दूसरे चरण में छह सीटों पर मोदी फैक्टर हावी

मोदी फैक्टर
  • सतना में त्रिकोणीय मुकाबले से कांटे की टक्कर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में पहले चरण की छह सीटों पर मतदान प्रक्रिया समाप्त होने के बाद राजनीतिक दलों ने अपना फोकस दूसरे चरण की छह सीटों पर कर लिया है। दूसरे चरण में खजुराहो, दमोह, टीकमगढ़, होशंगाबाद, रीवा और सतना में 26 अप्रैल को मतदान है। इन छह सीटों में से पांच पर तो अभी भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला है, लेकिन खजुराहो में भाजपा के सामने कोई मुख्य पार्टी नहीं है। सतना में नारायण त्रिपाठी ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। इन छह सीटों में से चार पर भाजपा ने पुराने प्रत्याशियों पर ही भरोसा जताया है। इनमें से कुछ नेताओं के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी है पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा उस पर भारी पड़ रहा है। यही वजह है कि इन सभी क्षेत्रों में भाजपा कांग्रेस से आगे दिख रही है। छह में से चार सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है तो सतना में बसपा के नारायण त्रिपाठी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाते हुए दिख रहे हैं। वहीं खजुराहो में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के सामने वॉकओवर की स्थिति है।
खजुराहो में वीडी को वॉकओवर: 2009 में हुए परिसीमन के बाद खजुराहो सीट अस्तित्व में आई थी। इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद से ही यहां भाजपा को जीत मिलती रही है। खजुराहो में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा मैदान में है। यहां पर कांग्रेस ने इंडी गठबंधन के अपने सहयोगी समाजवादी पार्टी को टिकट दी थी, लेकिन मीरा यादव का नामांकन रद्द हो गया। इसके बाद भाजपा प्रत्याशी वीडी शर्मा को इस सीट पर वॉकओवर मिल गया। हालांकि, इंडी गठबंधन ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रत्याशी आरबी प्रजापति को समर्थन दिया है। फिर भी चुनाव एकतरफा माना जा रहा है। इस सीट पर 1989 से भाजपा का दबदबा रहा है। यहां भाजपा की जीत तय है। भाजपा जीत का अंतर और बढ़ाने के लिए मेहनत कर रही है।
होशंगाबाद में संजय को बड़ी चुनौती
होशंगाबाद सीट पर भाजपा ने दर्शन सिंह को प्रत्याशी बनाया है। उनका मुकाबला कांग्रेस के संजय शर्मा से है। शर्मा दो बार के विधायक हैं। वे भाजपा में रहे हैं। वे प्रभावशाली व्यक्ति हैं, लेकिन क्षेत्र भाजपा का गढ़ है। मोदी के चेहरे का लाभ दर्शन सिंह को मिल रहा है। इस क्षेत्र की सभी आठ सीटें भाजपा के पास हैं। इस क्षेत्र से प्रहलाद पटेल, राव उदय प्रताप सिंह और नरेंद्र शिवाजी पटेल तीन मंत्री आते हैं। ऐसे में भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है। भाजपा का गढ़ बन चुके इस क्षेत्र में कांग्रेस सिर्फ एक बार जीती जब राव उदय प्रताप सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी, उसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और भाजपा के टिकट पर सांसद रहे। भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर कांग्रेस इस बार कोई चमत्कार कर पाएगी, इसकी उम्मीद कम ही है। इस संसदीय क्षेत्र से तीन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह, प्रहलाद पटेल और नरेन्द्र शिवाजी पटेल आते हैं।
सतना: नारायण ने त्रिकोणीय बनाया मुकाबला
भाजपा सांसद गणेश सिंह एक बार फिर मैदान में हैं। वे पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में वे जिन सिद्धार्थ कुशवाहा से पराजित हुए थे। कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा चुनाव में भी उनके सामने प्रत्याशी बनाया है। चार बार से सांसद होने के कारण गणेश सिंह के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी है पर भाजपा को विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा और बेहतर बूथ प्रबंधन कांग्रेस पर भारी पड़ेगा। सिद्धार्थ कुशवाहा पिछले बार से विधायक हैं। उनके पिता सुखलाल भी इस सीट से बसपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं। यहां कांग्रेस, सपा और भाजपा में रहे नारायण त्रिपाठी ने इस बार बसपा के हाथी की सवारी कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास किया है। क्षेत्र में 22 प्रतिशत मत ब्राह्मणों के है। त्रिपाठी को बसपा के अलावा इन मतों से भी आस है।
टीकमगढ़ में स्थानीय बनाम बाहरी बना मुद्दा
टीकमगढ़ सीट पर भाजपा ने केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने पंकज अहिरवार पर दांव लगाया है। वीरेंद्र कुमार सात बार के सांसद हैं, उनके खिलाफ नाराजगी बताई जा रही है, लेकिन मोदी के नाम पर लोग भाजपा को पसंद कर रहे हैं। वहीं, अहिरवार नए हैं, उनसे लोग परिचित नहीं हैं। यही कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। यहां पर अहिरवार वोटर्स की संख्या पांच लाख के करीब है। कांग्रेस यहां पर स्थानीय बनाम बाहरी के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है।  वीरेन्द्र से नाराजगी की बात तो लोग कहते हैं पर उनका कहना है कि वे वोटे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए भाजपा को ही देंगे। नया चेहरा है, उनकी क्षेत्र में यहां पिछड़ा वर्ग के मतदाता चुनाव का रुख वे ही तय करेंगे।
दमोह में लोधी बनाम लोधी में टक्कर
दमोह में भाजपा ने कांग्रेस से गए पूर्व विधायक राहुल लोधी को उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व विधायक तरवर सिंह लोधी को टिकट दिया है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था। यहां पर लोधी वोटर निर्णायक होता है। भाजपा को मोदी का चेहरे और लोधी प्रत्याशी होने का फायदा मिल रहा है। भाजपा में जयंत मलैया और प्रहलाद पटेल गुट एकजुट होकर चुनाव लड़ रहा है।

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