वन कटाई: नकारा साबित हो रहे हैं मंत्री शाह

 विजय शाह

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वनमंत्री विजय शाह प्रदेश के वन माफिया पर लगाम कसने के मामले में पूरी तरह से नाकरा साबित हो रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश में जगह-जगह वन माफिया खुलकर जंगलों का सफाया करने में लगा हुआ है। इसका खमियाजा आम आदमी को बढ़ते प्रदूषण के रुप में भुगतना पड़ रहा है। खास बात यह है कि इस मामले में दूरा दराज से लेकर राजधानी तक में वन माफिया का राज चलने लगा है। शाह प्रदेश के ऐसे वनमंत्री बन चुके हैं जिनकी अपने ही विभाग के अफसरों पर पकड़ नहीं मानी जाती है।
बुरहानपुर में महीनों तक चले वन कटाई के बाद अब वन मंडल औबेदुल्लागंज में दस एकड़ में सागौन के पेड़ रातों-रात काटकर वन माफिया ले गया, लेकिन मजाल है कि विभाग की नींद टूटी हो। हद तो यह है कि जंगलों को काटने में आरी का खुलकर उपयोग किया जाता है। इसका उदाहरण औबेदुल्लागंज का  बम्हौरी और डामडोगरी है, जहां पर आरा मशीन से पेड़ काटे गए हैं। इसके पहले चिकलोद रेंज में अवैध कटाई की जा चुकी है। निचला वन अमला जब वन माफिया केे खिलाफ कार्रवाई करता है तो उसे न तो अफसरों का साथ मिलता है और शाह का तो सवाल ही नहीं होता है। यही वजह है कि अब तो विभाग के निचले अमले तक ने वन माफिया से दूरी बनना शुरु कर दी है। वन परिक्षेत्र औबेदुल्लागंज में इसके पहले चिकलोद रेंज के डुंगरिया, महोली, सोथर, बरबटपुर, तिलेंडी, बीट में पेड़ों की अवैध कटाई कर खेत तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए लोगों द्वारा अपनी खेती के आसपास के जंगलों को खुलकर काटा जा रहा है। जंगल काटने के बाद लोग अपने खेतों का रकबा बढ़ा लेते हैं। यही नहीं इन इलाकों में सागौन जैसी बेशकीमती पेड़ हैं, जिनको काटने के बाद उन्हें बेंच कर भी जमकर कमाई की जाती है। इस वजह से वन संपदा और वन्य प्राणियों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ लोगों ने बताया कि यह सब अवैध काम इस रेंज के जिम्मेदारों की सहमति से ही संभव है। इसी कारण इन मामलों में कोई कार्रवाई नहीं होती। जंगल कटाई के मामले में तो यह भी कहा जा रहा है कि रेंजर घर बैठकर सरकारी तनख्वाह पा रहे हैं और माफियाओं से सांठगांठ कर लाखों कमा रहे हैं फिर वन संपदा को कैसे बचाया जा सकता है।
एसपी के विरोध की यह है वजह
खंडवा में सीएम के एक कार्यक्रम के दौरान वन मंत्री विजय शाह के बेटे और जिला पंचायत उपाध्यक्ष दिव्यादित्य शाह के साथ पुलिस ने कथित अभद्रता की, तो लगा कि एक- दो दिन में एसपी का ट्रांसफर हो जाएगा। क्योंकि मंत्री ने खुलेआम कहा था कि एसपी यहां ज्यादा दिन रह नहीं पाएंगे, लेकिन ऐसा अब तक तो नहीं हुआ, जबकि मंत्री के बेटे ने युवा मोर्चा के साथ एसपी ऑफिस का घेराव कर अपनी ताकत भी दिखाई। सूत्रों का कहना है कि एसपी सतेंद्र शुक्ला ने 26 मार्च को चार्ज लिया था, लेकिन वे प्रोटोकॉल के तहत मंत्री से मिलने नहीं जा सके और मंत्री ने इसे अपनी तौहीन समझ लिया था। इसके बाद हुए एपीसोड को एसपी से बदला लेने के तौर पर देखा जा रहा है।
परिवारवाद का भी उदाहरण हैं शाह
वन मंत्री विजय शाह का पूरा परिवार भाजपा और कांग्रेस की राजनीति करता है। विजय शाह खुद शिवराज सरकार में वन मंत्री हैं, वहीं उनका भाई संजय शाह विधायक हैं और बेटा दिव्यादित्य शाह जिला पंचायत उपाध्यक्ष है, जबकि एक भाई अजय शाह कांग्रेस में आदिवासी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे चुके हैं। इसके पहले विजयशाह की पत्नी भी खंडवा की महापौर रहीं है। इसके बाद भी उनकी पकड़ विभाग में नहीं बन सकी है।
कटाई के बाद लगा देते हैं आग
सागौन के पेड़ों को काटकर बचे हुए ठूंठ में चारों तरफ से घास लगाकर आग लगा दी जाती है। इससे पेड़ तुरंत कटा हुआ न लगे। कुछ दिन बाद उसे जड़ से उखाडक़र खेती योग्य जमीन का रकबा आगे बढ़ा लिया जाता है। इस तरह वन संपदा को खासा नुकसान हो रहा है। सागौन का जंगल दिन-ब-दिन कम होता जा रहा पर जिम्मेदार न तो उसकी सुध लेते हैं और न ही कोई कार्रवाई करने की जहमत उठाते हैं।

Related Articles