- मतदान के बाद अब सभी को मतगणना का इंतजार…
- गौरव चौहान
मप्र की दो विधानसभा सीटों बुधनी और विजयपुर में बुधवार को उपचुनाव का मतदान हो गया। बुधनी में 77.07 प्रतिशत और विजयपुर में 77.76 प्रतिशत मतदान हुआ। अब इन सीटों के 23 नवंबर को परिणाम आएंगे। इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के अलावा प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं की साख भी दांव पर लगी है। वोटिंग के बाद से ही हार जीत को लेकर सियासी गणित का लेखा जोखा शुरू हो गया है। पिछली बार विजयपुर में कांग्रेस और बुधनी में भाजपा को जीत मिली थी। इन सीटों की हार जीत से केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और विजयपुर से भाजपा प्रत्याशी वन मंत्री रामनिवास रावत की प्रतिष्ठा दांव पर है। मतदान के आंकड़े भी पिछली बार से कम होने के चलते दोनों दलों को अपनी-अपनी जीत को लेकर संशय भी बना है। हालांकि किस की मेहनत रंग लाती है इसका फैसला तो आने वाली 23 नवंबर को ही होगा, लेकिन तब तक दोनों दलों के नेताओं की धडक़न तेज रहने वाली है। दोनों दलों के नेता पोलिंग बूथ के कार्यकर्ताओं से लगातार जानकारी ले रहे हैं। वे हर बिंदु पर चर्चा कर रहे हैं, ताकि अपनी जीत सुनिश्चित कर सकें। मुकाबला कांटे का रहा या एकतरफा, यह कहना अभी मुश्किल है। लेकिन दोनों पार्टियों के दिग्गज नेताओं की धडक़ने जरूर बढ़ गई हैं। बुधनी और विजयपुर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने एक-एक दर्जन सभाएं की हैं। केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 11 सभाएं की। इसके अलावा तीनों नेताओं ने 3-3 रोड शो भी किए हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने विजयपुर में करीब पन्द्रह रैली एवं सभाएं, जबकि बुधनी में 9 रैली एवं सभाएं की हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधनी में एक सभा की थी। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, विवेक तन्खा ने भी कई सभाएं की है।
सीएम के पास इतिहास रचने का मौका
डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद मप्र में भाजपा ने लोकसभा की 29 में से 29 सीटें जीती हैं। अमरवाड़ा उपचुनाव में भी पार्टी को जीत मिली है। अब विजयपुर और बुधनी सीट पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। उन्होंने रावत को कैबिनेट में शामिल करवा कर वन मंत्री बनाया। विजयपुर सीट पर लगातार मुख्यमंत्री चुनाव जीतने के लिए जोर लगाते रहे। यहां पर आदिवासी वोटर अब तक कांग्रेस को वोट करता आया है। ऐसे में विजयपुर सीट सीएम के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। यहां पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पूरी ताकत लगा दी। दरअसल, कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग के नेता को मैदान में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया और आदिवासी वोट को साधने की पूरी कोशिश की। हालांकि भाजपा ने यहां पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी को सहरिया विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाकर आदिवासियों को साधने का प्रयास किया, लेकिन यह कितना कारगर होता है इसका जवाब चुनाव परिणाम ही देंगे।
शिवराज के प्रभाव की परीक्षा
बुधनी सीट पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा देने से खाली हुई है। इस सीट पर भाजपा ने पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल प्रत्याशी हैं। रमाकांत को टिकट मिलने के बाद पार्टी में विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद खुद केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव की कमान संभल ली। दरअसल, बुधनी सीट हारे या कम वोट से जीते तो शिवराज सिंह चौहान की साख गिरेगी। इसलिए बुधनी में अच्छे वोटों से भाजपा प्रत्याशी का जीतना उनके लिए अहम है। बुधनी चुनाव में जहां भाजपा ने शिवराज के प्रभाव को भुनाने का प्रयास किया है। शिवराज की साख भी इस सीट पर दांव पर लगी है, क्योंकि अभी तक शिवराज यहां से चुनाव लड़ते थे, और सिर्फ नामांकन फार्म जमा करने जाते थे। इसके बाद क्षेत्र में चुनाव की कमान उनके पुत्र कार्तिकय ही संभालते थे। लेकिन इस बार शिवराज ने भार्गव के समर्थन में आधा दर्जन से अधिक सभाएं की।
तोमर के लिए विजयपुर अहम
भाजपा में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में नरेंद्र सिंह तोमर बड़ा नाम है। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के हाथ ही में अघोषित रूप से विजयपुर चुनाव की पूरी कमान थी। रामनिवास रावत को भाजपा में शामिल कराने के पीछे अहम भूमिका तोमर ने ही निभाई थी। ऐसे में यदि रावत चुनाव हारते हैं, तो उनको भाजपा में शामिल कराने पर ही सवाल खड़े हो जाएंगे। यही वजह है कि नरेंद्र सिंह तोमर लगातार विजयपुर में चुनाव की कमान
संभाले रहे।
दोनों अध्यक्षों के लिए उपचुनाव अहम
भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के प्रदेश अध्यक्षों के लिए ये उपचुनाव अहम हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के लिए भी बुधनी और विजयपुर की सीट के चुनाव को बेहद अहम माना जा रहा है। अभी तक भाजपा वीडी शर्मा के कार्यकाल में हर चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करते आई है। अब भाजपा संगठन के चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा दोनों सीटें जीतती है तो उनके कद में इजाफा होगा। शर्मा के लिए नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी। उनके नेतृत्व में पार्टी को लोकसभा चुनाव और इससे पहले हुए छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा उपचुनाव में हार मिली। यहां कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए कमलेश शाह जीते थे और कांग्रेस प्रत्याशी धीरन शाह हार गए थे। ताजा उपचुनाव में जीतू पटवारी ने दोनों ही सीटें बुधनी और विजयपुर को जीतने के लिए पूरा जोर लगा दिया। यदि पटवारी दो में से एक भी सीट जीतने में सफल होते हैं तो उनका कद दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से प्रदेश में ऊपर हो जाएगा। इससे उनके नेतृत्व की कार्यकर्ताओं में स्वीकार्यकता बढ़ेगी।