- शहर में थी चीत्कार, सांसद को थी मंच की दरकार….
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता को नए भारत का सपना दिखाया है , जिसके केंद्र में जनता जनार्दन ही है।यही वजह भी है की मोदी अपने सांसदों को बार -बार ये हिदायत देते रहते हैं कि आप अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाए,जनता के बीच रहें।उनकी समस्या समझे सुलझाएं।मगर लगता है कि इंदौर के सांसद (किस्मत से मोदी लहर पर सवार होकर सांसद बने) को मोदी की बातों से कोई सरोकार नहीं। इंदौर के सांसद लालवानी ने संवेदनहीनता की जो मिसाल पेश की है वो इंदौर के इतिहास के काले पन्नों में दर्ज हो गई है।
कोई कल्पना भी कैसे कर सकता है कि जब इंदौर के पटेल नगर में एक बावड़ी लाशें उगल रही थी उसी समय एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भोपाल के मंच पर अपने गले मालाओं से सुसज्जित कराने में मग्न था।संवेदनहीनता की इससे बड़ी पराकाष्ठा और क्या होगी।वो भी तब जब समाज की पंचायतें ये तय कर चुकी थी कि भोपाल में सिंधी मजमे में कोई शामिल नहीं होगा।। दरअसल लालवानी खुद को समाज और सरकार से ऊपर समझने लगे हैं। इसी वजह से लालवानी 2018 में भी ऐसा कारनामा कर चुके हैं। सरवटे बस स्टैंड हादसे के वक्त भी सिंधी समाज की पंचायतों ने मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित समाज के कार्यक्रम में शामिल ना होने का निर्णय लिया था, मगर तब भी लालवानी समाज की महिलाओं को लेकर न सिर्फ सीएम निवास पहुंचे थे बल्कि ठुमके भी लगाए थे।। उस वक्त भी लालवानी को समाज के विरोध का सामना करना पड़ा था…इसके अलावा अलग सिंध प्रांत की मांग,प्राइवेट यूनिवर्सिटी से खुद को सर्वश्रेष्ठ सांसद का तमगा दिलाने जैसे कारनामे भी लालवानी के नाम है। संवेदनहीनता के अलावा लालवानी के कंधों पर पटेल नगर बावड़ी में समाए 36 जिंदगी की मृत आत्माओं का भी बोझ आ गया है। सभी जानते है कि शहर में हो रहे अतिक्रमण के पीछे हमारे नेताओं का ही हाथ है। पटेल नगर की बावड़ी पर हुए अतिक्रमण के पीछे तो सीधे सीधे सांसद लालवानी पर आरोप लगे हैं। अतिक्रमण को लेकर कई बार शिकायत की गई मगर कार्यवाही नहीं हुई। सूत्रों के मुताबिक कार्यवाही करने पहुंची टीम को सांसद लालवानी ने ही फोन पर धमकाया था कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई वहां जाने की। उन्होंने न सिर्फ विवादित ट्रस्ट को संरक्षण दिया ,बल्कि अतिक्रमण पर कार्यवाही भी नहीं होने दी।। इसकी रिकॉर्डिंग होने की भी चर्चा है जिससे सांसद महोदय की नींद उड़ी हुई है।
सांसद के कृत्य उजागर होने के बाद पार्टी में भी हलचल मच गई है और पार्टी को अब कोई जवाब सूझ नहीं रहा है। राजनीतिक गलियारों में लालवानी का टिकट कटने की चर्चा ने भी जोर पकड़ रखा है। बहरहाल पूरे मामले में सांसद भले मीडिया को सफाई देते घूमे मगर वो अपनी अंतरात्मा को क्या सफाई देंगे।।ये भी खबर है कि सांसद के शुभचिंतकों ने पूरे मामले की रिपोर्टिंग हेड ऑफिस को भी कर दी है, जिसका परिणाम जल्द सामने आ सकता है।