मोदी की राह पर चली मोहन सरकार

  • अब मेड इन मप्र पर पूरा फोकस
  • गौरव चौहान
मोहन सरकार

मध्यप्रदेश की डां मोहन सरकार अब पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रह पर चलने को तैयर है। इसकी बानगी है बीते रोज कैबिनेट में मेड इन मप्र को लेकर लिया गया निर्णय। इस बैठक में प्रदेश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट ने मध्य प्रदेश निर्यात नीति-2025 को मंजूरी दी है। इस नीति का उद्देश्य प्रदेश के निर्यात को बढ़ाना, निर्यात दक्षता में सुधार करना और मेड इन मध्य प्रदेश ब्रांड को वैश्विक बाजार में स्थापित करना है। नीति के तहत प्रदेश में बड़े निर्यातकों की भागीदारी बढ़ाने, निर्यात डायवर्सिफिकेशन को बढ़ावा देने और निर्यातकों को वित्तीय और गैर-वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। वृहद श्रेणी की मैन्यफैक्चरिंग यूनिट को उसके उत्पादन का 25 प्रतिशत से अधिक निर्यात करने पर निर्यात प्रोत्साहन सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें पहली बार निर्यात करने वाली यूनिट के लिए रजिस्ट्रेशन को मेंबरशिप सर्टिफिकेशन पर 10 लाख रुपए तक रीइम्बस्र्मन्ट और निर्मात बीमा प्रीमियम पर अधिकतम 25 लाख रुपए तक का रीइम्बस्र्मन्ट किया जाएगा। इसके अलावा निर्यात भाड़ा सहायता के रूप में फैक्टरी परिसर से बंदरगाह, एयर कार्गों, अंतरराष्ट्रीय सडक़ मार्ग तक माल ले जाने के लिए किए गए खर्च की 50 फीसदी राशि और अधिकतम 2 करोड़ रुपये रीइम्बस्र्मन्ट किया जाएगा।
एक्स्पोर्ट ओरिएंटेड इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 करोड़ की मदद
निर्यात  इंफ्रास्ट्रक्चर सहायता के तहत परीक्षण लैब, रिसर्च एंड डेवलपमेंट केंद्र, निर्यात इनक्यूबेशन केंद्र आदि एक्स्पोर्ट ओरिएंटेड इंफ्रास्ट्रक्चर पर किए गए खर्च का 25त्न अधिकतम 1 करोड़ रुपये तक की सरकार मदद करेगी। प्रदेश से निर्यात करने वाली इकाई के लिए इन्क्रीमेंटल फ्री  ऑनबोड वेल्यू (एक-ओबी) पर 10 प्रतिशत  की सहायता 5 वर्षों तक अधिकतम 2 करोड़ रुपये निर्यात टर्नओवर सहायता के रूप में प्रदान की जाएगी। निर्यात विपणन सहायता मे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों प्रदर्शनियों और केता-विक्रेता बैठकों में भाग लेने के लिए किये गये खर्च का 75 प्रतिशत रीइम्बस्र्मन्ट अधिकतम 5 लाख रुपये प्रतिवर्ष प्रदान किया जाएगा।
सरकार की तरफ से मदद भी मिलेगी
निर्यात ग्रीन दस्तावेज सहायता के रूप में निर्यात डाक्यूमेंट लागत ( नेट-जीरो उत्सर्जन कार्बन ऑफसेटिंग आदि) पर किए गए खर्च का 50 प्रतिशत  रीइम्बस्र्मन्ट अधिकतम 20 लाख रुपये प्रतिवर्ष प्रति इकाई 5 वर्षों की अवधि के लिए किया जाएगा। निर्यात वित्तीय सहायता में लिए गए लोन पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान 5 वर्षों के लिए अधिकतम 50 लाख रुपये प्रदान किया जाएगा। एचजीवी सेक्टर्स (फर्नीचर ट्रांसपोर्ट, आदि) एवं वैश्विक बाजार स्तर पर निर्यात की गई वस्तुओं (एलेक्ट्रॉनिक्स मशीनरी, अप्लाइन्स आदि) के लिए 5 प्रतिशत की अतिरिक्त सहायता, अधिकतम 30 लाख रूपये प्रति वर्ष 5 वर्ष की अवधि में निर्यात विकास संवर्धन प्रोत्साहन सहायता के रूप मे प्रदान की जाएगी।
ग्रीन औद्योगिकरण को भी मिलेगा बढ़ावा
नई नीति के तहत कम से कम 25 एकड़ भूमि पर एक्स्पोर्ट ओरिएंटेड यूनिट जो पिछले तीन वर्षों में 25 प्रतिशत से अधिक उत्पादन निर्यात करती हैं, उन्हें डेडीकेटेड एक्सपोर्ट पाक्र्स में भाग लेने का अवसर मिलेगा। नीति में ग्रीन औद्योगीकरण को भी प्रोत्साहन दिया गया है, जिसमें वेस्ट मैनेजमेंट और वॉटर पॉल्यूशन कंट्रोल जैसी सुविधाओं के लिए पूंजीगत अनुदान प्रदान किया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश में निर्यात शुरू करने वाले स्टार्टअप्स के लिए एक्स्पोर्ट इनक्यूबेशन हब भी स्थापित किए जाएंगे, ताकि उन्हें निर्यात प्रक्रिया में मार्गदर्शन और सहायता मिल सके। इसके अलावा प्रदेश के व्यापार सहायता कार्यक्रम, डिजिटल कॉमर्स, और ग्रीन कार्ड स्कीम से निर्यातकों को लाभ मिलेगा।
ऐतिहासिक विरासत को वैश्विक पहचान दिलाने का बड़ा कदम  
मध्य प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर को सृजित करने की बहुत संभावना है। इसको ध्यान में रखते हुए प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक में मध्य प्रदेश की पर्यटन नीति 2025 को स्वीकृति दी।  इसका उद्देश्य प्रदेश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक विरासत को वैश्विक पहचान दिलाना है। साथ ही पर्यटन स्थलों में विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर पर्यटकों को यादगार अनुभव प्रदान कराना है। इस पॉलिसी के तहत गोल्फ, कन्वेंशन सेंटर, वेलनेस रिसॉर्ट, क्रूज, रीजनल हवाई सेवा, हेरिटेज होटल, रोप-वे, म्यूजियम, लाइट एंड साउंड शो के निर्माण को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस पॉलिसी में अल्ट्रा मेगा परियोजनाओं को कलेक्टर गाइडलाइन दर पर 90 वर्षों के लिए उपलब्ध भूमि का सीधा आवंटन किया जाएगा। राज्य में किसी भी स्थान पर पर्यटन परियोजनाओं के लिए 15 प्रतिशत से 30 प्रतिशत अधिकतम 90 करोड़ रुपए तक का अनुदान प्रदान किया जाएगा।

Related Articles