प्रदेश में विधायकों को भी लेना होगा एक-एक गांव गोद

विधायकों
  • सरकार की मंशा मॉडल गांव बनाने की  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की मोहन सरकार का फोकस इन दिनों प्रदेश के चहुंमुखी विकास के साथ ही गांवों के विकास पर भी बना हुआ है। यही वजह है कि अब सरकार एक बड़ा फैसला करने वाली है, जिसके तहत हर विधायक को अपने विधानसभा क्षेत्र के एक गांव को गोद ले कर उसे मॉडल ग्राम के रूप में विकसित करना होगा। सरकार के इस बाध्यकारी फैसले की वजह से प्रदेश में हर साल सभी 230 विधानसभाओं में एक -एक मॉडल गांव के रुप में तैयार हो सकेगा। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर अपना एकाधिकार जमाने के बाद प्रदेश की भाजपा सरकार उत्साहित भी है और विकास की नई कहानी लिखने की तरफ अग्रसर हो रही है। इसी के चलते प्रदेश की हर विधानसभा में एक एक मॉडल गांव तैयार करने की योजना बनाई गई है। बताया जा रहा है कि इन चिन्हित गांवों के समग्र विकास की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के विधायक पर होगी। इसके लिए सांसदों की तरह सभी विधायकों को भी उनकी विधानसभा क्षेत्र का एक गांव गोद लेना होगा।
सांसदों ने नहीं ली गोद लिए गांवों की सुध
सबको पक्का घर दिलाने वाली योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन गांवों को प्राथमिकता देने की बात कही गई थी, जिन्हें आदर्श ग्राम योजना में चयनित किया गया है, लेकिन इस योजना का भी लाभ गांवों को अतिरिक्त रुप से नहीं मिल सका है। यही नहीं सडक़ पानी और बिजली जैयी मूलभूत सुविधाएं तो उपलब्ध करानी ही थी, लेकिन वह भी उपलब्ध नहीं हो सकी हैं। इसी तरह से इन गांवों में शत-प्रतिशत टीकाकरण,शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव , शत-प्रतिशत सुरक्षित आवास और ब्रॉड बैंड कनेक्टिविटी जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध करानी थीं। इस मामले में सरकार भी इस बात को मानती है कि इस योजना में सांसद ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे। उसकी एक बड़ी वजह ये है कि इस योजना के लिए अलग से कोई पैसा नहीं दिया गया है।
ढाई सौ से ज्यादा गांव होंगे विकसित
मप्र को गांवों का प्रदेश कहा जाता है। एक अनुमान के मुताबिक यहां 54 हजार से ज्यादा गांव मौजूद हैं। हालंकि केंद्र और प्रदेश की विभिन्न योजनाओं ने इन गांवों तक सडक़, पानी, बिजली की सुविधाएं पहुंचाई हैं। प्रदेश सरकार के नए कदम से हर विधानसभा में एक एक गांव विकसित किया जाता है तो कुल 230 गांवों तक सुविधाएं पहुंचेंगी। इसके अलावा प्रदेश के सांसदों को भी उनकी संसदीय सीमा में एक गांव गोद लेने की व्यवस्था है। इस लिहाज से प्रदेश के ढाई सौ से ज्यादा गांव पहले से ज्यादा विकसित हो सकते हैं।
पहले की तरह न हो हश्र
पूर्व व्यवस्था के मुताबिक प्रदेश के सांसद अपने क्षेत्र के गांव गोद तो ले लेते हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश सांसद जिम्मेदारी लेने के बाद अपने कर्तव्य से विमुख ही दिखाई दिए हैं। गोद लेने के बाद कई गांवों का यह हश्र भी हुआ है कि संबंधित सांसद पूरे कार्यकाल में उस गांव तक पहुंचे ही नहीं हैं। यही वजह है कि सांसदों द्वारा गोद लिए गांव अब तक जस के तस स्थिति में बने हुए हैं। प्रदेश में नई व्यवस्था की शुरुआत के साथ इस बात पर ध्यान रखना भी जरूरी होगा कि संबंधित विधायक इसके प्रति गंभीरता दिखाएं।
शिक्षा, स्वास्थ्य को प्राथमिकता
विधायकों द्वारा गोद लिए जाने वाले आदर्श ग्राम की प्राथमिकताओं में सडक़, पानी, सीवेज, स्वच्छता तो होगी ही। साथ ही इन गांवों में शिक्षा और स्वास्थ्य को खास महत्व दिया जाएगा। कोशिश यह भी की जाएगी कि इन गांवों में सरकारी योजनाओं के अलावा निजी सेक्टर से रोजगार के साधन मुहैया कराए जाएं। ताकि ग्रामीणों को अपनी धरती से पलायन का दंश न झेलना पड़े।

Related Articles