पीएम आवास में जमकर हुई बंदर बांट, खुलासा

पीएम आवास

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बीते पांच सालों में सरकारी महकमे ने सरकारों की मंशा पर पानी फेरते हुए पीएम आवासों की जमकर बंदरबांट करते हुए पात्रों के हकों पर डांका डाला है। इसका खुलासा हुआ है कैग की रिपोर्ट से। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश में वर्ष 2016 से 2021 के दौरान पीएम आवास के वितरण में जमकर बंदर-बांट की गई है। इस योजना को कैसे पलीता लगाया गया है, इससे समझा जा सकता है कि अपात्रों को भी जमकर मकान आवंटित कर दिए गए। इनमें ऐसे हजारों लोग शामिल हैं, जो आलीशान मकानों में रहकर कारों में घूमते हैं। हद तो यह है कि इनमें ऐसे परिवार भी शामिल हैं, जिन्हें एक नहीं बल्कि तीन तीन आवास तक दे दिए गए हैं। इस योजना में किस तरह की मनमानी जिम्मेदारों द्वारा की गई, इससे समझा जा सकता है कि इसकी किस्त का भुगतान नियमानुसार 15 दिन में हो जाना चाहिए , लेकिन 13 लाख हितग्राही ऐसे हैं, जिन्हें दूसरी किस्त पाने के लिए पांच – पांच साल से अधिक का इंतजार करना पड़ा है। इसके बाद भी ऐसे कर्मचारियों व अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई तक नहीं की गई है। प्रदेश में इस अवधि में कुल 25 लाख मकान स्वीकृत किए गए, जिनमें से एक तिहाई हितग्राही जरुर खुश किस्मत रहे हैं, जिन्हें तय सीमा के अंदर किस्त की राशि मिली है। पीएम आवास आवंटन में गड़बडिय़ों के ये चौंकाने वाले खुलासे भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में हुए हैं। विधानसभा में डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने सीएजी की रिपोर्ट पटल पर रखी। उन्होंने 7 अलग-अलग प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। इन रिपोट्र्स में पंचायत एवं ग्रामीण विकास के तहत पीएम आवास वितरण (वर्ष 2016 से 2021) की गड़बडिय़ों का खुलासा किया गया है। इनमें नगरीय प्रशासन, पंचायत विभाग सहित और भी कुछ विभागों की योजनाओं का ब्यौरा है। इनमें पंचायती राज संस्थाओं की कार्यप्रणाली: जवाबदेही तंत्र एवं वित्तीय प्रतिवेदित प्रकरणों की रिपोर्ट में पांच साल का ब्यौरा है। इसमें बताया गया है कि 8.87 लाख मकान दंपती को,12.66 लाख सिर्फ पुरुषों को, 1.37 लाख आवास विवाहिताओं को , 3569 मकान अविवाहित महिलाओं को और 2.29 लाख आवास विधवाओं को आवंटित किए गए हैं।
साढ़े चार लाख से अधिक मकान अपूर्ण
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में कुल स्वीकृत आवासों में से 18 फीसदी अर्थात 4.64 लाख मकान अधूरे हैं। 15 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि अपात्रों को दी है। एक परिवार को 2- 3 मकान तक दे दिए गए। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि विभाग के पास कोई चैक मैथड नहीं था। लाभार्थियों के चयन में भी नियमों की पूरी तरह से अनदेखी हुई।

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