मोहंती की मुश्किलें बढ़ना तय… विभागीय जांच करेंगे पूर्व जज

एसआर मोहंती
  • 719 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के पूर्व मुख्य सचिव रह चुके एसआर मोहंती की मुश्किलें बढ़ना अब तय है। सरकार ने उनके खिलाफ विभागीय जांच  का काम रिटायर्ड जज केके त्रिवेदी को सौंप दिया है। उन्हें यह जांच पूरी कर छह माह में रिपोर्ट शासन को सौंपने के लिए कहा गया है। यह जांच मोहंती के खिलाफ 719 करोड़ रुपये के आइसीडी घोटाले के मामले में की जा रही है।  बताया जा रहा है की त्रिवेदी को जांच का जिम्मा सौंपे जाने की वजह है मोहंती से वरिष्ठ अफसर का न होना।
नियमानुसार कोई सीनियर अफसर ही विभागीय जांच कर सकता है।  उल्लेखनीय  है की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने कुछ साल पहले आईएएस दंपत्ति टीनू जोशी और अरविंद जोशी की विभागीय जांच की थी। दरअसल कमलनाथ सरकार ने उनके खिलाफ जारी जांच को बंद कर उन्हें पदोन्नत करते हुए मुख्य सचिव बना दिया था। सरकार को इस मामले में जबलपुर हाई कोर्ट के आदेश की प्रति करीब दो माह पहले अप्रैल माह के पहले सप्ताह में ही मिल गई थी। इसके बाद कार्मिक विभाग द्वारा आदेश का परीक्षण कराया जा रहा था। परीक्षण के बाद  मोहंती के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने का निर्णय  लिया गया है। मोहंती मार्च 2020 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
घोटाले में फंसे मोहंती के खिलाफ राज्य सरकार ने वर्ष 2021 में अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश जारी किए थे। जिस पर केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने रोक लगा दी थी। कैट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि मोहंती के खिलाफ दो जनवरी 2007 को चार्जशीट के जरिए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई थी। इस पर जांच चल रही थी। इस बीच प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस सरकार ने 28 दिसंबर 2018 को जांच एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। बाद में भाजपा की सरकार आई, उसने जनवरी 2021 में कांग्रेस सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया, जिसे मोहंती ने कैट में चुनौती दी थी। जबलपुर हाईकोर्ट से झटका लगने की वजह से उनके खिलाफ 719 करोड़ के उद्योग घोटाले की जांच का रास्ता एक बार फिर खुल गया है। यह पूरा मामला दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल का है, उस वक्त मोहंती एसआईडीसी के एमडी थे।
ब्याज-बट्टे सहित 4 हजार करोड़ से अधिक हो गई राशि
719 करोड़ रुपए की मूल राशि बीते 20-22 सालों में ब्याज-बट्टे के साथ बढ़कर 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी है। जब शासन ने कुछ वर्ष पूर्व सख्ती शुरू की थी तो कुछ औद्योगिक घरानों ने राशि जमा भी करवाई। मगर कोर्ट-कचहरी या राजनीतिक दबाव-प्रभाव के चलते यह वसूली नहीं हो सकी।
दिग्विजय सरकार में हुआ था घोटाला
दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल में एसआईडीसी (मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम ) में 719 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है। इस मामले में 19 विभिन्न कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की जा चुकी है। एस आर मोहंती उस वक्त एसआईडीसी के एमडी थे। आरोप है कि उनके रहते 719 करोड़ रुपए का कर्ज बिना गारंटी के बांटा गया। तभी से यानि 2004 से इस मामले की जांच चल रही है।
मोहंती ने दी थी चुनौती
मोहंती ने इस आदेश को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की जबलपुर बेंच में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए 8 जुलाई 2021 को कैट ने इस आदेश को स्थगित कर दिया। कैट याने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के इसी आदेश को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उस पर सुनवाई के बाद कैट के आदेश को निरस्त कर दिया गया।
अब चार हजार करोड़ का हो चुका है मामला
एसआईडीसी के एमडी रहते एसआर मोहंती ने इंदौर के सिद्धार्थ ट्यूब्स, गजराज समूह, अल्पाइन, ईशर, ईएनबी सहित अन्य को  उपकृत किया था। यही नहीं मोहंती ने इंदौर की एक कम्पनी को टेलीफोन पर ही 5 करोड़ रुपए की राशि दिलवा दी थी। यह तब किया गया जबकि अल्पाइन सहित कई उद्योगपतियों के खिलाफ तो पूर्व में भी धोखाधड़ी के प्रकरण चल रहे थे। बावजूद इसके मोहंती ने अपने कार्यकाल में उन्हें जमकर उपकृत किया था। उनके द्वारा वर्ष 2000 और उसके बाद इंदौर सहित प्रदेश के कुछ प्रमुख औद्योगिक घरानों को इंटर कापोर्रेट डिपॉजिट स्कीम के तहत 719 करोड़ रुपए के लोन बांटे गए थे। अब यह घोटाला ब्याज-बट्टे के साथ 4 हजार करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है। जब शासन ने कुछ वर्ष पूर्व सख्ती शुरू की थी तो कुछ औद्योगिक घरानों ने राशि जमा भी करवाई। मगर कोर्ट-कचहरी या राजनीतिक दबाव-प्रभाव के चलते यह वसूली नहीं हो सकी।
विवादास्पद रह चुका कार्यकाल
मुख्य सचिव के रूप में भी मोहंती का कार्यकाल खासा विवादित भी रहा है। उन पर मुख्य सचिव रहते उजागर हुए हनी ट्रैप मामले में भी उन पर उंगलियां उठी थीं। इस दौरान सरकार ने मोहंती सहित अन्य अफसरों को बचाया था, लेकिन कुछ दिनों बाद ही प्रदेश में फिर शिवराज सरकार बनी तो मोहंती के बुरे दिन फिर शुरू हो गए थे। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ही इस घोटाले की जांच शुरू करवाई गई थी, जिसकी जांच का जिम्मा राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो को दिया गया था। ब्यूरो की जांच में भी मोहंती को दोषी बताया गया था। यह मामला पूर्व में भी हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, मगर हर बार मोहंती पहले बचे और बाद में उलझते भी गए। पिछले दिनों केट ने जांच पर स्टे दे दिया था और मोहंती को क्लीन चिट भी मिल गई थी। मगर अब हाईकोर्ट ने कल केट के आदेश को रद्द कर दिया, जिसके चलते विभागीय जांच सहित अन्य मोहंती पर लगे आरोपों की जांच फिर से शुरू हो जाएगी। इंदौर के ही कई भू माफियाओं को बचाने के आरोप भी मोहंती पर लगते रहे।

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