टार प्रचारकों में शामिल कर दिए थे, जिनका प्रदेश में कोई प्रभाव ही नहीं है। पीसीसी की ओर से सिर्फ 3 ही नेताओं की सभा कराए जाने का सुझाव दिया गया था। 28 अक्टूबर को कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी थी। इसके बाद 2 नवबंर को मप्र कांग्रेस ने ऐलान किया था कि 150 सभाएं होंगी। 22 सभाओं और रोड शो की जिम्मेदारी राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़़ेे, राहुल और प्रियंका की तय की गइ थीं। फिर तीनों नेताओं के प्रचार में 10 सीटों और शामिल कर दिया गया था। वहीं कपड़ा फाड़ पॉलिटिक्स को जन्म देने वाले दिग्विजय सिंह 60 को सीटें और कमलनाथ को 70 सीटों पर कमान सौंप दी गई थी। बाकी पर 30 सीटों पर प्रचार की कमान रणदीप सुरजेवाला को सौंप दी गई थी। राज बब्बर ने ग्वालियर की कुछ सीटों पर कुछ दिनों पहले ही चुनाव प्रचार किया था। भोपाल में भी चुनावी मामलों को लेकर प्रेस वार्ता की जाती रहीं। सचिन पायलट पिछले ही दिनों मप्र में आए है। उन्होंने उज्जैन, जबलपुर, खिलचीपुर में प्रचार किया है। कांग्रेस के यंग और डायनामिक व्यक्ति कन्हैया भी चुनाव में दम नहीं दिखा पाए। शायद उनके बयानों से पार्टी ने ही प्रचार से साइड कर दिया। नकुल नाथ छिंदवाड़ा में नाथ की विरासत को संभालने की जिम्मेदारी निभाने में लगे रहे। वे सभी सीटों पर लगातार दौरे और सभाएं कर रहे हैं। कुछ युवा नेताओं के लिए भी वे छिंदवाड़ा के अलावा प्रचार में शामिल हुए हैं।

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