- गौरव चौहान
तकरीबन 7 माह बाद प्रदेश सरकार के मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा गया है। मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपने में कई तरह के समीकरणों को ध्यान में रखा गया है। एक तरफ जहां वरिष्ठ मंत्रियों को दो-दो जिलों का प्रभार सौंपा गया है, वहीं सिंधिया समर्थक मंत्रियों को उनकी प्राथमिकता के अनुसार जिले का प्रभार सौंपा गया है। भाजपा सूत्रों की मानें तो पहली बार जिला प्रभारी मंत्रियों की सूची केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने फाइनल की। मंत्रियों को आवंटित जिलों की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तासीर देखने से स्पष्ट हो जाता है कि मुख्यमंत्री ने प्रभारी मंत्री बनाते समय पॉलिटिकल विजन का पूरा ध्यान रखा है। इसमें सीएम डॉ. यादव ने इंदौर जिले का प्रभार अपने पास रखा है। डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल सागर और शहडोल के प्रभारी मंत्री बनाए गए हैं। वहीं, जगदीश देवड़ा को जबलपुर और देवास जिले का प्रभारी मंत्री बनाया गया है। कांग्रेस से भाजपा में आकर मंत्री बने राम निवास रावत को मंडला और दमोह जिले का जिम्मा दिया गया है। मंत्रियों को दिए जिलों के प्रभार में भी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पावर अपने हाथ में ही रखा है। प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर जिले का प्रभार सीएम ने अपने पास रखा है। वहीं राजधानी भोपाल जिले की कमान चैतन्य कश्यप को दी है। माइनिंग के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण सिंगरौली जिले का प्रभार संपतिया उईके को दिया गया है। जिलों के प्रभारी मंत्रियों की घोषणा होने से पहले कांग्रेस यह आरोप लगा रही थी कि मंत्रियों के बीच सिंगरौली जैसे भारी-भरकम राजस्व देने वाले जिले को लेकर खींचतान मची है। लेकिन, जब लिस्ट आई तो पहली बार मंत्री बनी संपतिया उईके को सिंगरौली की जिम्मेदारी दी गई। सीनियर मंत्रियों के प्रभार में एक जिला गृह नगर से नजदीक और एक दूर का दिया गया है। मोहन कैबिनेट में सीएम के अलावा 31 मंत्री हैं। इनमें से सात मंत्रियों को एक-एक जिले का प्रभार दिया गया है।
ग्वालियर में फिर सिलावट बने प्रभारी मंत्री
पिछली सरकार के गठन के बाद इंदौर के रहने वाले सिंधिया समर्थक तुलसी राम सिलावट ग्वालियर के प्रभारी थे। यह बात भाजपा नेताओं को हजम नहीं होती थी। हालांकि वो सामंजस्य बिठाने का प्रयास करते रहते थे, लेकिन इस पर सबकी खास निगाहें थी, क्योंकि पूरी भाजपा आश्वस्त थी कि इस बार ग्वालियर जिले का प्रभारी मंत्री संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कोई समर्थक नहीं बनेगा। भाजपा नेताओं के बीच तो तीन दिन से प्रभारी मंत्री का नाम भी चर्चा में था। अभी बड़े नेता दावा कर रहे थे कि इंदर सिंह परमार को ग्वालियर का प्रभार मिलेगा। बस इसकी औपचारिक घोषणा बाकी है। इसी तरह कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आये रामनिवास रावत को भिंड का प्रभारी मंत्री बनाने की चर्चा थी। लेकिन सिंधिया के क्षेत्र में उनके ही करीबी मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिया गया है। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट को फिर से ग्वालियर का प्रभारी मंत्री बनाया गया है। सिलावट को बुरहानपुर की भी जिम्मेदारी मिली है। सिंधिया के दूसरे करीबी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को गुना और नरसिंहपुर की जिम्मेदारी मिली है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को इस बार शिवपुरी और पांढुर्णा का प्रभार मिला है। तोमर पिछली सरकार में गुना के प्रभारी मंत्री थे।
