- एक दर्जन मंत्रियों ने बैठक में आना नहीं समझा मुनासिब
- हरीश फतेहचंदानी
सत्ता हो या फिर संगठन प्रदेश के मंत्रियों को कोई फर्क नहीं पड़ता है, वे तो इन दोनों को ही अपने ठेंगों पर रखकर चलते हैं। वे उस चिकने घड़े की तरह हो चुके हैं, जिस पर कितना भी पानी डालो ठहरता ही नही है। यही वजह है कि बार-बार प्रदेश संगठन से लेकर केन्द्रीय नेताओं तक को उन्हें नसीहतें देनी पड़ रही हैं, लेकिन वे हैं, कि अपनी कार्यशैली को सुधारने को तैयार नही हैं। इसकी बानगी उस समय दिखी जब बीते रोज प्रदेश भाजपा कार्यालय में करीब दो घंटे तक सीएम की मौजूदगी में संगठन नेताओं ने जमकर क्लास ली। इस दौरान तो कई मंत्री कार्यकर्ताओं की तरह अफसरों द्वारा उनकी बात नहीं सुनने का रोना रोया गया। यह वे मंत्री हैं , जिनके खिलाफ कार्यकार्ताओं को इसी तरह की शिकायत बनी हुई है। हद तो यह हो गई अधिकांश मंत्री संगठन की कसौटी पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं। बैठक में नसीहत दी गई कि अब इसी तरह से हर महिने में एक या फिर दो बार बैठकें कर उनके कामकाज की कैफियत ली जाएगी। यह क्लास राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, रमाशकंर कठेरिया, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितांनद की मौजूदगी में ली गई। पार्टी सूत्रों की माने तो इस दौरान सभी मंत्रियों से आठ पहले से तय बिंदुओं पर कैफियत ली गई। बताया जाता है कि अधिकांश मंत्रियों ने इसमें लिखा कि वे भविष्य में इस पर और अधिक ध्यान देंगे। हद तो यह है कि एक दिन पहले संगठन द्वारा सूबे के सभी मंत्रियों को तलब किए जाने के बाद भी एक दर्जन मंत्रियों ने इस बैठक से दूरी बनाए रखी। इनमें कई वरिष्ठ मंत्री तक शामिल हैं।
मंत्रियों की शिकायतों में हो रही वृद्धि
भाजपा संगठन सूत्रों के मुताबिक चुनावी साल में मंत्रियों को लेकर संगठन नेताओं की शिकायतें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। यही नहीं कार्यकर्ता भी उनसे खुश नही हैं। उनको लेकर यह शिकायत सर्वाधिक है कि वे प्रभार के जिले में दौरे की सूचना तक जिला भाजपा कार्यालय को नहीं देते हैं। यही नहीं वे जब भी प्रभार के जिलों में आते हैं तो अपने खास लोगों से ही घिरे रहते हैं और पार्टी कार्यालय भी नहीं आते हैं। यह हालात तब बने हुए हैं , जबकि संगठन और सीएम पहले भी कई बार मंत्रियों को कड़े शब्दों में कह चुके हैं कि वे जब भी प्रभार के जिलों में जाएं वहां पार्टी कार्यालय जाएं, कार्यकर्ताओं से संवाद करें और रात्रि विश्राम करें। इसके उलट अधिकांश मंत्री प्रभार के जिलों में केवल रस्म अदायगी के लिए जाते हैं।
यह मिले निर्देश
बैठक में एक बार फिर निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रतिमाह कोर कमेटी की बैठकों में शामिल हों और दौरे के समय प्रभार के जिलों में रात्रि विश्राम जरुर करें। यही नहीं हर बार दौरे के समय नए कार्यकर्ताओं के घर भोजन करने जाएं। जिले में प्रवास के दौरान पहले पार्टी कार्यालय जाएं और जिला पदाधिकारी, मंडल अध्यक्ष से चर्चा करने के बाद ही शासकीय बैठक में जाएं , ताकि आवश्यक विषय पर प्रशासन से समाधान निकल सके। इसी तरह से दो से तीन कार्यकर्ताओं के मोबाइल नंबर एलर्ट पर रखें, ताकि आपात स्थिति में वे सीधे बात कर सकें। इसी तरह से उन्हें कहा गया है कि किसी सामाजिक संस्था, संगठन के किसी कार्यक्रम में सहमति देने से पहले जिलाध्यक्ष से चर्चा अवश्य करें और संगठन के कार्यक्रमों को प्राथमिकता से लें।
मंत्रियों ने भी की शिकायतें
बैठक में कुछ मंत्रियों ने कलेक्टरों की शिकायत की। उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव से जब उनके प्रभार वाले जिलों राजगढ़ और डिंडोरी पर सवाल किया गया तो उत्तर में राजगढ़ कलेक्टर हर्ष दीक्षित की शिकायत करने लगे। उनका कहना था कि वे तो बहुत ढीले हैं। उनका व्यवहार भी अच्छा नही है। इसी तरह से स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि बैतूल कलेक्टर किसी की नहीं सुनते। उन्होंने सरकारी विकास यात्रा निकाली , लेकिन भाजपा को पूछा तक नही। उल्लेखनीय है कि बैतूल कलेक्टर अमनवीर सिंह बैंस सरकार के चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैस के बेटे है।
इस तरह की दी नसीहत…
शिवप्रकाश ने दो टूक कह दिया ताली आप लोग लेते है तो गाली भी लें। और किसी भ्रम में न रहे। सरकार रहेगी तो ही मंत्री रहोगे। भ्रम में न रहें, सरकार रहेगी तो ही मंत्री रहोगे, इसलिए परफॉर्म करो। मंत्रियों से वन-टू-वन में शिवप्रकाश ने स्पष्ट कह दिया कि चुनाव नजदीक हैं। प्रभार वाले जिलों पर गंभीरता से ध्यान दें। प्रत्येक फीडबैक पर हर महीने इसी तरह बैठक होगी। ये महीने में दो बार भी हो सकती है । इसलिए ध्यान दें। सिर्फ आप ही मंत्री क्यों हैं, ये सोचिए। बहुत सारे दूसरे लोग भी हैं। परफॉर्म नहीं करेंगे तो मुश्किल होगी। भ्रम में भी मत रहिए। संगठन और कार्यकर्ताओं की वजह से ही सरकार में हैं। जिले में या किसी कार्यक्रम में जाएं तो इसकी सूचना जिले को हो ।
यह मांगी रिपोर्ट…
बैठक में मंत्रियों से कहा गया कि जिलों में जाएं तो हर बार नए कार्यकर्ता के घर भोजन करें। मंक्ष्यिों से अगली बैठक से पहले जिलों की एक पॉलिटिकल रिपोर्ट बनाकर मांगी गई है। इसमें विधानसभा चुनाव के संभावित पार्टी प्रत्याशी, विपक्ष के दावेदार, कमजोर और मजबूत परिस्थितियां, बूथ पर जमावट, सोशल मीडिया की जानकारी शामिल है।