दो दशक से अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री को है जीत की दरकार

अल्पसंख्यक विभाग
  • भाजपा की लहर भी नहीं जिता सकी रामखेलावन पटेल को

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बीते दो दशक से जारी भाजपा की जीत का सिलसिला जारी है। इस बीच कई तरह के मिथक सामने आते रहे हैं। ऐसा ही एक मिथक है, जो भाजपा सरकार में बना है। यह है जो भी भाजपा विधायक अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का मंत्री बनता है, वह अपना अगला चुनाव हार जाता है। इसकी वजह है बीते दो दशक में पांच विधानसभा चुनाव हुए हैं और हर चुनाव में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री को हार का सामना करना पड़ा है। इस विभाग के मंत्री को भाजपा के पक्ष में चलने वाली लहर भी जीत नहीं दिला सकी है। ताजा मामला मौजूदा अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रामखेलावन पटेल का है। वे भी इस बार हार गए हैं। पहले तो उनका टिकट ही खतरे में पड़ा हुआ था। जैसे- तैसे टिकट मिला तो उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ गया। साल 2003 से सतत् चल रही भाजपा सरकार में अब तक कई नेताओं को अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का जिम्मा मिल चुका है। लेकिन यह अजीब संयोग है कि जिस भी मंत्री को इस विभाग की जिम्मेदारी मिली, वह या तो टिकट दौड़ में पिछड़ गया, या चुनाव में उसे हार का मुंह देखना पड़ गया। अखंड प्रताप सिंह, रुस्तम सिंह, डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, अंतर सिंह आर्य, अजय विश्नोई, ललिता यादव जैसे नाम इस सूची में शामिल हैं। भाजपा की मौजूदा सरकार के आखिरी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रामखेलावन पटेल रहे। चुनावी अटकलों के बीच उनके टिकट पर संकट लहराने लगा था। कुछ विवादों और पार्टी के सर्वे में उनको इस दौड़ से बाहर किए जाने की तैयारी कर ली गई थी, लेकिन आखिरी सूची में उनका नाम शामिल कर दिया गया। जिसके बाद उन्होंने अपनी परंपरागत सीट अमरपाटन से चुनाव लड़ा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
आरिफ अकील ही तोड़ सके अपवाद
कांग्रेस के सीनियर लीडर आरिफ अकील ने जरुर इस अपवाद को तोड़ा है। वे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के दौरान दो बार अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री पद पर रह चुके हैं। लेकिन उनको इस किवदंती का असर अपने घेरे में नहीं ले पाया। हालांकि इस चुनाव उनका मैदान से हट जाना भी अब इसी रूप में जोड़ा जा रहा है कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने वाला एक नेता और कतार से कम हो गया है। अगर इस चुनाव कांग्रेस बहुमत पाती और प्रदेश में उसकी सरकार बनती तो निश्चित तौर पर इस विभाग का जिम्मा आरिफ मसूद के हिस्से आने वाला था। पूर्व में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रह चुके अजय विश्नोई और ललिता यादव इस बार फिर जीत का सेहरा बांधकर विधानसभा में शामिल हो गए हैं। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहने के बाद इन दोनों को अलग-अलग जगह और अलग- अलग कारणों से विधानसभा से दूर होना पड़ गया था। माना जा रहा है कि विश्नोई इस विभाग से जुड़े कुछ संस्थानों से व्यक्तिगत रुचि रखते हैं।

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