वरिष्ठ मंत्रियों को दो जिले
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर का प्रभार अपने पास रखा है। मोहन सरकार ने सीनियर नेताओं को तवज्जो देते हुए दो जिलों का प्रभार दिया है। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को सतना और धार दो जिलों का प्रभार सौंपा है। इसके अलावा उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा को जबलपुर, देवास और राजेंद्र शुक्ल को सागर व शहडोल का जिम्मा दिया गया। मंत्री कुंवर विजय शाह को रतलाम, झाबुआ, प्रहलाद पटेल को भिंड, रीवा, राकेश सिंह को छिंदवाड़ा, नर्मदापुरम, मंत्री करण सिंह वर्मा को मुरैना, सिवनी, मंत्री उदय प्रताप सिंह को बालाघाट, कटनी, मंत्री संपतिया उइके को सिंगरौली, अलीराजपुर, तुलसी सिलावट को ग्वालियर, बुरहानपुर, एदल सिंह कंसाना को दतिया, छतरपुर, निर्मला भूरिया को मंदसौर, नीमच, गोविंद सिंह राजपूत को नरसिंहपुर, गुना, विश्वास सारंग को खरगोन, हरदा, नारायण सिंह कुशवाह को शाजापुर, निवाड़ी, नागर सिंह चौहान को आगर और उमरिया, प्रद्युम सिंह तोमर को शिवपुरी, पांढूर्ना का प्रभार सौंपा गया है। चेतन कश्यप को भोपाल और राजगढ़ के प्रभारी मंत्री बनाए गए हैं। वहीं इंदर सिंह परमार को पन्ना, बड़वानी, राकेश शुक्ला को श्योपुर, अशोकनगर, रामनिवास रावत को मंडला, दमोह, कृष्णा गौर को सीहोर, टीकमगढ़ का प्रभारी बनाया गया है। वहीं धर्मेंद्र सिंह लोधी को खंडवा, दिलीप जायसवाल को सीधी, गौतम टेटवाल को उज्जैन, लखन पटेल को विदिशा, मऊगंज, नारायण सिंह पवार को रायसेन, नरेंद्र शिवाजी पटेल को बैतूल, प्रतिभा बागरी को डिंडौरी, दिलीप अहिरवार को अनुपपूर और राधा सिंह को मैहर का प्रभार सौंपा है।
योजनाओं के मद्देनजर भी जमावट
मंत्रियों को जिलों का प्रभार देने में विकास पर भी ध्यान दिया गया है। प्रदेश का प्रमुख फाइनेंशियल पावर सेंटर यानी आर्थिक राजधानी इंदौर जैसा सबसे महत्वपूर्ण जिला मुख्यमंत्री ने खुद अपने पास रखा है। इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि इंदौर जिले में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का पत्ता चलेगा। कैलाश विजयवर्गीय जैसे अत्यंत कुशल और विकास का जबरदस्त विजन और मादा रखने वाले मंत्री को सतना और धार जिला दिया गया है। सतना जिले में प्रदेश सरकार का अत्यंत महत्वाकांक्षी चित्रकूट प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। चित्रकूट को अयोध्या की तरह ही विकसित करने की योजना बनाई गई है। जाहिर है कि इस जिले की जवाबदारी अब कैलाश विजयवर्गीय के पास रहेगी। वैसे भी सतना जिला जातीय समीकरणों के कारण भाजपा के लिए जटिल रहा है। लोकसभा और विधानसभा दोनों ही चुनावों में सतना जिले में भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा है। धार भी भाजपा के लिए कठिन जिला है। 2018 के बाद 2023 के विधानसभा चुनाव में भी धार जिले की आदिवासी सीटों पर भाजपा को नुकसान हुआ है। इसके अलावा भोजशाला विवाद के कारण भी धार जिला संवेदनशील है। यह जिला भी कैलाश विजयवर्गीय जैसे राजनीतिक रूप से कुशल और कद्दावर मंत्री को दिया गया है। इसी तरह विदिशा, भोपाल और सीहोर जिलों को केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक तरह से गृह क्षेत्र माना जाता है। उनके वर्चस्व वाले इन तीनों जिलों के प्रभारी मंत्री उन्हीं के समर्थक हैं।