संगठन चुनाव के बाद होगा मोहन कैबिनेट का पुर्नगठन!

मोहन कैबिनेट
  • कामकाज का किया जाएगा आंकलन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा के संगठन चुनाव के बाद प्रदेश मंत्रिमंडल के पुर्नगठन की संभावना बन रही है। माना जा रहा है कि संगठन चुनाव के बाद मंत्रिमंडल के सदस्यों के कामकाज की समीक्षा की जाएगी। इसके आधार पर कुछ मंत्रियों के विभाग बदले जाएंगे, तो कुछ के विभाग लेकर दूसरों को देकर उनका भार कम किया जाएगा। इस दौरान दो से लेकर चार मंत्रियों को बाहर भी किया जा सकता है।
मंत्रिमंडल का पुर्नगठन मार्च में विधानसभा के बजट सत्र के पहले होने की उम्मीद जताई जा रही है। माना जा रहा है कि संगठन चुनाव निपटने के बाद केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को मंत्रिमंडल में विस्तार एवं फेरबदल के लिए पूरी तरह से फ्री हैंड दे सकता है। इसके अलावा कुछ नए चेहरों को भी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। प्रदेश सरकार के पहले मंत्रिमंडल का विस्तार बीते साल 8 जुलाई 2024 को हुआ था। उस समय दलबदल कर भाजपा में आने वाले कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था, हालांकि तब माना जा रहा था, कि उनके साथ ही एक और दलबदलकर कांग्रेस से आकर उपचुनाव जीते कमलेश शाह को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला था। हालांकि शाह ने मंत्री पद की शर्र्त पर ही कांग्रेस को छोड़ा था। उन्हें भाजपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी में शामिल किया था। फिलहाल अभी मंत्रिमंडल के चार पद खाली हैं। उपचुनाव में मिली हार के बाद रामनिवास मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। इसकी वजह से फिलहाल वन विभाग भी मुख्यमंत्री के पास पहुंच गया। मौजूदा समय में मोहन मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत 31 सदस्य हैं। इनमें 2 उपमुख्यमंत्री, 18 कैबिनेट मंत्री, 6 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 4 राज्यमंत्री हैं। इसकी वजह से माना जा रहा है कि फिलहाल तीन नए चेहरों को मंत्रिमंडल में मौका दिया जा सकता है। फिलहाल पार्टी में मंत्रिमंडल पद के दावेदारों की संख्या करीब एक दर्जन बनी हुई है। इनमें वे दावेदार भी शामिल हैं, जो पहले भी मंत्री रह चुके हैं और वे प्रदेश के वरिष्ठ विधायकों में आते हैं। इनमें उन जिलों के विधायकों को मौका मिल सकता है, जहां पर सभी विधायक पार्टी के हैं और अभी उन जिलों से मंत्रिमंडल में कोई सदस्य नही है। इस दौरान जतीय समीकरणों का भी ध्यान रखा जाएगा। फिलहाल बड़े दावेदारों में गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह और रमेश मेंदोला जैसे नाम शामिल हैं।
खराब कामकाज से छिनेंगे विभाग
फिलहाल प्रदेश व केन्द्र में पार्टी की ही सरकार होने से प्रदेश सरकार को केन्द्र का पूरा सहयोग मिल रहा है। वित्तीय सहायता से लेकर अन्य सभी तरह की मदद मिलने में प्रदेश सरकार को कोई परेशानी नहीं  हो रही है। इसके बावजूद कुछ विभाग खराब परफॉर्मेंस की वजह से लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं। विभागों की खराब परफॉर्मेंस ही कुछ मंत्रियों की कुर्सी छिनने और कुछ के विभाग बदलने की वजह बन सकती है। दो महीने पहले विभागों के कामकाज को लेकर सरकार की ही नियमित रिपोर्ट सार्वजनिक होने से कई विभागों की हकीकत सामने भी आ चुकी है। इसके बाद भी कुछ मंत्रियों के कामकाज में सुधार नहीं हो पाया है। हालांकि माना जा रहा है कि इसके पहले एक बार और आंकलन किया जा सकता है।
जिलों में नहीं हैं रुचि प्रभारी मंत्रियों की  
मंत्रियों को जिलों के प्रभार के लिए करीब 8 महीने तक इंतजार करना पड़ा। पिछले साल 15 अगस्त से एक दिन पहले ही मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा गया था। देरी से जिला मिलने के बाद भी प्रभारी मंत्री जिलों में रुचि नहीं ले रहे हैं। कुछ मंत्री ऐसे हैं, जो जिला मिलने के बाद से सिर्फ एक या दो बार ही जिले में पहुंचे हैं। उच्च स्तरीय सूत्रों ने बताया कि विभागों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट के साथ-साथ प्रभार वाले जिलों में उपलब्धता के आधार पर भी फैसला किया जा सकता है।   

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