मोदी देंगे सौगात, समाप्त होगा बुंदेलखंड में जल संकट

  • दशकों के इंतजार के बाद केन-बेतबा लिंक परियोजना उतरेगी जमीन पर
  • रवि खरे
मोदी

दशकों से जल संकट से जूझने की वजह से बेहद पिछड़े अंचलों में शुमार हो चुके बुंदेलखंड अंचल को अगले माह की 5 तारीख को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केन-बेतवा लिंक परियोजना की आधारशिला रखकर बड़ी सौगात देने जा रहे हैं। इसकी आधारशिला को प्रधानमंत्री द्वारा छतरपुर में रखा जाएगा। इस परियोजना की लागत 44,605 करोड़ रुपए है। यह इस अंचल के लिए चुनाव से पहले बड़ी सौगात मानी जा रही है। इसके साथ ही यह तय हो गया है, कि अब मप्र के इस अंचल के साथ ही पड़ौसी राज्य उप्र के भी कई जिलों को इसका बेहद अहम लाभ मिलेगा, जिससे समूचा अंचल विकास के रास्ते पर चल पड़ेगा। खास बात यह है कि, इस तरह की यह देश में पहली परियोजना है, जिसमें दो नदियों को जोडऩे की परियोजना शुरु की जा रही है। इस परियोजना का उद्देश्य बुदेलखंड अंचल में सिंचाई एंव पीने के लिए पानी को उपलब्ध कराना है। इसके साथ ही 103 मेगावॉट की पनबिजली भी पैदा करना है। गौरतलब है कि सूखे बुंदेलखंड में सिंचाई और पेयजल समस्या को दूर करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेई ने दो दशक पहले केन -बेतवा लिंक परियोजना शुरू की थी, लेकिन इसके बाद इस परियोजना को रफ्तार नहीं मिल पाई जिससे दो दशक तक यह परियोजना लंबित रही। परियोजना के पहले चरण में केन नदी पर ढोडऩ गांव के पास बांध बनाकर पानी रोका जाएगा। यह पानी नहर के जरिए बेतवा नदी तक पहुंचाया जाएगा। वहीं, दूसरे चरण में बेतवा नदी पर विदिशा जिले में 4 बांध बनाए जाएंगे। इसके साथ ही बेतवा की सहायक बीना नदी जिला सागर और उर नदी जिला शिवपुरी पर भी बांधों का निर्माण किया जाएगा। प्रोजेक्ट के दोनों चरणों से सालाना करीब 10.62 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही 62 लाख लोगों को पीने के पानी के साथ 103 मेगावाट हाइड्रो पावर भी पैदा किया जाएगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना में दो बिजली प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 72 मेगावाट है। अहम बात यह है कि इस परियोजना की लागत का 90 फीसदी खर्च केन्द्र सरकार उठाएगी, जबकि बाकी दस प्रतिशत खर्च मप्र और उप्र को उठाना होगा।
पानी बंटवारे को लेकर था विवाद
केन-बेतवा लिंक परियोजना में वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश को रबी फसल के लिए 547 एमसीएम और खरीफ फसल के लिए 1153 एमसीएम पानी देना तय हो गया था। वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश की मांग पर रबी फसल के लिए 700 एमसीएम पानी देने पर सहमति बन गई थी। केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश को 788 एमसीएम पानी देना तय कर दिया था, लेकिन यूपी सरकार ने जुलाई, 2019 में 930 एमसीएम पानी मांग लिया था, जिसे मप्र ने इनकार कर दिया था। इसके बाद केन्द्र सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए दोनों राज्यों के साथ बैठक कर मामले को सुलझाया था।
220 किलोमीटर की नहर बनेगी
मध्य प्रदेश के कटनी-पन्ना और छतरपुर जिलों में बहने वाली केन नदी 427 किलोमीटर का सफर तय कर उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के पास यमुना नदी में गिरती है। मध्य प्रदेश रायसेन के पास से निकली बेतवा नदी 576 किलोमीटर का सफर तय करती हुई उत्तरप्रदेश के हमीरपुर के पास यमुना नदी में मिलती है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत ढोढऩ (पन्ना) में डैम बनाकर केन के पानी को रोका जाएगा। यहां से 220.624 किलोमीटर की नहर बनाकर केन का पानी बरुआसागर (झांसी) से निकली बेतवा नदी में छोड़ा जाएगा। इसमें 2 किलोमीटर लंबी सुरंग भी बनाई जाएगी। जिसका मध्यप्रदेश के जिले पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी, रायसेन और उत्तरप्रदेश के जिले बांदा, महोबा, झांसी, ललितपुर को इससे फायदा होगा। बुंदेलखंड क्षेत्र के 62 लाख लोगों को भी इस परियोजना से बेहतर पेयजल आपूर्ति होगी और दो लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी।

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