मध्यप्रदेश के मॉडल स्कूल…बने शोभा की वस्तु

मॉडल स्कूल
  • दस साल बाद भी नहीं हो सकी शिक्षकों की व्यवस्था

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में शिक्षा की गुणवता सुधारने के लिए सरकार ने हर ब्लॉक में मॉडल स्कूल तो खोल दिए लेकिन शिक्षकों की व्यवस्था नहीं की गई। इसलिए अच्छा भवन और सुविधाएं होने के बाद भी इन स्कूलों में पढ़ने के लिए छात्र नहीं हैं। बच्चों की संख्या कम होने के कारण प्रदेश के तीन स्कूल भवन केंद्रीय विद्यालय के लिए सौंप दिए गए हैं। इन्हीं के कुछ  कमरों में मॉडल स्कूलों की 9वीं से 12वी की कक्षाएं भी लगाई जा रही हैं। केंद्र सरकार की योजना के अनुसार मॉडल स्कूलों में 6 से 12वीं तक की कक्षाएं लगाई जानी थीं। लेकिन इन स्कूलों को दो भागों में बांट देने से पूरी व्यवस्थाएं चौपट हो गई हैं।
गौरतलब है कि केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर प्रदेश के हर ब्लॉक में खोले गए मॉडल स्कूलों में दस साल बाद भी शिक्षकों की व्यवस्था नहीं हो सकी है। इसके चलते इन स्कूलों की तरफ छात्र का रुझान कम हुआ है। नतीजतन, अधिकारियों की लापरवाही के कारण करोड़ों की बिल्डिंग में मात्र चार कक्षाएं ही लगाई जा रही हैं।
स्कूल शुरू होने के साथ ही बंद होने लगे
उल्लेखनीय है कि कक्षा 1 से 8वीं तक के स्कूलों के संचालन की व्यवस्था राज्य शिक्षा केंद्र के पास है और कक्षा 9वीं से 12वीं तक की व्यवस्था लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा देखी जाती है। मिडिल, प्राइमरी एवं हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल का मैनेजमेंट भी पूरी तरह से अलग है। इस कारण अधिकारियों ने प्रदेश की व्यवस्था के अनुसार शुरुआत में कक्षा 9वीं से स्कूल शुरू किया। इसके बाद 10वीं 11वीं और 12वीं कक्षाएं भी शुरू कर दी गई, लेकिन 6वीं, 7वीं एवं 8वीं के लिए सेंट्रल से अनुमति नहीं ली गई और कक्षाएं शुरू कर दी गई, इसके कारण यह स्कूल शुरू होने के साथ ही बंद होने लगे है।
छात्र संख्या के आधार पर अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था
मप्र में मॉडल स्कूलों का कार्य 2009-10 में शुरू किया गया था। इसके लिए केंद्र ने प्रति स्कूल 3.02 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। वैसे तो यह काम 2011-12 में ही पूरा हो जाना था। इस साल 90 फीसदी स्कूलों की बिल्डिंग का काम तो पूरा हो गया, लेकिन शिक्षकों की व्यवस्था अब भी नहीं हो सकी है। फिलहाल इन स्कूलों में अन्य सरकारी स्कूलों से कुछ शिक्षकों की व्यवस्था कर दी गई है। इसके अलावा छात्र संख्या के आधार पर अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था की जाती है। वहीं मॉडल स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम होने से तीन मॉडल स्कूलों के आधे से अधिक भवन को सेंट्रल स्कूलों को दे दिया गया है। गंजबासौदा, मुलताई और नीमच के मॉडल स्कूलों में अब केंद्रीय स्कूलों का संचालन किया जा रहा है, यहां मॉडल स्कूलों की 9वीं से 12वीं की कक्षाएं भी चलेंगी। राजधानी के दोनों ब्लॉक के लिए लालघाटी एवं हरांखेड़ा क्षेत्रको मॉडल स्कूल के लिए चुना गया था। फंदा ब्लॉक के लिए लालघाटी क्षेत्र में बिल्डिंग तैयार की गई है। लंबे समय तक जगह न मिलने के कारणइसका काम लेट शुरू किया गया था, लेकिन इस बिल्डिंग का काम भी अब पूरा हो चुका है। वहीं बैरसिया ब्लॉक के लिए हरार्खेड़ा में मॉडल स्कूल की बिल्डिंग तैयार हो चुकी है।

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