संगठन के निर्देश पूरी तरह से कर रहे हैं दरकिनार…
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। कुलीनों के कुनबे में मंत्री हो, सांसद हों या विधायक हों यह सभी कार्यकर्ता होते हैं। संगठन सर्वोपरि होता है। लेकिन चुनावी साल में भी मंत्री संगठन के निर्देश मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं। संगठन ने प्रदेश के सभी मंत्रियों को कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने हफ्ते में एक दिन भाजपा के प्रदेश कार्यालय में बैठने के निर्देश दिए थे, लेकिन इस निर्देश को प्रदेश सरकार के किसी मंत्री ने नहीं माना। यानी कोई भी मंत्री प्रदेश कार्यालय में नहीं बैठ रहा है।
जबकि पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में यह फैसला हुआ था कि हफ्ते में एक दिन एक मंत्री पार्टी दफ्तर में बैठकर कार्यकर्ताओं से अपने विभागों से जुड़ी समस्या सुनेगा, लेकिन अब तक कोई भी मंत्री कार्यकर्ताओं की शिकायतें सुनने भाजपा कार्यालय नहीं पहुंचा। सूत्रों के मुताबिक भाजपा कार्यकर्ताओं की बढ़ रही नाराजगी दूर करने यह फैसला लिया गया था। कार्यकर्ताओं की ज्यादातर शिकायतें थीं कि विभागों के मंत्री और प्रभारी जिलों के मंत्री उनकी बात नहीं सुनते हैं और अधिकारी अपनी मर्जी करने पर तुले हैं। इसे लेकर कार्यकर्ताओं का गुस्सा भी बढ़ रहा था। ऐसे में संगठन में बैठक आयोजित कर मंत्रियों को प्रदेश भाजपा कार्यालय में बैठने का निर्देश दिया था। लेकिन कोई भी मंत्री इस निर्देश को मानने को तैयार रही है। गौरतलब है कि प्रभारी मंत्री जिलों के दौरे पर भी नहीं जाते हैं। बार-बार कहने के बाद भी अधिकतर मंत्रियों ने गांवों में रात्रि विश्राम नहीं किया। मंत्रियों द्वारा विभागीय कामकाज में भी रुचि कम है। मंत्रियों से कहा गया था कि प्रभार के जिलों में कार्यकर्ताओं से संवाद और संपर्क किया जाए । इसके बावजूद किसी भी मंत्री ने कार्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई।
कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से संगठन नाराज
दरअसल, 2018 में भाजपा की हार की बड़ी वजह को भी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा माना गया। ऐसे में पार्टी ने इस बार कार्यकर्ताओं को अधिक महत्व देना शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रदेश भाजपा के कोर ग्रुप ने व्यवस्था बनाई थी कि जब भी मंत्री भोपाल में रहेंगे तो पार्टी कार्यालय में बैठेंगे। संगठन के इस निर्देश का किसी ने पालन नहीं किया। पार्टी की बैठक में यह मामला आया था कि कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। इससे पहले भी पार्टी ने मंत्रियों को प्रभार के जिले में दौरे के दौरान कोर ग्रुप की बैठक करने और कार्यकर्ताओं के साथ मेलजोल बढ़ाने के निर्देश दिए थे लेकिन मंत्रियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त होने के तुरंत बाद भाजपा प्रदेश कार्यालय में मंत्रियों को तलब किया गया था। जहां तय किया गया था कि अब प्रत्येक मंत्री सप्ताह में एक दिन प्रदेश भाजपा कार्यालय में बैठेंगे और कार्यकर्ता व आम लोगों से संवाद करेंगे।
चुनावी साल में भी उपेक्षा…
संगठन इस बात से हैरान है की जिस पार्टी में कार्यकर्ता सर्वोपरि होता है, उस भाजपा में चुनावी साल में भी मंत्री कार्यकर्ताओं को महत्व नहीं दे रहे हैं। संगठन के बड़े नेताओं के निर्देश के बावजूद मंत्रीगण कार्यकर्ताओं की सुनवाई के लिए पार्टी कार्यालय में नहीं बैठ रहे हैं। यही नहीं, मंत्रालय में भी बहुत कम मंत्री अपने कार्यालयों में बैठ रहे हैं। अपनी समस्याओं को लेकर मंत्रालय आने वाले लोगों को इस वजह से बैरंग लौटना पड़ रहा है। कई बार कैबिनेट बैठक में भी मुख्यमंत्री मंत्रियों को मंत्रालय में बैठकर विभागीय कार्यों को गति देने के निर्देश दे चुके हैं। बावजूद इसके स्थिति जस की तस है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में फेरबदल के संकेत से भी ज्यादातर मंत्रियों में चुस्ती नजर नहीं आ रही है।