वन अफसरों के उत्तर से मंत्री आए बैकफुट पर

वन अफसरों

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वन अफसरों ने अपने विभाग के मंत्री को पहली ही नोटशीट पर आईना दिखा दिया है। इसकी वजह से अब मंत्री पूरी तरह से बैकफुट पर आ गए हैं। अब वे इस मामले के सुलझने का दावा कर रहे हैं। दरअसल सरकार बने डेढ़ माह से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन मंत्रियों को सरकार और शासन अब तक आवास उपलब्ध कराने में पूरी तरह से असफल रहा हैं। ऐसे में तमाम मंत्री अपने मातहत विभागों के रेस्टहाउसों में डेरा डालने को मजबूर बने हुए हैं। इन मंत्रियों में वन मंत्री नागर सिंह चौहान भी शामिल हैं। वे चार इमली स्थित प्रियदर्शनी फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में अपना डेरा डाले हुए हैं। इसी रेस्टहाउस में अफसरों ने भी डेरा डाला हुआ है। यह मंत्री को रास नहीं आया तो उनके द्वारा वन अधिकारियों से कक्ष खाली कराने के लिए नोटशीट लिख दी गई। इसके बाद विभाग में नाराजगी शुरु हो गई। वन अफसरों ने इसके उत्तर में ऐसा उत्तर दिया कि मंत्री जी पूरी तरह से बैकफुट पर आ गए। इसमें यहां तक कह दिया गया है कि स्वयं वन मंत्री अवैध रूप से रेस्टहाउस में डेरा डाले हुए हैं। नियमानुसार रेस्ट हाउस सिर्फ अधिकारियों के लिए ही है, मंत्री को उसके उपयोग की पात्रता ही नहीं है। इसके बाद से इस मामले में मंत्री जी ने चुप्पी साध रखी है। अब उनका कहना है कि परिवार का मामला है जिसे सुलझा लिया गया है। दरअसल, वन मंत्री चौहान ने नोट शीट लिखकर कहा था कि रेस्ट हाउस में महीनों से रह रहे अधिकारियों को बाहर निकालें। इनकी वजह से बाहर से आए अधिकारियों को विश्राम गृह में कक्ष उपलब्ध नहीं हो पाता। जवाब में वन मुख्यालय के समन्वक अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक शशि मलिक ने लिखा कि रेस्ट हाउस में स्थानांतरित होकर आए अधिकारी जब तक शासकीय आवास नहीं मिलता तब तक वह रेस्ट हाउस में रुकने की पात्रता रखते हैं। वैसे उच्चतम न्यायालय के भी स्पष्ट निर्देश हैं कि विश्राम गृह में केवल अधिकारियों के रुकने की पात्रता है। कोई भी अधिकारी वन विश्राम गृह में रुकने के कारण अपने मूल वेतन के 18 प्रतिशत राशि का भुगतान करता है।
छोड़ना पड़ सकता है रेस्ट हाउस
अधिकारी से रेस्ट हाउस खाली कराने की डेटशीट लिखकर वन मंत्री खुद उलझ गए हैं। वन मुख्यालय ने जो नियमों का हवाला दिया है, उसके अनुसार मंत्री को ही रेस्ट हाउस खाली करना पड़ सकता है। हालांकि इसकी संभावना नहीं के बराबर है। फिलहाल वन मंत्री विभाग के अधिकारियों के दबाव में पूरी तरह से आ गए हैं। शुरूआत में मंत्री ने बैठकों में अधिकारियों पर रुतबा जमाने की कोशिश भी की लेकिन असफल रहे हैं।

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