मोदी-शाह की मप्र पर विशेष नजर , दौरों में हो रही वृद्धि

मोदी-शाह

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। उत्तर भारत के हिन्दी भाषी मध्यप्रदेश राजनैतिक रुप सें बेहद अहम माना जाता है। यह प्रदेश भाजपा का गढ़ है , लेकिन जिस तरह से करीब चार साल पहले वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर होने से सबक लेते हुए भाजपा इस बार अभी से प्रदेश पर पूरा फोकस कर रही है। यही वजह है कि पार्टी अलाकमान सहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की विशेष नजर अभी से मप्र पर टिक गई है। इसकी वजह है प्रदेश में अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव। इसके बाद लोकसभा के चुनाव भी हैं।  यही वजह है कि प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही संगठन के केंद्रीय पदाधिकारियों के प्रवासों में अचानक से तेजी आ गई है।
अपने जन्मदिन के मौके मप्र से देश को चीतों की सौगात देने आए पीएम मोदी अब 24 दिन बाद ही 11 अक्टूबर को उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण करने आ रहे हैं। यही नहीं करीब सवा महीने के अंतराल में शाह का मप्र का दौरा एक बार फिर से तय हो चुका है। अपने उज्जैन प्रवास के दौरान मोदी नवनिर्मित महाकाल लोक के पहले चरण का लोकार्पण कर पूरे देश को संदेश देंगे।  केदारनाथ और काशी विश्वनाथ धाम के नवीनीकरण के बाद अब प्रमुख ज्योतिर्लिंग महाकाल परिसर को भव्य स्वरूप दिया जा रहा है।  इस कार्यक्रम के बाद प्रवासी भारतीयों के सम्मेलन और केन-बेतवा लिंक परियोजना के भूमिपूजन कार्यक्रम में भी पीएम मोदी को मप्र बुलाने की तैयारी की जा रही है। यही नहीं उज्जैन में मोदी द्वारा एक सभा को भी संबोधित किया जाएगा। यह सभी आयोजन अलग-अलग अंचल के इलाकों में आयोजित हो रहे हैं। दरअसल इन दौरों के माध्यम से प्रदेश  के चार अंचलों में भाजपा अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती है। इसकी वजह है बीते आम चुनाव में भाजपा को इन्ही चारों अंचलों में नुकसान उठाना पड़ा था। गौरतलब है कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद पहला मौका था जब जन्मदिन पर 17 सितंबर को मोदी ने श्योपुर के कूनो आए थे।  यहां पर उनके द्वारा नेशनल पार्क में चीते छोड़ेने के बाद कराहल में स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं से उन्होंने संवाद किया था। श्योपुर को ग्वालियर अंचल में आदिवासी बहुल माना जाता है। स्व-सहायता समूह ऐसी इकाई है जिसके माध्यम से सरकारी योजनाओं को निचले स्तर तक पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय हैं कि भाजपा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ऐसे चेहरे हैं जिनकी दम पर ही पूरे देश में भाजपा लगतार चुनाव जीतती आ रही है, फिर चुनाव लोकसभा के हों या फिर विधानसभाओं के। मप्र में इस बार कमलनाथ अभी से पूरी ताकत लगाए हुए हैं, जिसकी वजह से इस बार भाजपा व कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना अभी बनी हुई है। कांगेस भी अभी से प्रदेश में चुनावी मोड में आ चुकी है, तो भाजपा  भी इस मामले में पीछे नही है।
मप्र पर विशेष नजर की वजह
 दरअसल मप्र भाजपा का गढ़ है। इस प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें आती हैं। इनमें से अभी भाजपा के पास 28 सीटें हैं , जबकि एक सीट पर कांग्रेस का सांसद है। यह सीट कमलनाथ के प्रभाव वाली छिंदबाड़ा की सीट हैं। यहां से कांग्रेस के नकुलनाथ सांसद हैं। भाजपा इस बार पूरी तीस लोकसभा सीटों पर जीत चाहती है। यही नहीं मप्र ऐसा राज्य है , जिसमें बीते चार बार से भाजपा की ही सरकार बन रही है। इस बीच 15 माह जरुर कांग्रेस की सरकार रही है, लेकिन उपुचनाव में जीत दर्ज कर भाजपा एक बार फिर से मजबूत होकर उभरी है। मप्र में यह चुनाव ठीक लोकसभा चुनाव के पहले होने हैं, जिसकी हार जीत का असर लोकसभा चुनाव के लिए बेहद अहम है। दरअसल हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा को इस बार 16 में से 7 निकायों में हार का सामना करना पड़ा है।
अब शाह आएंगे ग्वालियर
21 अगस्त को केंद्रीय मंत्री अमित शाह भोपाल प्रवास पर आए थे। यहां पर उनके द्वारा प्रवास के दूसरे दिन चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भाग लिया गया था। इस दौरान उनके द्वारा  सत्ता-संगठन के दिग्गज नेताओं से उन्होंने संगठन के मुद्दे पर भी विचार विमर्श किया गया था। अब एक बार फिर से शाह प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं। वे 16 अक्टूबर को ग्वालियर आ रहे हैं। इसके पहले  शाह बीते साल ठीक 12 माह पहले साल सितंबर में जबलपुर  आए थे, तब उनके द्वारा आदिवासियों के एक कार्यक्रम को संबोधित किया गया था।
आला संगठन पदाधिकारी भी कर रहे दौरे
राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश की रतलाम, उज्जैन और भोपाल यात्राएं अभी चल रही हैं। उनके पहले क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल ठेठ आदिवासी झाबुआ, आलीराजपुर, खरगोन और बड़वानी जिलों की यात्रा कर चुके हैं। प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव सहित संगठन केंद्रीय और राज्य के पदाधिकारी भी मिशन 2023 की जमीनी तैयारियों की समीक्षा में जुटे हैं। खास बात  तो यह है कि भाजपा के केन्द्रीय आला पदाधिकारी तो लगातार मप्र के प्रवास पर आ रहे हैं। वे राजधानी तक ही सीमित नहीं रहते हैं , बल्कि मैदानी स्तर पर भी संगठन की बैठकें ले रहे हैं।

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