- न प्रभार वाले जिलों का दौरा कर रहे, न समीक्षा बैठक कर रहे
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार के मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंप दिया गया है। माना जा रहा था कि जिलों का प्रभार मिलते ही मंत्रियों के दौरे तेज हो जाएंगे। लेकिन देखा जा रहा है की जिलों का प्रभार मिलने के बाद से अधिकांश मंत्री सुस्त पड़ गए हैं। स्थिति यह है कि कई मंत्री तो अपने प्रभार वाले जिले में पहुंच भी नहीं पाए हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में सरकार गठन के आठ महीने बाद मंत्रियों को उनके प्रभार के जिले तो आवंटित हो गए लेकिन झंडावंदन के बाद ज्यादातर जिलों में समीक्षा बैठकों के लिए प्रभारी मंत्रियों का इंतजार बना हुआ है। गौरतलब है कि स्वतंत्रता दिवस से दो दिन पूर्व मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा गया है। कई मंत्री ऐसे हैं जिन्हें दो जिलों का प्रभार मिला है। ये मंत्री 15 अगस्त को एक जिले में पहुंचे और झंडा फहराया। उसके बाद कई मंत्री ऐसे हैं, जो दूसरे जिले में आज तक नहीं पहुंच पाए हैं। झंडावंदन के बाद जिन जिलों में प्रभारी मंत्री का प्रवास नहीं हुआ। इनमें रीवा, कटनी, गुना, सिंगरौली, राजगढ़, उमरिया, अनूपपुर, डिंडौरी, सिवनी, बालाघाट, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, मंडला, दमोह, पांढुर्णा, खरगोन, धार, नीमच, मंदसौर, बड़वानी व अलीराजपुर शामिल हैं। अफसरों के साथ मंत्रियों का संवाद परिचय तक ही सीमित रहा।
तबादलों से प्रतिबंध हटने का इंतजार
सूत्रों का कहना है कि जितना अधिकारियों-कर्मचारियों को तबादलों पर से प्रतिबंध हटने का इंतजार है, उससे अधिक मंत्रियों को है। दरअसल, बीते कुछ महीनों से कहा जा रहा था कि मप्र में मंत्रियों को जिले का प्रभार सौंपे जाने के बाद जल्द ही ट्रांसफर पर लगा बैन हट सकता है। फिर खबरें आईं कि नई ट्रांसफर पॉलिसी भी बना ली गई है जिसे जल्द ही कैबिनेट मीटिंग में रखा जाएगा और इसके पास होते ही प्रदेश में ट्रांसफर शुरू हो जाएंगे लेकिन गतदिनों कैबिनेट बैठक में ट्रांसफर प्रक्रिया से जुड़ा कोई प्रस्ताव या पॉलिसी पेश नहीं की गई जिसके कारण साफ है कि अभी भी कर्मचारियों-अधिकारियों को ट्रांसफर के लिए इंतजार करना पड़ेगा। बता दें कि पिछले डेढ़ साल से मप्र में ट्रांसफर पर बैन लगा हुआ है। मप्र में बीते डेढ़ साल से ट्रांसफर के इंतजार में बैठे सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के लिए एक बुरी खबर है। मप्र में अभी ट्रांसफर नहीं होंगे। दरअसल मोहन यादव कैबिनेट ने ट्रांसफर प्रक्रिया को अभी होल्ड पर रखा है।
कुछ मंत्री कर चुके हैं समीक्षा बैठक
प्रदेश सरकार के कुछ मंत्री ऐसे हैं जिन्होंने अपने प्रभार के जिले में समीक्षा बैठक कर ली है। ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट अधिकारियों के साथ योजनाओं की समीक्षा कर चुके हैं, जबकि मंत्री चेतन कश्यप ने भोपाल के अफसरों को सितंबर फर्स्ट वीक में बैठक बुलाने के निर्देश दिए हैं। जबलपुर व इंदौर को अभी इंतजार है ,जबकि 29 को भिंड- टीकमगढ़ और रतलाम में पहली समीक्षा बैठक के लिए 28 अगस्त का दिन तय हुआ है। कई जिलों में तारीख अभी तय होना बाकी है। वरिष्ठ मंत्रियों को दो-दो जिले और 8 जूनियरों को सिंगल जिले की जवाबदारी सौंपी गई है। सीएम ने इंदौर का प्रभार अपने पास रखा है। बताया जाता है कि स्वतंत्रता दिवस के बाद रक्षाबंधन और जन्माष्टमी पर्व के चलते छुट्टियों का माहौल बना रहा। मंत्रीगण भी अपने क्षेत्रों में व्यस्त रहे, जिन मंत्रियों के पास पड़ोस के जिलों का प्रभार है उनके औपचारिक दौरे हो चुके हैं। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला सागर- शहडोल और जगदीश देवड़ा के पास जबलपुर एवं देवास का प्रभार है।
कहीं बैठकें हुई तो कहीं एजेंडा तय
देवास में पिछले सप्ताह उप मुख्यमंत्री देवड़ा ने अधिकारियों की बैठक ली। रतलाम में मंत्री विजय शाह ने 28 अगस्त को बैठक तलब की है। भिंड में मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल 29 अगस्त को समीक्षा करेंगे। टीकमगढ़ में मंत्री कृष्णा गौर ने 29 अगस्त को बैठक बुलाई है। बैतूल में मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने 24 अगस्त को बैठक बुलाई थी, जो स्थगित हो गई। अब सितंबर के प्रथम सप्ताह में समीक्षा होगी। आगर मालवा में नागर सिंह चौहान ने जन्माष्टमी के बाद बैठक बुलाने को कहा है। प्रभारी मंत्री भोपाल चेतन कश्यप का कहना है कि ग्वालियर रीजनल कॉन्क्लेव के बाद मैंने भोपाल की जिला समीक्षा बैठक बुलाने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया है। सितंबर प्रथम सप्ताह में विकास योजनाएं, निर्माण कार्यों से लेकर अन्य कई मुद्दों पर बैठक में चर्चा करेंगे।