मंत्रियों को मिली सशर्त मन पसंद स्टाफ रखने की छूट

 मन पसंद स्टाफ

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन हुए अब काफी समय हो चुका है, लेकिन न तो मंत्रियों को सरकारी आवास मिल सका है और न ही स्टाफ। ऐसे में मंत्रियों को कामकाज करने में बेहद असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार भी इस समस्या का हल नहीं निकाल पा रही है। ऐसे में जहां आवास के लिए मुख्यमंत्री द्वारा वरिष्ठ मंत्रियों की एक समिति बना दी गई है, तो वहीं अब सरकार ने अपने मंत्रियों को सशर्त मन पसंद स्टाफ रखने की छूट प्रदान कर दी है। इसकी वजह से अब मंत्रियों ने कुछ हद तक राहत की सांस ली है। अब मंत्री अपनी पसंद के अधिकारी एवं कर्मचारियों को अपने स्टाफ रखने की कवायद में लग गए हैं। हालांकि शर्त के मुताबिक उन अधिकारी एवं कर्मचारी को स्टाफ में नहीं रखा जा सकेगा जो पूर्व की सरकार के मंत्री के स्टाफ में रहा हो। दूसरे मंत्रियों के साथ काम कर चुके निज सचिव एवं निज सहायक और विशेष सहायकों को जरूर अपने साथ रखने की इसमें छूट दी गई है। यही नहीं स्टॉफ में रखे गए संबंधित कर्मचारी की ईमानदारी की जिम्मेदारी भी मंत्री को ही लेनी होगी। इससे यह तो तय है कि जिसके खिलाफ भी  लोकायुक्त या विभाग में गंभीर शिकायतें हैं या जो कभी भ्रष्टाचार के चलते निलंबित रहा हो, उसे मंत्री स्टाफ में जगह नहीं दी जाएगी। प्रदेश सरकार के ज्यादातर मंत्री स्टाफ में पदस्थापना के लिए राज्य शासन को एक महीने में ही नोटशीट लिख चुके थे, लेकिन उनमें से अधिकांश के आदेश जारी नहीं हुए गए हैं। इसकी बड़ी वजह है इनमें अधिकांश वे नाम थे, जो पूर्व की सरकारों में मंत्रियों  स्टाफ में पदस्थ रह चुके हैं। दरअसल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव चाहते हैं कि मंत्री अपने स्टाफ में नए अधिकारियों व कर्मचारियों को ही रखें। यही वजह रही कि सामान्य प्रशासन विभाग ने मंत्री स्टाफ में पदस्थापना के आदेश जारी नहीं किए हैं। कैबिनेट बैठक में दो बार मंत्री मुख्यमंत्री के सामने इसको लेकर अपनी बात रख चुके हैं। दो दिन पहले भाजपा विधायक दल की बैठक में इस विषय पर अनौपचारिक चर्चा में सहमति बनी है। अब मंत्री स्टॉफ में सिर्फ साफ छबि के कर्मचारी- अधिकारी को रख सकेंगे। इसके बाद से माना जा रहा है कि अब जल्द ही पदस्थापना के आदेश जारी हो सकते हैं।
दो माह से नहीं की पदस्थापना
पिछली सरकार के मंत्रियों के स्टाफ से वापस लौटे कुछ कर्मचारी विभागों में हैं। जबकि मंत्रालय के कर्मचारी अभी पूल में ही हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने दो महीने तक पदस्थापना ही नहीं की। ये कर्मचारी पूल में हाजिरी लगाने जरूर आते हैं, लेकिन अभी मनपसंद के मंत्रियों के यहां बगैर आदेश के काम कर कर रहे हैं। जबकि मंत्रियों ने विभागों के कर्मचारियों को अपने स्टाफ में पदस्थ करने का रास्ता निकाल लिया। कुछ मंत्रियों ने दूसरे विभाग के कर्मचारियों को अपने विभाग में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ करवाया और फिर स्टाफ में शामिल कर लिया है।
आधा दर्जन मंत्रियों को मिले विशेष सहायक
राज्य शासन ने छह मंत्रियों के स्टाफ में विशेष सहायक की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं। इनमें उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल के यहां जबलपुर स्मार्ट सिटी के सीईओ चंद्र प्रताप गोहल, कैलाश विजयवर्गीय के यहां अंशुल खरे डिप्टी कलेक्टर भोपाल, प्रहलाद पटेल के यहां चंद्रकाश पटेल अपर कलेक्टर अनूपपुर, करण सिंह वर्मा के यहां विष्णु प्रसाद यादव संयुक्त कलेक्टर विदिशा, राज्य मंत्री गौतम टेंटवाल के यहां रोहित बम्होरे डिप्टी कलेक्टर सागर और राव उदय प्रताप सिंह के यहां आशीष पांडेय डिप्टी कलेक्टर नर्मदापुरम को पदस्थ किया गया है।

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