- गौरव चौहान
मप्र की सभी 29 लोकसभा सीटों पर घमासान तेज हो गया है। मिशन 29 के घमासान के तहत आज प्रदेश में पहले चरण की 6 सीटों पर चुनाव प्रचार शाम को थम जाएगा और 19 अप्रैल को इन सीटों पर मतदान होगा। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। दोनों ही दलों ने जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन यह चुनाव दोनों पार्टियों के नए नेतृत्व की पहली परीक्षा है। इस कारण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की साख दांव पर है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद भाजपा लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतने का दम भर रही है। वहीं कांग्रेस दर्जनभर सीटों पर जीत का दावा कर रही है। जनता किसका साथ देती है यह तो 4 जून को ही पता चलेगा, लेकिन इस चुनाव में असली परीक्षा भाजपा और कांग्रेस के नए नेतृत्व की है।
दरअसल, मप्र में 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सियासी तौर पर बदलाव का काम किया। जनता ने इतना बड़ा जनादेश दिया कि भाजपा ने दो दशक से सत्ता की बागडोर संभाल रहे शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया। डॉ. मोहन यादव को सत्ता के शीर्ष पर बैठाया। कांग्रेस की बड़ी हार के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने युवा नेता जीतू पटवारी को पार्टी की कमान दी है। यानी विधानसभा चुनाव के बाद दोनों ही पार्टियों में नया नेतृत्व आगे आ गया है। इसके बाद यहां लोकसभा का पहला चुनाव होने जा रहा है। भाजपा पूरी तरह से पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ रही है, जबकि कांग्रेस या विपक्ष के पास कोई चेहरा नहीं है। चुनावी रणनीति पर इसका भी असर है।
मुख्यमंत्री के तौर पर मोहन यादव के लिए यह पहला चुनाव है। उनकी कोशिश सभी 29 सीटें जीतकर 2019 का रिकॉर्ड ध्वस्त करने का है, जिससे उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर खुद को स्थापित करने में आसानी हो सके। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की कोशिश है कि 2014 और 2019 के चुनावी आंकड़े को सुधारा जाए और आलाकमान के सामने अपनी रणनीति का लोहा मनवाया जाए। इसलिए यह लोकसभा चुनाव पीढ़ी परिवर्तन की परीक्षा भी बन गया है।
जीत और हार के जिम्मेदार ये ही…
भाजपा और कांग्रेस ने जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा की तरफ से सीएम डॉ. मोहन यादव और कांग्रेस की ओर से पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने प्रचार की कमान संभाल रखी है। ये दोनों नेता अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन में सबसे ज्यादा सभाएं कर रहे हैं। ऐसे में इस बार भाजपा और कांग्रेस में प्रत्याशियों की जीत-हार का क्रेडिट नए नेतृत्व के हिस्से में ही आएगा। पुराने दिग्गज नेता या तो अपने निर्वाचन क्षेत्र में उलझे हुए हैं या फिर चुनाव प्रचार में उनका दायरा सीमित कर दिया गया है। दरअसल, मप्र में पहले चरण के लिए छह लोकसभा सीटों जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, सीधी और शहडोल पर 19 अप्रैल को मतदान होगा। हालांकि महाकौशल और विंध्य इलाके की इन छह सीटों पर चुनाव प्रचार के लिए भाजपा की ओर से पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस की ओर से पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी रैलियां कर चुके हैं, लेकिन सीएम डॉ. मोहन यादव और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी प्रतिदिन सभाएं कर रहे हैं। प्रत्याशियों के नामांकन फॉर्म जमा कराने के लिए भी दोनों नेता पहुंच रहे हैं। बताया जा रहा है कि दोनों नेता अब तक 70 से अधिक विधानसभा सीटों पर रैलियां व रोड शो कर चुके हैं।
दिग्गज गढ़ में घिरे…दोनों ने संभाला मैदानी मोर्चा
पिछले कई सालों से भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ चुनाव अभियान की अगुवाई करते थे। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों ही दलों के क्षत्रप शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और कांतिलाल भूरिया इस बार सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्र में सिमट कर रह गए हैं। शिवराज सिंह चौहान, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया जहां खुद लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं छिंदवाड़ा में कमलनाथ अपने पुत्र नकुल नाथ को जीत दिलाने के लिए पसीना बहा रहे हैं। इसलिए अब भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और कांग्रेस की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी पर पूरी जिम्मेदारी आ गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रोजाना प्रदेश की किसी न किसी सीट पर सभा और रोड शो करने पहुंच रहे हैं। इसके अलावा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत शर्मा खजुराहो के अलावा आसपास की लोकसभा सीटों पर भी प्रचार कर रहे हैं। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल महाकौशल क्षेत्र में सक्रिय हैं। नरेन्द्र सिंह तोमर ग्वालियर-चंबल की सीटों पर सक्रिय हैं। कांग्रेस में प्रदेश स्तर पर चुनाव प्रचार की अहम जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के कंधों पर ही है। उनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा भी सामूहिक दौरे कर रहे हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह विंध्य की सीटों पर सक्रिय हैं। पहले चरण में छिंदवाड़ा सीट पर मतदान होगा। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अन्य सीटों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि 19 अप्रैल को मतदान होने के बाद कमलनाथ अन्य सीटों पर सक्रिय होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजगढ़ से प्रत्याशी हैं। यहां तीसरे चरण 7 मई को मतदान होगा। ऐसे में पूर्व सीएम सिर्फ चौथे चरण की सीटों पर ही प्रचार कर सकेंगे।