- केन्द्रीय करों की एक साथ दो किस्तें देकर दी बड़ी राहत
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार का खजाना खाली होने से डॉ. मोहन सरकार को बीते दो माह से बड़ा कर्ज लेना पड़ रहा है। ऐसे में त्योहारी सीजन में केन्द्र की मोदी सरकार ने मप्र के लिए खजाना खोल दिया है। इसकी वजह से केन्द्र से केन्द्रीय करों के हिस्से से इस माह मिलने वाली एक किस्त की जगह एक साथ दो किस्त की राशि दे दी गई है। इसे प्रदेश के लिए दिवाली के बढ़े तोहफा के रूप में देखा जा रहा है। एक साथ दो किस्त की राशि मिलने से प्रदेश के सरकारी खजाने को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, जुलाई में संसद में पेश केंद्रीय बजट में केंद्रीय करों के हिस्से के रूप में मप्र को 97 हजार 906 करोड़ रुपए मिले थे। केंद्र यह राशि मप्र सरकार को एक साल में 14 समान किस्तों में प्रदान कर रहा है। इस तरह मप्र को हर महीने 7 हजार करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। अक्टूबर में मप्र को 7-7 हजार करोड़ रुपए की दो किस्तें दी गई हैं। इस तरह अक्टूबर में मप्र को केंद्रीय करों के हिस्से के रूप में 14 हजार करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं। इससे सरकार को इस महीने एक बार और कर्ज लेने की अब जरूरत नहीं पड़ेगी। मप्र सरकार ने 22 अक्टूबर को 6 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की तैयारी कर ली थी। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र ने ऐसे समय में केंद्रीय करों के हिस्से की एक साथ दो किस्तें प्रदान की हैं, जब सरकार को पैसे की सख्त जरूरत है। एक अतिरिक्त किस्त मिलने से इस महीने सरकार को एक बार और कर्ज नहीं लेना पड़ेगा। सरकार इस राशि का उपयोग अपनी प्राथमिकता के हिसाब से करेगी।
मप्र पर 4 लाख करोड़ का कर्ज
उधर, मप्र सरकार पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। चालू वित्तीय वर्ष में सरकार 20 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। हाल में उसने 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। मप्र सरकार पर करीब 4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो चुका है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के शुरुआती चार महीने में कोई लोन नहीं लिया था। सरकार ने एक अगस्त को इस वित्तीय वर्ष का पहला 5000 करोड़ रुपए का लेने की औपचारिकताएं शुरू की थी। 22 अगस्त को उसने 5000 करोड़ रुपए का दूसरा कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू की। इसके एक महीने बाद सितंबर में 5000 करोड़ रुपए का तीसरा कर्ज और पिछले दिनों 5 हजार करोड़ का चौथी बार कर्ज लिया था। मप्र सरकार पर 31 मार्च, 2024 की स्थिति में 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। कर्ज की राशि अब बढक़र 4 लाख करोड़ के करीब पहुंच गई है।
यह है कर्ज लेने का फार्मूला
कोई भी राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का अधिकतम 3 प्रतिशत की सीमा तक ऋण ले सकता है। मप्र का सकल घरेलू उत्पाद करीब 15 लाख करोड़ रुपए है। इसी के अनुपात में मप्र सरकार की कर्ज लेने की सीमा निर्धारित की गई है। वित्त अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के तहत किसी भी राज्य सरकार को कर्ज लेने की सहमति देती है। केंद्र की सहमति के बिना कोई राज्य ऋण नहीं ले सकता है।