मानसून की बारिश फिर… ला सकती है तबाही

मानसून की बारिश
  • प्रदेश के कई जिलों में जर्जर और अधूरे पुल पुलियां बन सकती हैं मुसीबत…

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। ग्वालियर-चंबल अंचल में पिछले साल बारिश और बाढ़ की तबाही का मंजर अभी लोग भूले भी नहीं हैं कि इस बार फिर से मुसीबत मंडराने लगी है। दरअसल, पिछले साल हुई बारिश और बाढ़ के कारण प्रदेशभर में कई पुल और पुलियां जर्जर स्थिति में पहुंच गई हैं। ऐसे में इस बार आशंका जताई जा रही है कि प्रदेश के कई जिलों में जर्जर और अधूरे पुल पुलियां मुसीबत बन सकते हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में प्री-मानसून की बारिश के साथ ही बरसात का दौर शुरू हो चुका है। ऐसे में इस बार भी प्रदेश के कई जिलों में जर्जर और अधूरे पुल पुलियां लोगों के लिए मुसीबत बन सकते हैं। पहले से क्षतिग्रस्त पुल पुलियों की मरम्मत इस बार भी नहीं हो पाई है। इसी लापरवाही की वजह से पिछले साल शिवपुरी-दतिया में आधा दर्जन पुल-पुलियां बह गए थे, जिसके कारण कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे। अगर सावधानी नहीं बरती गई, तो  इस  बार भी पिछले साल की तरह हालात बन सकते हैं।
बारिश में टापू बन जाते हैं गांव
लगातार बारिश होने से दमोह जिले के जबेरा अंचल में कई गांव टापू बन जाते हैं और यहां रहने वाले लोग इन दिनों काफी परेशानियों का सामना करते हैं। व्यारमा नदी की सहायक नदियों और नालों के साथ व्यारमा नदी का बारिश का पानी कुछ गांवों को चारों ओर से घेरकर टापू बना देता है, जिससे इन गांवों में रहने वाले लोग बाढ़ से कैद हो जाते हैं। हफ्तों तक इलाज, स्कूल से यहां के लोग वंचित रहते हैं। जनपद जबेरा में दर्जनों गांव ऐसे हैं, जो नदी नालों से सटकर बसे हैं, जिनमें ग्राम पंचायत मनगुवां घाट, छपरवाह गांव शून्य नदी व जंगली नाले में बाढ़ के चलते टापू बन जाते हैं। मनगुवां से मौसीपुरा तक का मार्ग डाउन लेबल होने के कारण जरा सी बारिश में बाढ़ का रूप ले लेता है। इसी तरह ग्राम पंचायत सिमरी जालम का गांव लखनी जो शून्य व धुनगी नदी के बीच बसा हुआ है। यह भी बाढ़ के कारण घेरे में आ जाता है। हर साल इन गांव के लोगों को परेशान होना पड़ता है। इसके बावजूद प्रशासन ने अब तक कोई रास्ता नहीं निकाला है।
क्षतिग्रस्त पुल-पुलियों की मरम्मत नहीं
गौरतलब है कि पिछले साल तीन दिन की भारी बारिश में करोड़ों की लागत से बने ग्वालियर-चंबल के इलाके 6 पुल-पुलियां ढह गए थे। इनमें से 4 का निर्माण पिछले 10-11 साल में ही हुआ था। बांधों के गेट खोलने से सिंध और सीप नदी ने भारी तबाही मचाई थी। इस तबाही के बाद सरकार ने मामले की जांच के लिए कमेटी भी बनाई थी। न तो कमेटी की जांच में कुछ  हुआ और न ही क्षतिग्रस्त पुल-पुलियों की अब तक मरम्मत हो पाई है। पिछले साल पुल पुलिया बह जाने और बाढ़ से शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, ग्वालियर, गुना, भिंड और मुरैना जिलों के 1225 गांव प्रभावित हुए थे। इसके बाद भी सरकार ने सबक नहीं लिया है। इस साल भी ऐसे हालात बन सकते हैं। शिवपुरी के ग्राम बिलौआ में सकुला नदी की पुलिया की साइड क्षतिग्रस्त है, जिसमें मिट्टी भरी है। बारिश होने पर मिट्टी बह जाने के कारण रास्ता बंद हो जाएगा। साथ ही ग्राम बागलौन व हिनोतिया के बीच खार वाली पुलिया उखड़ गयी हैप् व क्षतिग्रस्त हैप्। ग्राम दौरानी व छर्च के बीच कड़बानी वाला नाले की पुलिया भी क्षतिग्रस्त है ।  बारिश होने पर पुलिया से निकलना संभव नही हो सकेगा।
आधे-अधूरे आरओबी और पुल
 छिंदवाड़ा में अधूरा आरओबी इस बार बारिश में लोगों के लिए परेशानी बनेगा। वीआईपी मार्ग स्थित टीवी सेनेटोरियम रेलवे क्रासिंग पर बन रहे आरओबी पर गर्डर लांचिंग का कार्य रेलवे व नगर निगम द्वारा किया जा चुका है। आरओबी के ऊपर सुरक्षा दीवार व स्लैब डालने का कार्य चल रहा है। इस कार्य के बाद आरओबी के ऊपर सड़क का निर्माण कार्य किया जाएगा, लेकिन उसमें अभी समय लगेगा। ऐसे में बारिश से पहले शहर वासियों को आरओबी की सौगात नहीं मिल पाएगी। रेलवे के कारण पहले लेटलतीफी हुई। अब बाकी बचे कार्य में लेटलतीफी बरती जा रही है। रेलवे क्रासिंग के ऊपर गर्डर पर कार्य किया जा रहा है, लेकिन ननि ने सड़क का निर्माण दोनों छोर पर शुरू नहीं किया है। वहीं 2007-08 में एक सर्वे एजेंसी ने कटनी नदी के पुल को जर्जर घोषित कर दिया था। कुछ दिनों के लिए इस पुल से भारी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया, यह तो गनीमत है कि अभी तक जर्जर घोषित पुल पूरी मजबूती के साथ खड़ा है, वरना कभी भी शहर दो हिस्से में बंट जाता। 2008 से पुल निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। निर्माण कार्य में इस तरह की लापरवाही का नमूना शायद ही प्रदेश और देश में कहीं देखने को मिले। कटनी नदी पर बनने वाला 90 मीटर का पुल 14 वर्षों में भी पूरा नहीं हो पाया है। कटनी नदी में पुल निर्माण की आधारशिला 2008 में रखी गई जो 2022 में भी पूरा नहीं हुआ। उधर नर्मदापुरम में तवा पुल की मरम्मत का कार्य भी अब तक पूरा नहीं हो सका है। प्रशासन ने कांक्रीट का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन जिस गति से काम चल रहा है, उससे लग रहा है कि इस काम को पुल होने में समय लग सका है। ऐसे में लोगों के सामने परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। पिछले आठ पूरा के करीब से नदी का पानी निकलता है। पुल जर्जर रहता है तो किसी भी तरह की घटना का अंदेशा बना रहेगा। सटेट हाईवे 22 पर स्थित तवा पुल की लंबाई करीब 800 मीटर है।

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